बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी दल अपने सियासी दांव पेच में लगे हैं। हर एक सीट पर समीकरण के लिहाज से सियासी बिसात बिछाई जा चुकी है। अब प्रचार का शोर जोर पर है। छह और 11 नवंबर को सभी 243 सीटों पर मतदान होगा। बिहार में अगली सरकार किसकी बनेगी? यह तस्वीर 14 नवंबर को दोपहर तक साफ हो जाएगी। आज बात करेंगे बिहार की उन 10 विधानसभा सीटों की जहां, पिछले चुनाव में जेडीयू ने बेहद मामूली अंतर से चुनाव जीता था। इन सीटों पर पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यही वजह है कि कुछ सीटों पर पार्टी ने अपने प्रत्याशी भी बदले हैं।
अमरपुर विधानसभा: जेडीयू प्रत्याशी जयंत राज को कुल 54,308 वोट मिले। उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार को जितेंद्र सिंह को 51,194 मत मिले। महज 3,114 वोट से जेडीयू को जीत मिली। आंकड़ों के लिहाज से अमरपुर सीट पर जेडीयू की मुश्किल बढ़ सकती है। पार्टी ने इस बार भी जयंत राज पर भरोसा जताया। उनके सामने कांग्रेस ने जितेंद्र सिंह को दोबारा उतारा है। हालांकि जयंत राज के लिए राहत भरी खबर यह है कि पिछले चुनाव में एलजेपी प्रत्याशी मृणाल शेखर ने 40,308 वोट काटे थे। इस बार एलजेपी गठबंधन में चुनाव लड़ रही है।
बहादुरपुर विधानसभा: यहां जेडीयू के सिर्फ 2,629 मतों से जीत मिली थी। आरजेडी प्रत्याशी रमेश चौधरी को कुल 65,909 वोट मिले। उनके सामने उतरे जेडीयू के मदन सहनी को 68,538 मत मिले। यहां भी एलजेपी प्रत्याशी देवेंद्र कुमार झा को 16,873 वोट मिले थे। अगर जेडीयू के साथ गठबंधन में लड़ते तो शायद हार जीत का मार्जिन घट बढ़ सकता था। मौजूदा विधायक मदन सहनी को जेडीयू ने इस बार भी प्रत्याशी बनाया है। हालांकि आरजेडी ने रमेश चौधरी की जगह भोला यादव को उतारा है।
बारबीघा विधानसभा: पिछले चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस और जेडीयू के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। जेडीयू प्रत्याशी सुदर्शन कुमार के पक्ष में 39,878 वोट पड़े। कांग्रेस उम्मीदवार गजानंद शाही को कुल 39,765 वोट मिले। सांसें थमा देने वाले मुकाबले में गजानंद शाही को सिर्फ 113 मतों से हार का सामना करना पड़ा। एलजेपी प्रत्याशी मधुकर कुमार को 18,930 वोट मिले। पिछले चुनाव में कड़े मुकाबले की वजह से जेडीयू ने इस बार मौजूदा विधायक सुरदर्शन कुमार का टिकट काट दिया। उनकी जगह डॉ. कुमार पुष्पंजय को उतारा है। कांग्रेस ने भी गजानंद शाही के बजाय त्रिशूलधारी सिंह पर दांव खेला है। मौजूदा विधायक सुरदर्शन सिंह निर्दलीय चुनाव में उतरे हैं। वह जेडीयू की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।
बेलहर विधानसभा: 2020 के विधानसभा चुनाव में बेलहर सीट पर हार जीत का फासला बेहद मामूली था। जेडीयू के मनोज यादव को 73,589 वोट मिले थे। आरजेडी के रामदेव यादव को 71,116 मत मिले। नजदीकी मुकाबले में मनोज यादव ने सिर्फ 2,473 मतों से चुनाव जीता था। खास बात यह है कि बीएसपी प्रत्याशी ब्रह्मदेव यादव को 6,127 वोट मिले थे। अगर यहां बीएसपी प्रत्याशी को कम वोट मिलते तो किसी का भी खेल बिगड़ सकता था। अबकी चुनाव में जेडीयू के मौजूदा विधायक मनोज यादव के खिलाफ आरजेडी ने चाणक्य प्रकाश रंजन को उतारा है।
