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जीरादेई विधानसभा: वामपंथियों के गढ़ वाली सीट पर बरकरार रहेगी CPI-ML?

सीवान जिले की जीरादेई विधानसभा में दो दशकों में कभी कोई उम्मीदवार दोबारा नहीं जीता। अभी यहां भाकपा (माले) का कब्जा है।

ziradei assembly

जीरादेई विधानसभा सीट, Photo Credit- KhabarGaon

बिहार के सीवान जिले में आने वाली जीरादेई विधानसभा सीट इसलिए चर्चित है, क्योंकि भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली यहीं है। इस जगह की एक पहचान यह भी है कि यहीं पर मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव का भी जन्म हुआ था। मिथिलेश कुमार को ही 'नटवरलाल' के नाम से जाना जाता है। यह इतने बड़े ठग थे कि उन्होंने ताजमहल तक को बेच डाला था।


जीरादेई की एक तीसरी पहचान भी है। जीरादेई वही विधानसभा सीट है, जहां से बाहुबली नेता शाहबुद्दीन ने दो बार जीत हासिल की थी। शाहबुद्दीन 1990 और 1995 का चुनाव जीता था।

 

जीरादेई का चुनावी इतिहास भी काफी पुराना है। यहां अब तक एक 17 बार चुनाव हो चुके हैं। यह कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। यह वह सीट है, जहां हर पार्टी को मौका मिला है। दो बार निर्दलीय भी यहां से जीत चुके हैं। 2020 में यहां भाकपा (माले) जीती थी।

 

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मौजूदा समीकरण

बाकी कई सीटों की तरह ही जीरादेई में भी मुस्लिम-यादव यानी M-Y समीकरण काम करता है। माना जाता है कि यहां कुशवाहा वोटरों की अच्छी-खासी आबादी है और यह निर्णायक भूमिका में रहते हैं। पिछले दो चुनाव में यहां कुशवाहा ही जीते हैं। इनका रुझान लेफ्ट की तरफ भी बढ़ा है। 

2020 में क्या हुआ था?

पिछले विधानसभा चुनाव में जीरादेई से भाकपा (माले) के उम्मीदवार अमरजीत कुशवाहा ने जीत हासिल की थी। उन्होंने जेडीयू की कमला सिंह को 25 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। भाकपा (माले) के अमरजीत को 69,442 वोट और कमला सिंह को 43,932 वोट मिले थे।

विधायक का परिचय

जीरादेई सीट से भाकपा (माले) के विधायक अमरजीत सिंह कुशवाहा काफी विवादित नेता रहे हैं। अमरजीत सीवान जिले के ही रहने वाले हैं। यूपी की गोरखपुर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद सीवान लौट आए और पार्टी को मजबूत करने का काम किया।


2012 में उन्हें भाकपा (माले) की स्टेट कमेटी का सदस्य चुना गया था। 2015 में भी उन्होंने जीरादेई सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए। उस चुनाव में वह तीसरे नंबर पर रहे थे लेकिन उन्हें 25% वोट मिले थे। 2020 में उन्होंने जबरदस्त वापसी की और 25 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीता।


अमरजीत 2013 के चर्चित चिल्हमरवा केस में आरोपी भी थे। तब बेलूर गांव के मुखिया राजू सिंह और उनके बेटे उमेश सिंह की हत्या कर दी गई। अमरजीत को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, 2024 में अदालत ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया था।


2020 में दाखिल हलफनामे में उन्होंने अपने पास 19.81 लाख रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। उनके खिलाफ 14 क्रिमिनल केस दर्ज थे।

 

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विधानसभा का इतिहास

जीरादेई वह सीट है जहां पिछले दो दशकों में कोई भी उम्मीदवार दोबारा नहीं जीता। अब तक यहां 17 चुनाव हो चुके हैं।

  • 1957: जावर हुसैन (कांग्रेस)
  • 1962: राजा राम चौधरी (स्वतंत्र पार्टी)
  • 1967: जावर हुसैन (कांग्रेस)
  • 1969: जावर हुसैन (कांग्रेस)
  • 1972: शंकरनाथ विद्यार्थी (निर्दलीय)
  • 1977: राजा राम चौधरी (कांग्रेस)
  • 1980: राघव प्रसाद (जनता पार्टी)
  • 1985: त्रिभुवन सिंह (कांग्रेस)
  • 1990: मोहम्मद शहाबुद्दीन (निर्दलीय)
  • 1995: मोहम्मद शहाबुद्दीन (जनता दल)
  • 1996: श्यो शंकर यादव (जनता दल)
  • 2000: अजाजुल हक (आरजेडी)
  • 2005: अजाजुल हक (आरजेडी)
  • 2005: श्याम बहादुर सिंह (जेडीयू)
  • 2010: आशा देवी (बीजेपी)
  • 2015: रमेश सिंह कुशवाह (जेडीयू)
  • 2020: अमरजीत कुशवाहा (भाकपा-माले)

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