बिहार के 38 जिलों में एक है पूर्णिया, पटना से 297 किलोमीटर दूर। बिहार की राजनीति की चर्चा पूर्णिया की चर्चा के बिना संभव नहीं है। वजह है यहां के बाहुबली नेता और यहां की विधानसभा सीटें। इन्हीं सीटों में से एक है धमदाहा। 90 के दशक में यह सीट जातिगत हिंसाओं का शिकार रही और अब तक विकास की बाट जोह रही है।
कोसी नदी से मचने वाली तबाही से मुक्ति और रोजगार यहां के लोगों की बड़ी मांग रही है। इलाके की आबादी ज्यादातर ग्रामीण है और ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर हैं। इस इलाके में SC, ST और मुस्लिमों की अच्छी खासी आबादी है।
मौजूदा समीकरण
फिलहाल यह सीट JDU की लेशी सिंह के कब्जे में है। आरजेडी लगातार 3 बार यहां से चुनाव हारी है। लेशी सिंह की पॉपुलैरिटी दमदाहा में बरकरार है, 2024 के लोकसभा चुनाव में इलाके पर उनकी पकड़ साफ दिखाई दी। हालांकि, चुनाव में पुर्णिया सीट निर्दलीय लड़ रहे पप्पू यादव जीते लेकिन धमदाहा में JDU 15,455 वोटों से आगे रही। अगर राजनीतिक समीकरणों में बहुत बड़ा बदलाव नहीं होता है, तो इस चुनाव में भी लेशी सिंह को कोई बहुत बड़ी चुनौती नहीं मिलती दिख रही है।
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2020 में क्या हुआ?
2015 में कांग्रेस ने धमदाहा सीट महागठबंधन के चलते आरजेडी को दी गई थी लेकिन उनके उम्मीदवार लेशी सिंह के दबदबे को तोड़ने में नाकाम रहे। 2020 के चुनाव में सीट फिर आरजेडी को मिली नतीजा फिर 2015 जैसा रहा और लेशी सिंह ने चुनाव जीता। उन्होंने आरजेडी के उम्मीदवार दिलीप कुमार यादव को 33 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। दिलीप ने 2005 में यह सीट जीती थी लेकिन वह फिर कभी उस जीत को नहीं दोहरा पाए।
विधायक का परिचय
लेशी सिंह बिहार की कोई आम महिला नेता नहीं हैं। वह बूटन सिंह की पत्नी हैं, वही बूटन सिंह जो 90 के दशक में पूर्णिया के मशहूर बाहुबली नेता हुआ करते थे। वह समता पार्टी के जिलाध्यक्ष थे।
इलाके में उनका दबदबा ऐसा था कि लेशी के पहले चुनाव के वक्त वह जेल में थे फिर भी राजनीति में अनुभवहीन उनकी पत्नी समता पार्टी की टिकट पर चुनाव जीत गईं। हालांकि, कुछ ही महीनों बाद 19 अप्रैल साल 2000 में बूटन सिंह की पूर्णिया की कोर्ट में हत्या कर दी गई।
बूटन की हत्या के बाद से ही धमदाहा की राजनीति में पत्नी लेशी और सक्रिय हो गईं। पति से विरासत में मिली राजनीति को लेशी ने बखूबी संभाला। वह 5 बार धमदाहा सीट जीत चुकी हैं। हालांकि फरवरी 2005 में चुनाव जीतने के 8 महीने बाद हुए उपचुनाव में लेशी हार गईं थीं। वे कई बार नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री रही हैं। फिलहाल, वह बिहार में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री हैं।
बाहुबली पति की छत्रछाया में राजनीतिक सफर शुरू करने के बाद से वह लगातार अपनी छवि साफ करने की कोशिश कर रही हैं। लेशी ने 12वीं तक पढ़ाई की है। एडीआर की रिपोर्ट, के मुताबिक लेशी सिंह के पास ढाई करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है।
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विधानसभा का इतिहास
बिहार की धमदाहा विधानसभा सीट 1957 से अस्तित्व में है। फिलहाल भले ही यह हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार नहीं है लेकिन कभी यह बिहार में 100 दिन की सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री भोला पासवान की सीट थी।
शुरुआती चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा जिसे 1969 में समता पार्टी के कालिका प्रसाद सिंह ने तोड़ा। इसके बाद यह सीट समाजवादियों और जनता पार्टी से होते हुए JDU की होते चले गई। पिछले 15 सालों से JDU की लेशी सिंह धमदाहा सीट से विधायक हैं।
- 1957 - भोला पासवान, लक्ष्मी नारायरण सुधांशु (कांग्रेस)
- 1962- लक्ष्मी नारायण सुधांशु (कांग्रेस)
- 1969- कालिका प्रसाद सिंह (समता पार्टी)
- 1972- जय नारायण मेहता (कांग्रेस)
- 1977 - सूर्य नारायण यादव (जनता पार्टी)
- 1980- सूर्य नारायण यादव (जनता पार्टी)
- 1985- अमरनाथ तिवारी (कांग्रेस)
- 1995- दिलीप कुमार यादव (जनता दल)
- 2000 - लेशी सिंह (समता पार्टी)
- 2005- लेशी सिंह (JDU)
- 2005- दिलीप कुमार यादव (RJD) उपचुनाव में जीते
- 2010- लेशी सिंह (JDU)
- 2015- लेशी सिंह (JDU)
- 2020- लेशी सिंह (JDU)