भारत और नेपाल की सीमा से बिहार का शिवहर जिला सटा हुआ है। यहां की शिवहर विधानसभा सीट चर्चा में रहती है। इसकी एक वजह यह भी है यहां की जनता पार्टी बदलने के मूड में रहती है। आजादी के बाद जब कांग्रेस का एकछत्र राज हुआ करता था, तब भी शुरू के दो चुनावों में यहां कांग्रेस जीत नहीं सकी थी। यह सीट कांग्रेस के हाथ से होते हुए कभी आरजेडी तो कभी जेडीयू के खाते में आ जाती है।
यहां की ज्यादातर आबादी गांवों में बसी है। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। यहां धान, गेहूं, मक्का और दालों की खेती होती है। 2006 में पंचायती राज ने शिवहर को 250 सबसे पिछड़े जिलों में शामिल किया था। आज भी यहां बहुत विकास नहीं हुआ है।
यह सीट राजनीतिक लिहाज से काफी अहम है, क्योंकि यह बिहार के प्रमुख नेताओं में से एक रघुनाथ झा से जुड़ी रही है। रघुनाथ झा तीन अलग-अलग पार्टियों से यहां से 6 बार विधायक चुने गए हैं।
मौजूदा समीकरण
फिलहाल, आरजेडी के चेतन आनंद सिंह यहां से विधायक हैं। पिछले चुनाव में चेतन आनंद ने यहां से दो बार से जेडीयू विधायक शर्फुद्दीन को हराकर बड़ी जीत हासिल की थी। यहां की लगभग 10 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और 15 फीसदी मुस्लिम है। आरजेडी के चेतन आनंद अभी भी लोकप्रिय बने हुए हैं और उनकी बदौलत पार्टी को एक बार फिर जीत की उम्मीद है। वहीं, एनडीए इस बार यहां से किसी नए चेहरे को उम्मीदवार बना सकता है।
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2020 में क्या हुआ था?
2020 के चुनाव में आरजेडी के चेतन आनंद ने 36,686 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। उन्हें 73,143 जबकि जेडीयू के शर्फुद्दीन को 36,457 वोट मिले थे। एलजेपी के विजय कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे और उन्हें 18,748 वोट मिले थे। पिछले चुनाव में यहां लगभग 56 फीसदी वोटिंग हुई थी।
विधायक का परिचय
चेतन आनंद ने अपने राजनीतिक करियर की शुरआत जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) से की थी।
चेतन आनंद की एक पहचान यह भी है कि वे बाहुबली नेता आनंद मोहन के बेटे हैं। उनकी मां लवली आनंद जेडीयू से लोकसभा सांसद हैं। पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले लवली आनंद आरजेडी छोड़कर जेडीयू में आ गई थीं। लवली आनंद अभी वैशाली सीट से सांसद हैं।
चेतन आनंद 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले HAM को छोड़कर आरजेडी में शामिल हो गए थे। चेतन आनंद अभी 33 साल के हैं और उन्होंने पुणे की सिम्बॉयसिस यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। 2020 के चुनाव के वक्त दाखिल हलफनामे में उन्होंने अपने पास 67.17 लाख रुपये की संपत्ति होने की बात कही थी।
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विधानसभा का इतिहास
आजादी के बाद 1952 में जब यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो निर्दलीय उम्मीदवार राम स्वरूप राम की यहां से जीत हुई। 1957 के चुनाव में भी यहां से निर्दलीय उम्मीदवार ठाकुर गिरिजानंद सिंह जीते। इस सीट पर अब तक आरजेडी ने 5 बार, कांग्रेस ने 4 बार और जेडीयू ने 2 बार जीत हासिल की है।
- 1952: राम स्वरूप राम (निर्दलीय)
- 1957: ठाकुर गिरिजानंद सिंह (निर्दलीय)
- 1962: चितरंजन सिंह (कांग्रेस)
- 1967: ठाकुर गिरिजानंद सिंह (निर्दलीय)
- 1969: ठाकुर गिरिजानंद सिंह (भारतीय क्रांति दल)
- 1972: रघुनाथ झा (कांग्रेस)
- 1977: रघुनाथ झा (कांग्रेस)
- 1980: रघुनाथ झा (कांग्रेस)
- 1985: रघुनाथ झा (जनता पार्टी)
- 1990: रघुनाथ झा (जनता दल)
- 1995: रघुनाथ झा (जनता दल)
- 1998: ठाकुर रत्नाकर (आरजेडी)
- 2000: सत्यनारायण प्रसाद (आरजेडी)
- 2005: अजित कुमार झा (आरजेडी)
- 2005: अजित कुमार झा (आरजेडी)
- 2010: शर्फुद्दीन (जेडीयू)
- 2015: शर्फुद्दीन (जेडीयू)
- 2020: चेतन आनंद सिंह (आरजेडी)