बिहार की बेलसंड विधानसभा सीट वैसे तो सीतामढ़ी जिले में पड़ती है लेकिन यह शिवहर लोकसभा में आती है। बेलसंड उन सीटों में से एक है, जहां सबसे कम वोटिंग होती है। पिछले चुनाव में भी यहां 52 फीसदी ही वोट पड़े थे। यहां अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं और कांग्रेस सिर्फ तीन ही बार जीती है।


बेलसंड भी बिहार के निचले इलाकों में पड़ता है, इसलिए यहां बाढ़ का खतरा बना रहता है। यह ज्यादातर ग्रामीण इलाका है, इसलिए यहां विकास और रोजगार के मौके सीमित हैं।

मौजूदा समीकरण

बेलसंड में मुकाबला आरजेडी और जेडीयू के बीच ही माना जाता है। पिछली बार यहां से आरजेडी ने जीत हासिल की थी। 10 साल बाद आरजेडी यहां से जीती थी। जीत की उम्मीद तो दोनों को है लेकिन स्थानीय मुद्दे और एंटी-इंकम्बैंसी फैक्टर से यहां बड़ा उलटफेर भी हो सकता है। पिछली बार LJP और RLSP के अलग-अलग लड़ने से जेडीयू को नुकसान पहुंचा था। LJP के एनडीए में वापस आने और RLSP के आरजेडी से जुड़ने से चुनाव दिलचस्प हो गया है।

 

यह भी पढ़ें-- रुन्नीसैदपुर विधानसभा सीट: कभी RJD तो कभी JDU, इस बार कौन पड़ेगा भारी?

2020 में क्या हुआ था?

पिछले चुनाव में आरजेडी के संजय कुमार गुप्ता ने जेडीयू की सुनीता सिंह चौहान को 13,931 वोटों से हरा दिया था। संजय कुमार को 35.82% और सुनीता सिंह को 25.84% वोट मिले थे। RLSP के ठाकुर धर्मेंद्र सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे, जिन्हें 13.64% वोट मिले थे।

विधायक का परिचय

2020 में संजय कुमार गुप्ता इस सीट से दूसरी बार विधायक बने थे। पहली बार वह 2005 में यहां से विधायक चुने गए थे। 2010 के चुनाव में संजय कुमार को जेडीयू की सुनीता सिंह से हार मिली। 


2015 में जेडीयू ने आरजेडी-कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। ऐसे में यह सीट जेडीयू के खाते में आई। 2020 में जब जेडीयू फिर एनडीए में चली गई तो आरजेडी ने एक बार फिर संजय कुमार को यहां से टिकट दिया।


2020 के चुनाव में दाखिल हलफनामे में संजय कुमार ने अपने पास 5.72 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। उनके खिलाफ 5 क्रिमिनल केस दर्ज थे।

 

यह भी पढ़ें-- वाल्मीकि नगर विधानसभा: धीरेंद्र सिंह का जलवा कायम रहेगा या होगा बदलाव?

विधानसभा का इतिहास

1996 का उपचुनाव मिलकर इस सीट पर अब तक 17 बार चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस आखिरी बार यहां 1990 के चुनाव में जीती थी। यह जनरल कैटेगरी की विधानसभा सीट है।

  • 1957: रामानंद सिंह (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
  • 1962: रामानंद सिंह (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
  • 1967: चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
  • 1969: रामानंद सिंह (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
  • 1972: राम सूरत सिंह (कांग्रेस)
  • 1977: रघुवंश प्रसाद सिंह (जनता पार्टी)
  • 1980: रघुवंश प्रसाद सिंह (जनता पार्टी)
  • 1985: रघुवंश प्रसाद सिंह (लोकदल)
  • 1990: दिग्विजय प्रताप सिंह (कांग्रेस)
  • 1995: रघुवंश प्रसाद सिंह (जनता दल)
  • 1996: ब्रिशिन पटेल (समता पार्टी)
  • 2000: राम स्वार्थ राय (आरजेडी)
  • 2005: सुनीता सिंह चौहान (एलजेपी)
  • 2005: संजय कुमार गुप्ता (आरजेडी)
  • 2010: सुनीता सिंह चौहान (जेडीयू)
  • 2015: सुनीता सिंह चौहान (जेडीयू)
  • 2020: संजय कुमार गुप्ता (आरजेडी)