संजय सिंह, पटना: छठ पूजा के साथ-साथ चुनाव प्रचार का शोर भी बढ़ता जा रहा है। दलीय और निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। प्रचार के दौरान अजब गजब रंग भी दिखाई दे रहे हैं। कुछ प्रत्याशियों ने महिला वोटरों को आकर्षित करने के लिए अपनी पत्नियों को भी मैदान में उतारा है। छठ के मौके पर सामाजिक सद्भाव और एकता का भी संदेश दिया जा रहा है। जिसका जैसा सामर्थ्य है उस हिसाब से चुनाव प्रचार चल रहा है। 

शिवहर विधानसभा क्षेत्र में भी चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वहां के निर्दलीय प्रत्याशी संजय संघर्ष सिंह अपने प्रचार के तरीकों को लेकर सुर्खियों में है। उन्हें चुनाव चिन्ह के रूप में जंजीर मिला है। अपने मिले चुनाव चिन्ह को उन्होंने खुद गले से लेकर पैर तक जकड़ लिया है। 

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हाथ में जंजीर लटकाकर वोट मांग रहे लोग

संजय संघर्ष सिंह, हाथ-गले में जंजीर लपेटे घर घर जाकर वोट मांग रहे हैं। उनका कहना है कि वह बागमती नदी पर अदौरी खोरी पाकड़ घाट पर पुल निर्माण के लिए मैदान में उतरे हैं। वे मतदाता से यह वादा कर रहे हैं कि चुनाव जीतने के बाद हर हाल में पुल निर्माण का कार्य कराएंगे। पिछले चुनाव के दौरान भी उन्हें जंजीर ही चुनाव चिन्ह मिला था।

साइकिल और बाल्टी के सहारे चुनाव का प्रचार 

शेखपुरा विधानसभा क्षेत्र का भी एक प्रत्याशी अपने चुनाव प्रचार को लेकर चर्चे में है। चुनाव मैदान में डटे अन्य प्रत्याशी अपनी अपनी हैसियत के अनुसार वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस चुनाव में शेखपुरा नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 11 से निर्वाचित पार्षद सुनील कुमार भी मैदान में हैं। उनका चुनाव चिन्ह बाल्टी है। सुनील अपनी साइकिल में बाल्टी लगाकर गांव गांव में वोट मांग रहे हैं। 

उनका कहना है कि साइकिल से मतदाताओं से जनसंपर्क करने में सुविधा होती है। उनकी समस्याओं को जानने और सुनने में ज्यादा मशक्कत नहीं करना पड़ता है। उनका कहना है कि यदि मतदाता उन्हें विधायक के रूप में आशीर्वाद देते हैं तो आने वाले दिनों में हर पंचायत में 'विधायक आपके द्वार' कार्यक्रम चलाएंगे और जनता की समस्या को दूर करेंगे। आज सच तो यह है कि जनता की बात सुनी ही नहीं जाती। 

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मंत्री की पत्नी भी मांग रही वोट

बांका के अमरपुर विधानसभा क्षेत्र में भी चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशियों के बीच घमासान मचा हुआ है। जेडीयू के नगर विकास मंत्री जयंत राज कुशवाहा भी चुनाव मैदान में हैं। अपने पति के चुनाव प्रचार की कमान उनकी पत्नी शिल्पी सुरभि ने संभाल रखी है। महिलाओं की टीम के साथ वह गांव और शहरी क्षेत्रों में जाकर अपने पति के लिए वह वोट मांग रही हैं।

उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी जितेंद्र सिंह हैं। कांग्रेस प्रत्याशी की पत्नी अर्चना सिंह भी चुनाव प्रचार में पीछे नही है। वह भी आंचल बिछाकर अपने पति के लिए वोट मांग रही है। बेलहर के पूर्व विधायक और जेडीयू प्रत्याशी मनोज यादव की पत्नी सिंपल देवी भी अपने पति के लिए वोट मांग रही हैं। उम्मीदवारों का मानना है कि चुनाव में महिलाएं वोट अधिक डालती हैं। आधी आबादी को उनकी पत्नियां ही अच्छी तरह समझा सकती हैं। महिला वोटरों से आशीर्वाद बिना मिले चुनाव जीतना संभव नही है।

अश्विनी चौबे लौटकर प्रचार में लगे

बीजेपी के कद्दावर नेता अश्वनी चौबे केंद्र व राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने उन्हें बक्सर से दुबारा टिकट नहीं दिया। इससे वे नाराज हो गए, लेकिन पार्टी के सिद्धांत और नीति के आगे उनका एक न चला। पहले से नाराज चौबे इस बार अपने बेटे अर्जित चौबे को भागलपुर विधानसभा का टिकट दिलवाना चाहते थे। पार्टी ने ऐसा नही करके भागलपुर से सामान्य कार्यकर्ता रोहित पांडेय को टिकट दे दिया। इससे चौबे जी की नाराजगी दोगुनी हो गई। नाराज चौबे के पुत्र ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन भी कर दिया था। बात बीजेपी के बड़े नेताओं तक पहुंच गई। बड़े नेताओं के हस्तक्षेप के बाद अर्जित ने अपना नामांकन वापस ले लिया। नाराज चौबे जी भी आरा से पार्टी का चुनाव प्रचार शुरु कर दिया। लोगों के बीच इस बात की चर्चा है कि देर से ही सही चौबे जी और उनके पुत्र घर वापस लौट गए।