संजय सिंह, पटना: समय के साथ चुनाव प्रचार के रंग भी बदलने लगे हैं। 1960 के दशक में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार टमटम या बैलगाड़ी पर सवार होकर प्रचार करते थे। बैनर और पोस्टर से लेकर दीवार लेखन तक के माध्यम से प्रचार होता था, लेकिन बदलते समय में चुनाव प्रचार का तरीका भी बदल गया है। अब प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया और एआई के जरिए हो रहा है। नेता टमटम और बैलगाड़ी को छोड़कर अब उड़नखटोला (हेलीकॉप्टर) और हाई-टेक वाहनों से चुनाव अभियान चलाते हैं। प्रचार का एक दिलचस्प किस्सा देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा है।

 

बात 1967 की है, जब मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा क्षेत्र में अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव प्रचार करने आए थे। जनसंघ ने अपना प्रत्याशी जय किशोर सिंह को बनाया था। जय किशोर सिंह भी सरल और सीधे स्वभाव के व्यक्ति थे। वे अपने प्रचार के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते थे। उस समय उम्मीदवार चंदे के पैसों से ही चुनाव लड़ते थे।

 

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अटल बिहारी की सभा होनी थी

तब के जनसंघी मोहन यादव बताते हैं कि अटल जी जब तारापुर पहुंचे तो उन्होंने कार्यकर्ताओं से पूछा कि क्या उनकी जनसभा की जानकारी लोगों तक पहुंचा दी गई है। कार्यकर्ता एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे। अटल जी समझ गए कि कुछ गड़बड़ है। उनकी सभा के लिए कोई माइकिंग नहीं कराई गई थी।

 

स्थिति को भांपते हुए अटल जी दो कार्यकर्ताओं को अपने साथ लेकर बाजार की ओर निकल पड़े। बाजार जाकर उन्होंने लाउडस्पीकर और टमटम भाड़े पर लिया। अपनी पहचान छिपाने के लिए अटल जी ने माथे पर मुरेठा बांध लिया। असरगंज और तारापुर बाजार में माइकिंग शुरू हुई। माइक से आवाज गूंज रही थी—’जनसंघ के बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण तारापुर बस स्टैंड में होगा। इस सभा में उनके विचार सुनने के लिए अधिक से अधिक लोग पधारें।’

वाजपेयी जी ने खुद प्रचार किया

लोगों को यह पता नहीं था कि स्वयं वाजपेयी जी ही अपनी सभा का प्रचार कर रहे हैं। असरगंज और तारापुर में माइकिंग करने के बाद जब वे बस स्टैंड लौटे तो वहां भारी भीड़ मौजूद थी। बड़ी संख्या में लोग उनका भाषण सुनने आए थे। जब लोगों ने देखा कि सभा के लिए स्वयं निमंत्रण देने वाला व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी हैं, तो वे हैरान रह गए।

 

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सभा में उनका जोरदार भाषण हुआ और खूब तालियां बजीं। हालांकि, चुनाव परिणाम जनसंघ के प्रत्याशी के पक्ष में नहीं गया। इसके बावजूद चुनावी मौसम में वाजपेयी जी के सरल स्वभाव और अनोखे अंदाज की चर्चा आज भी होती है।