भारत और नेपाल के बीच जिस जमीन से सीमाएं खींची गई थीं, उस जमीन का नाम है सुगौली। पूर्वी चंपारण जिले की 12 विधानसभा सीटों में से एक और सबसे ऐतिहासिक। साल 1816 में यह जमीन, अंग्रेजों और गोरखा योद्धाओं के बीच हुए समझौते की साक्षी बनी। सुगौली में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गोरखा लड़ाकों ने जंग छेड़ दी थी। लड़ाई सीमा को लेकर थी। यह वही जमीन है, जहां से भारत और नेपाल की सीमाएं तय हुई थीं।
सुगौली के अतीत को लेकर रामायण से लेकर बौद्ध काल तक से जोड़कर देखते हैं। कहते हैं कि यह तिरहुत प्रदेश का हिस्सा था। चंपारण में गौतम बुद्ध ने उपदेश भी दिया था। यहां महात्मा गांधी के बुलावे पर कई स्वतंत्रता सेनानी सत्याग्रह आंदोलन में कूद पड़े थे। तूनी झा, लक्ष्मी नारायण झा, उपेंद्र झा, सुखम मिश्रा जैसे कई सेनानियों ने आजादी की जंग लड़ी। सुगौली विधानसभा सीट अब पश्चिमी चंपारण लोकसभा सीट का हिस्सा है, पहले यह बेतिया लोकसभा सीट का हिस्सा थी।
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सुगौली विधानसभा में जातीय समीकरण मिला-जुला है। यहां यादव और मुस्लिम सबसे प्रभावशाली समुदाय हैं। करीब 13 फीसदी आबादी है, मुस्लिम 24 फीसदी हैं। कोईरी 5 प्रतिशत, राजपूत 6 प्रतिशत, ब्राह्मण 7 प्रतिशत, दलित वोटर 13 फीसदी हैं।
मौजूदा समीकरण?
सुगौली विधानसभा सीट पर अभी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का कब्जा है। यहां से शशि भूषण सिंह विधायक हैं। यह सीट, एक जमाने में बीजेपी की गढ़ रही है। साल 2005, 2010 और 2015 में लगातार राम चंद्र सहनी यहां से विधायक रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी, 5 साल पहले गंवाई गई सीट को हासिल करने की कोशिश करेगी। एनडीए के साथियों पर भी इस सीट को हासिल करने के लिए बीजेपी दबाव डाल सकती है। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल एक बार फिर चाहेगी कि टिकट बंटवारे में यह सीट, उसी के खाते में आए। एनडीए को यह सोचना होगा कि अब कोई ऐसा प्रत्याशी उतारे जो शशि भूषण सिंह को चुनौती दे सके।
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2020 का चुनाव कैसा था?
सुगौली बीजेपी के दबदबे वाली सीट रही है। साल 2005, 2010 और 2015 के चुनाव में लगातार 3 बार बीजेपी के नेता रामचंद्र सहनी यहां से चुनाव लड़े। 2020 में एनडीए गठबंधन में यह सीट विकासशील इंसान पार्टी के खाते में गई तो उस पार्टी से भी रामचंद्र सहनी ही चुनावी मैदान में उतरे। डेढ़ दशक के अंसतोष के चलते यह चुनाव मामूली अंतर से राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी शशि भूषण सिंह जीतने में कामयाब हुए। आरजेडी को कुल 65267 वोट पड़े वहीं वीआईपी को 61820 वोट पड़े। चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी ने यहां से विजय प्रसाद गुप्ता को टिकट दिया था। उन्हें कुल 14118 वोट पड़े।
विधायक का परिचय
आरजेडी के शशि भूषण सिंह सुगौली के विधायक हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। चुनावी हलफनामे के मुताबिक, इनकी कुल सपंत्ति करीब 1 करोड़ 51 लाख के आसपास है। इन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। शशि भूषण सिंह ठेकेदारी में सक्रिय रहे हैं। वह पहली बार साल 2020 में ही विधायक चुने गए थे। इससे पहले, 2015 में वह इसी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े थे लेकिन चुनाव हार गए थे।
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विधानसभा सीट का इतिहास
साल 1952 में पहली बार इस विधानसभा सीट पर चुनाव हुए थे। तब यहां कांग्रेस पार्टी के जय नारायण प्रसाद ने जीत हासिल की थी। 1962 के विधानसभा चुनाव में विद्या किशोर विद्यालंकार यहां से चुने गए। साल 1967 में भारतीय जन संघ के एमएल मोदी चुने गए। 1972 के चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के अजीजुल हक चुने गए। 1977 और 1980 के चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के राम सराय सिंह चुने गए। यहां अब तक 16 चुनाव हो चुके हैं।
- 1952- जय नारायण प्रसाद (कांग्रेस)
- 1962- विद्या किशोर बिद्यालंकर (कांग्रेस)
- 1967- एम एल मोदी (भारतीय जनसंघ)
- 1969- बद्री नारायण झा (कांग्रेस)
- 1972- अजीजुल हक (सोशलिस्ट पार्टी)
- 1977- रामाश्रय सिंह (CPI)
- 1980- रामाश्रय सिंह (CPI)
- 1985- सुरेश कुमार मिश्र (कांग्रेस)
- 1990- रामाश्रय सिंह (CPI)
- 1995- चंद्र शेख द्विवेदी (निर्दलीय)
- 2000-विद्या प्रसाद गुप्ता (कोसल पार्टी)
- 2005- विद्या प्रसाद गुप्ता (आरजेडी)
- 2005-रामचंद्र सहनी (बीजेपी)
- 2010-रामचंद्र सहनी (बीजेपी)
- 2015-रामचंद्र सहनी (बीजेपी)
- 2020- शशि भूषण सिंह (आरजेडी)