सिवान: विधानसभा में महागठबंधन भारी, NDA का कम चलता है दांव
सिवान की लोकसभा सीटें तो एनडीए के खाते में रहती हैं लेकिन विधानसभा में एनडीए चूक जाता है। यहां क्या समीकरण हैं, आइए जानते हैं।

सिवान। Photo Credit: Khabargaon
बिहार का सिवान जिला,राजनीतिक और एतिहासिक दोनों वजहों से खास है। यह देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का गृहनगर भी है तो 8वीं शताब्दी के विशाल बनारस साम्राज्य का हिस्सा भी रहा है। 13वीं सदी तक, यहां विदेशी आक्रांताओं का आक्रमण हो गया था। जब 17वीं सदी, अपने अंतिम दौर में थी, तब यहां धीरे-धीरे डच आए। कुछ साल बाद अंग्रेज आए। बक्सर की लड़ाई के बाद सिवान को बंगाल में मिला दिया गया। जब देश, आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब सिवान की भूमिका बेहद अहम रही।
सिवान की पौराणिक मान्यता यह है यह द्रोणाचार्य का नगर था। दरौली में एक कुछ खंडहर हैं, जिन्हें द्रोणाचार्य से जोड़कर देखा जाता था। सीवान का सबसे प्रसिद्ध स्तूप डोना का स्तूप है, जो दरौली प्रखंड के डॉन गांव में स्थित है। यह एक महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थल है और प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने भी इसका जिक्र किया था।
सिवान का इतिहास
सिवान आजादी की लड़ाई का अहम केंद्र रहा है। यह ब्रज स्वतंत्रता सेनानी, ब्रज किशोर प्रसाद की कर्मभूमि भी रहा है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सिवान जिले के एक गांव जिरादेई के रहने वाले थे। वह भी स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। मौलाना मजहरुल हक भी सीवान से ही थे। यह जमीन, अंग्रेजों के भारत छोड़ो आंदोलन की साक्षी रही है। 2 दिसंबर, 1972 तक, सिवान, सारण जिले का हिस्सा था। 3 दिसंबर 1972 को सिवान, सारण से अलग हुआ। सीवान में 15 ब्लॉक हैं। हिमालय की तराई इलाके में बसा यह जिला खेती-किसानी के लिए सबसे उपयुक्त जगहों में से एक है।
राजनीतिक नजरिए से सिवान
सिवान जिले में दो लोकसभा सीटें हैं। सिवान और महाराजगंज। सिवान की सांसद कविता सिंह हैं। महाराजगंज की सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल हैं। एक सीट जेडीयू और दूसरी सीट बीजेपी की। लोकसभा में एनडीए का दबदबा है। सिवान में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं। सिवान, जिरदेई दरौली, रघुनाथपुर, दरौंधा, बडहरिया, गोरेयाकोठी और महाराजगंज। 3 सीट पर आरजेडी, 2 पर सीपीआई (एमएल), बीजेपी 2 और एक सीट पर कांग्रेस है। ऐतिहासिक तौर पर भी यहां एनडीए और महागठबंधन में कांटे की लड़ाई रही है। सिवान में कांग्रेस और आरजेडी का दबदबा रहा है अब एनडीए ने अपनी मजबूत दावेदारी दिखाई है। महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में अब बीजेपी का दबदबा है। 1984 तक, यहां कांग्रेस सबसे मजबूत स्थिति में थी।
विधानसभा पर एक नजर
- सिवान: अवध बिहारी चौधरी, आरजेडी के टिकट पर यहां साल 2020 में विधायक चुने गए। साल 1952 में यह सीट अस्तित्व में आई थी, तब शंकर नाथ पहली बार कांग्रेस से विधायक चुने गए थे। उनके बाद राम बासावन राम विधायक बने। 1957 में गदाधर प्रसाद श्रीवास्तव विधायक बने लेकिन 1959 में हुए उपचुनाव में यहां से एस देवी जीतीं। 2005 से 2015 तक, लगातार यहां से व्यास देव प्रसाद चुने जा रहे थे। साल 2020 के चुनाव में समीकरण बदला और अवध बिहारी चौधरी विधायक चुने गए। यहां अब तक 4 बार कांग्रेस, 3 बार जनसंघ, 2-2 बार जनता पार्टी और जनता दल, 3 बार आरजेडी और 3 बार बीजेपी चुनाव जीती है।
