देश और एशिया की सबसे बड़ी सब्जी मंडी जिस विधानसभा क्षेत्र में आती है उसका नाम है आदर्शनगर। दिल्ली की विधानसभा नंबर 4 है आदर्श नगर। लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट पर अब AAP का कब्जा है। कब्जा इस कदर मजबूत हुआ कि दो बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मुकेश गोयल अब खुद AAP में शामिल हो गए हैं और इस सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने अपने पुराने नेता मंगत राम सिंघल के बेटे शिवांक सिंघल को चुनाव में उतार दिया है।

 

कानूनी पचड़ों में फंसे AAP विधायक पवन कुमार शर्मा का टिकट काटकर पार्टी ने अपने पार्षद मुकेश कुमार गोयल को चुनाव में उतारा है जो इस क्षेत्र के दिग्गज नेताओं में शामिल रहे हैं। आजादपुर के अलावा, भरोला गांलव, सराय पीपल थाला, धीरपुर गांव, निरंकारी कॉलोनी , गांधी विहार, केवल पार्क, गोपाल नगर, मजलिस पार्क, आदर्श नगर, जहांगीरपुर, महेंद्र पार्क और गांधी विहार के कुछ हिस्सों को मिलाकर यह विधानसभा बनती है।

समस्याएं क्या हैं?

 

गंदगी पूरी दिल्ली की समस्या है और आदर्शनगर इससे छूटा नहीं है। आबादी और उसके साथ-साथ गाड़ियों की संख्या बढ़ने के चलते कई इलाकों में पार्किंग की समस्या है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विधानसभा में मोहल्ला क्लीनिक तो खुले हैं लेकिन यहां अस्पताल खोले जाने की भी जरूरत है।विपक्षी नेता भी कई इलाकों में स्ट्रीट लाइट की कमी होने, साफ-सफाई न होने और गलियां टूटी होने की शिकायत करते रहे हैं।

 

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2020 में क्या हुआ था?

 

2020 के चुनाव में AAP ने अपने विधायक पवन कुमार शर्मा को ही टिकट दिया था। बीजेपी ने 2015 में चुनाव हारने वाले राम किशन सिंघल की जगह पर राजकुमार भाटिया को टिकट दिया। वहीं, कांग्रेस ने एक बार फिर से मंगत मुकेश कुमार गोयल पर ही भरोसा जताया था।

 

नतीजे लगभग वैसे ही रहे। कुल 1.03 लाख में से 46,892 वोट AAP के पवन कुमार शर्मा को मिले और वह विजेता बने। बीजेपी के राजकुमार भाटिया ने कड़ी टक्कर दी लेकिन सिर्फ 1589 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए। वहीं, कांग्रेस के मुकेश कुमार गोयल को सिर्फ 10 हजार वोट ही मिले थे।

विधानसभा का इतिहास

 

इस सीट पर पहली बार जब 1993 में विधानसभा चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) के जय प्रकाश यादव ने कांग्रेस के बड़े नेता मंगत राम सिंघल को सिर्फ 40 वोटों के अंतर से हराकर चुनाव जीता था। अगले ही चुनाव में यानी साल 1998 में कांग्रेस के मंगत राम ने जय प्रकाश यादव को लगभग दोगुने वोटों के अंतर से हराकर अपना बदला पूरा किया। यहां से इस सीट पर मंगत राम सिंघल की बादशाहत शुरू हो गई। 1998 में जय प्रकाश यादव चुनाव हार गए थे तो 2003 में बीजेपी ने रविंदर सिंह को चुनाव में उतारा लेकिन वह भी मंगत राम को हरा नहीं पाए। 2008 में भी मंगत राम और रविंदर सिंह का ही मुकाबला हुआ लेकिन मंगत राम ही फिर से जीते। 2013 में बीजेपी ने राम किशन सिंघल को चुनाव में उतारा और AAP ने जगदीप राणा को टिकट दिया। इस त्रिकोणीय लड़ाई में मंगत राम सिंघल तीसरे नंबर पर पहुंच गए।

 

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2015 का चुनाव आया तो बीजेपी ने फिर से राम किशन सिंघल को टिकट दिया। इस बार AAP और कांग्रेस दोनों ने ही अपने उम्मीदवार बदले। AAP ने पवन कुमार शर्मा को चुनाव में उतारा और वह बंपर जीत हासिल करने में कामयाब रहे। राम किशन सिंगल दूसरे और कांग्रेस के मुकेश कुमार गोयल तीसरे नंबर पर पहुंच गए। 2020 में बीजेपी ने राजकुमार भाटिया को उतारा। कांग्रेस की ओर से मुकेश कुमार गोयल और AAP की ओर से फिर पवन शर्मा ही चुनाव लड़े। नतीजे फिर वही रहे। पवन शर्मा विधायक बने, राजकुमार भाटिया नंबर दो पर रहे और मुकेश कुमार गोयल नंबर तीन पर रहे। इस बार वही मुकेश कुमार गोयल AAP में हैं और AAP ने अपने दो बार के विधायक पवन कुमार शर्मा का टिकट काट दिया है। 

समीकरण क्या है?

 

लगभग 8 पर्सेंट मुस्लिम आबादी के अलावा इस विधानसभा में ज्यादातर लोग कारोबारी हैं। मंडी और ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों के चलते इस क्षेत्र की आबादी का विस्तार भी खूब हुआ है। यही वजह है कि इस विधानसभा में झुग्गियां भी खूब हैं और ये झुग्गियां कई बार विवादों का कारण भी बनी हैं।