भोरे विधानसभा: पिछले चुनाव में यहां हार जीत का फैसला 500 से भी कम वोटों से हुआ था। जेडीयू प्रत्याशी सुनील कुमार ने 462 मतों से विधायकी जीती थी। उनका मुकाबला सीपीआई (माले) के प्रत्याशी जितेंद्र सिंह से था। जितेंद्र को कुल 73,605 वोट मिले थे। एलजेपी प्रत्याशी पुष्पा देवी ने 4,520 वोट काटे। अगर इनमें से कुछ वोट दूसरे पक्ष में जाते तो जेडीयू का खेल बिगड़ सकता था। सीपीआई (माले) के जितेंद्र पासवान का पर्चा खारिज हो गया है। अब उनकी जगह धनंजय पार्टी के प्रत्याशी होंगे। उनका मुकाबला मौजूदा विधायक सुनील कुमार से होगा।
हिलसा विधानसभा: 2020 के चुनाव में जेडीयू विधायक कृष्णमुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया ने सिर्फ 12 वोट से चुनाव जीता था। उन्हें कुल 61,848 वोट मिले थे, जबकि आरजेडी प्रत्याशी अत्री मुनि उर्फ शक्ति सिंह यादव को 61,836 मत मिले थे। यहां एलजेपी प्रत्याशी कुमार सुमन सिंह उर्फ रंजीत सिंह को 17,471 वोट मिले थे। 2025 के विधानसभा चुनाव में भी कृष्णमुरारी शरण और शक्ति सिंह यादव आमने-सामने हैं।
झाझा विधानसभा: यह विधानसभा सीट जमुई जिले में पड़ती है। पिछले चुनाव में जेडीयू महज 1,679 मतों से चुनाव जीती थी। जेडीयू विधायक दामोदर रावत के हिस्से में 76,972 वोट आए थे। आरजेडी के राजेंद्र प्रसाद ने 75,293 वोट हासिल किए थे। यहां बीएसपी वोट कटवा साबित हुई। उसके प्रत्याशी को कुल 13,479 वोट मिले। अबकी बार आरजेडी ने जय प्रकाश नारायण यादव को टिकट दिया है। उनका मुकाबला मौजूदा विधायक दामोदर रावत से है।
महिषी विधानसभा: जेडीयू नेता गुंजेश्वर साह महिषी से मौजूदा विधायक हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने 1,630 मतों के अंतर से चुनाव जीता था। उनके प्रतिद्वंद्वी आरजेडी प्रत्याशी गौतम कृष्णा को कुल 64,686 वोट मिले थे, जबकि शाह के खाते में 1,630 अधिक वोट यानी कुल 66,316 मत आए थे। 22,110 वोट के साथ एलजेपी के अब्दुर रज्जाक तीसरे स्थान पर थे। आरजेडी ने गौतम कृष्णा को दोबारा उतारा है। उनका सामना गुंजेश्वर साह से होगा।
परबत्ता विधानसभा: पिछली बार इस सीट पर हार जीत का निर्णय एक हजार से भी कम मतों से हुआ था। जेडीयू प्रत्याशी संजीव कुमार ने 77,226 वो हासिल करके 951 मतों के अंतर से चुनाव जीता था। आरजेडी के दिगंबर प्रसाद तिवारी को 76,275 वोट मिले थे। मगर 2025 के विधानसभा चुनाव में मौजूदा विधायक संजीव कुमार अब आरजेडी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। जेडीयू ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। गठबंधन के तहत यह सीट चिराग पासवान के खाते में आई है। अब यहां से बाबूलाल शौर्य एलजेपी (रामविलास) के प्रत्याशी हैं। पिछले चुनाव में एलजेपी को यहां 11,576 वोट मिले थे, लेकिन इस बार जेडीयू की परीक्षा एलजेपी को देनी पड़ेगी।
सकरा विधानसभा: इस चुनाव में जेडीयू की यहां मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पिछले चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी अशोक कुमार चौधरी को सिर्फ 1,537 मतों से जीत मिली थी। उन्होंने नजदीकी मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी उमेश कुमार राम को हराया था। अशोक कुमार को 67,265 और उमेश कुमार राम को 65,728 वोट मिले थे। एलजेपी प्रत्याशी संजीव पासवान को 13,528 मत मिले थे। कांग्रेस ने उमेश कुमार राम को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं जेडीयू से आदित्य कुमार प्रत्याशी हैं। आदित्य मौजूदा विधायक अशोक चौधरी के बेटे हैं।