- जीरादेई: यहां के विधायक सीपीआई (एमएल) लीडर अमरजीत कुशवाहा हैं। अब तक 17 विधानसभा चुनाव यहां हो चुके हैं। 1957 में यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस के जावर हुसैन विधायक चुने गए। 5 बार कांग्रेस, तीन बार निर्दलीय उम्मीदवार, एक बार जनता पार्टी, 2 बार जनता दल, 2 बार आरजेडी, 2 बार जेडीयू और एक बार बीजेपी यहां से चुनाव जीती है।
- दरौली: यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा है। यहां से सीपीआई (एमएल) के सत्यदेव राम विधायक हैं। दरौली विधानसभा में अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। CPI (माले) ने 5 बार जीत दर्ज की है, जबकि कांग्रेस को 4 बार जीत मिली है। बीजेपी और जनसंघ ने 3 बार जीत दर्ज की। जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, लोकदल, जनता दल और राष्ट्रीय जनता दल ने एक-एक बार जीत हासिल की है।
- रघुनाथपुर: आरजेडी के हरिशंकर यादव यहां से विधायक हैं। रघुनाथपुर में अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस यहां से 8 बार जीत चुकी है, RJD ने 2015 और 2020 के चुनाव में जीत हासिल की। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, जनता दल, जेडीयू, बीजेपी और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी एक-एक बार जीत हासिल की है। रघुनाथपुर विधानसभा में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है।
- दरौंधा: बीजेपी के कर्णजीत सिंह, यहां से विधायक हैं। साल 2010 में इस विधानसभा पर पहली बार चुनाव हुए। यह सीट, एनडीए के दबदबे वाली सीट रही है। पहली बार इस सीट से जेडीयू की जगमातो देवी विधायक बनीं। 2011 में जगमातो देवी का निधन हो गया था, जिसके बाद हुए उपचुनाव में कविता सिंह विधायक चुनीं गईं। साल 2015 में भी उन्होंने ही जीत हासिल की। 2019 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव में करणजीत सिंह जीते। करणजीत सिंह 2020 के चुनाव में विजयी हुए थे।
- बडहरिया: साल 2020 के विधानसभा चुनाव में बच्चा पांडेय यहां से आरजेडी के टिकट पर चुनाव जीते। यह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ रहा, तो कभी वामपंथ और कभी जनसंघ का। 2020 में आरजेडी ने बाजी मारी लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। 3 बार कांग्रेस, एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, 2 बार CPI, एक बार जनसंघ, 2 बार जेडीयू और एक बार आरजेडी चुनाव जीती।
- गोरियाकोठी: यहां से देवेशकांत सिंह विधायक हैं, वह बीजेपी से हैं। गोरियाकोठी विधानसभा 1967 से अस्तित्व में है लेकिन साल 2008 में इस विधानसभा में परिसीमन हुआ था। 2010 में चुनाव हुए। पुनर्गठन से पहले यहां 11 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस पार्टी ने यहां से 4 बार जीत दर्ज की, जेडीयू और आरजेडी को भी 2-2 बार जीत मिली है।
- महाराजगंज: कांग्रेस नेता विजय शंकर दुबे यहां से विधायक हैं। इस विधानसभा में अब तक 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं। जेडीयू ने पांच बार जीत हासिल की है। एक बार समता पार्टी भी जीती है। कांग्रेस और जनता पार्टी ने तीन-तीन जीत हासिल की है। जनता दल को भी एक बार जीत मिली है। किसान मजदूर प्रजा पार्टी, स्वतंत्र पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय क्रांति दल ने एक-एक बार जीत हासिल की है। आरजेडी और बीजेपी को यहां जीत नहीं मिली है। 2005 से लेकर 2015 तक यहां जेडीयू की जीत होती रही, 2020 में कांग्रेस जीती।
जिले का प्रोफाइल
- आबादी: 33,30,464
- क्षेत्रफल: 2219 वर्ग किलोमीटर
- साक्षरता दर: 71.59 प्रतिशत
- ब्लॉक: 19
- गांव: 1528
- नगर निगम: 9
- लोकसभा सीटें- 2
- विधानसभा सीटें- 8
- RJD-3
- CPI (ML)- 2
- BJP- 2
- कांग्रेस- 1
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