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रुन्नीसैदपुर विधानसभा सीट: कभी RJD तो कभी JDU, इस बार कौन पड़ेगा भारी?

बिहार की रुन्नीसैदपुर का चुनावी इतिहास बहुत पुराना है। यहां से कांग्रेस आखिरी बार 1980 में जीती थी। पिछले 6 चुनाव से कभी आरजेडी तो कभी जेडीयू यहां से जीत रही है।

Runnisaidpur

रुन्नीसैदपुर विधानसभा सीट, Photo Credit- KhabarGaon

बिहार के सीतामढ़ी जिले में आने वाली रुन्नीसैदपुर विधानसभा का चुनावी इतिहास बहुत पुराना है। यहां अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इस सीट पर कभी कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था लेकिन 1980 के दशक के बाद से ही यहां जनता दल से निकली पार्टियों का कब्जा रहा है। कभी आरजेडी तो कभी जेडीयू यहां से चुनाव जीतती है।

 

देखा जाए तो रुन्नीसैदपुर बिहार के निचले इलाकों में पड़ता है। यहां बाढ़ का खतरा भी बना रहता है। यहां विकास अभी बहुत सीमित है और बुनियादी समस्याएं बनी हुई हैं।

मौजूदा समीकरण

2000 के बाद से यहां कभी आरजेडी तो कभी जेडीयू की जीत होती रही है। पिछले चुनाव में जेडीयू को यहां से जीत मिली थी। सीतामढ़ी की बाकी सीटों की तरह ही यहां मुस्लिम और यादव यानी MY समीकरण काम करता है। हालांकि, मिथिला क्षेत्र में हिंदुत्व के मुद्दे पर एनडीए को इस बार भी बढ़त मिलने की उम्मीद है।

 

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2020 में क्या हुआ था?

2020 में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन ने वापसी की और मिलकर चुनाव लड़ा। पिछले चुनाव में जेडीयू के पंकज कुमार मिश्रा ने आरजेडी की मंगिता देवी को साढ़े 24 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। पंकज कुमार को 73,205 यानी 48% और मंगिता देवी को 48,576 यानी 32% वोट मिले थे।

विधायक का परिचय

पंकज कुमार मिश्रा 2020 में पहली बार यहां से विधायक चुने गए थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने RLSP के टिकट पर रुन्नीसैदपुर से ही चुनाव लड़ा था लेकिन आरजेडी के मंगिता देवी से 14 हजार वोटों से हार गए थे। 2015 में RLSP और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था।

 

2020 के चुनाव से पहले पंकज कुमार जेडीयू में आ गए थे। 2020 में जब बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा तो उन्हें एनडीए उम्मीदवार के तौर पर एक बार फिर रुन्नीसैदपुर से टिकट दिया। इस बार उन्होंने मंगिता देवी को 24,629 वोटों से हरा दिया। मंगिता देवी को हराना इतने बड़े अंतर से हराना बड़ी बात थी, क्योंकि वह न सिर्फ मौजूदा विधायक थीं बल्कि इसी सीट से तीन बार विधायक रह चुके भोला राय की बहू भी हैं।

 

अगस्त 2022 में जब नीतीश कैबिनेट में पंकज मिश्रा को जगह नहीं मिली तो उन्होंने और उनके साथ चार विधायकों ने राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार कर दिया था।

 

2020 के हलफनामे में पंकज मिश्रा ने अपने पास 7.63 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। हैरानी वाली बात यह है कि 2015 में उनके पास 1.21 करोड़ रुपये की संपत्ति थी।

 

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विधानसभा का इतिहास

इस सीट पर अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं। इस सीट से कांग्रेस 4 बार चुनाव जीत चुकी है। कांग्रेस ने यहां से आखिरी जीत 1980 में हासिल की थी। 2000 के बाद से तीन-तीन बार आरजेडी और जेडीयू यहां से जीत चुकी है।

  • 1952: विवेकानंद गिरी (निर्दलीय)
  • 1957: त्रिवेणी प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
  • 1962: विवेकानंद गिरी (निर्दलीय)
  • 1967: विवेकानंद गिरी (कांग्रेस)
  • 1969: भुवनेश्वर राय (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
  • 1972: त्रिवेणी प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
  • 1977: नवल किशोर शाही (जनता पार्टी)
  • 1980: विवेकानंद गिरी (कांग्रेस)
  • 1985: नवल किशोर शाही (जनता पार्टी)
  • 1990: नवल किशोर शाही (जनता दल)
  • 1995: भोला राय (जनता दल)
  • 2000: भोला राय (आरजेडी)
  • 2005: भोला राय (आरजेडी)
  • 2005: गुड्डी देवी (जेडीयू)
  • 2010: गुड्डी देवी (जेडीयू)
  • 2015: मंगिता देवी (आरजेडी)
  • 2020: पंकज कुमार मिश्रा (जेडीयू)

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