कुछ चुनाव में कई ऐसी सीटें होती हैं जो किसी खास पार्टी के लिए बेहद मुश्किल होती हैं। उन सीटों पर उस पार्टी के लिए जीत हासिल करना बहुत मुश्किल हो जाता है। दिल्ली की सत्ता पर ढाई दशक से वापसी का इंतजार कर रही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सामने भी दिल्ली में ऐसी कई चुनौतियां हैं। इस बार इन सीटों को साधने के लिए बीजेपी ने उन नेताओं को अपने साथ लिया है जो कभी कांग्रेस में रहे थे और उन सीटों पर जीतने आए थे। ऐसी ही तीन सीटों पर अब तक हो चुके कुल 21 चुनावों में बीजेपी को सिर्फ 5 जीत हासिल हुई है। एक सीट तो ऐसी भी है जहां बीजेपी को कभी जीत ही नसीब नहीं हुई। ऐसे में बीजेपी ने कांग्रेसी नेताओं को अपने साथ लेकर उन्हें टिकट दे दिया है और उनके पीछे खूब मेहनत भी की जा रही है।

 

इन तीन सीटों का नाम मंगोलपुरी, गांधी नगर और कस्तूरबा नगर है। कस्तूरबा नगर में बीजेपी को आखिरी जीत 2003 के चुनाव में मिली थी। गांधी नगर में 1993 के बाद 2020 में जीत मिली लेकिन वह जीत भी AAP से आए अनिल कुमार बाजपेई के दम पर मिली। तीसरी सीट मंगोलपुरी की है। वहां अभी तक बीजेपी कभी भी जीत नहीं पाई है। इन तीनों ही सीटों पर बीजेपी ने ऐसे नेताओं को चुनाव में उतारा है जो न सिर्फ कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं बल्कि अपनी-अपनी सीटों पर विधायक भी रह चुके हैं।

 

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आंबेडकर नगर- नीरज बसोया

 

इस सीट पर बीजेपी ने 1993, 1998 और 2003 में जीत हासिल की थी। 2008 में कांग्रेस के टिकट पर नीरज बसोया ने जीत हासिल की थी। हालांकि, 2013 में AAP की एंट्री से सब बदल गया। 2013 और 2015 में नीरज बसोया कांग्रेस के टिकट पर लड़कर चुनाव हारे बल्कि तीसरे नंबर पर रहे। 2020 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट भी नहीं दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीरज बसोया बीजेपी में शामिल हो गए। अब नीरज बसोया को बीजेपी ने इस सीट से टिकट दिया है। कांग्रेस ने फिर से अभिषेक दत्त को टिकट दिया है जो 2020 में तीसरे नंबर पर रहे थे। वहीं, AAP ने तीन बार के विधायक मदन लाल का टिकट काटकर बीजेपी से आए रमेश पहलवान को उतार दिया है। ऐसे में बीजेपी को नीरज बसोया से बहुत उम्मीदें हैं कि वह इस सीट पर बीजेपी का सूखा खत्म करने में कामयाब हो पाएंगे।

गांधी नगर- अरविंद सिंह लवली

 

अरविंद सिंह लवली कांग्रेस के कद्दावर नेता और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री रहे हैं। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले तक वह दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे। हालांकि, टिकट बंटवारे को लेकर हुई अनबन के चलते उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का हाथ थाम लिया। गांधी नगर सीट पर 1993 में बीजेपी को जीत मिली थी। उसके बाद लगातार चार चुनाव अरविंद सिंह लवली ने कांग्रेस के टिकट पर जीते। 2015 में कांग्रेस ने अरविंद सिंह लवली को टिकट नहीं दिया। तब AAP के अनिल कुमार बाजपेई ने जीत हासिल की। 2020 में यही अनिल कुमार बाजपेई बीजेपी में चले गए और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े। अरविंदर लवली तब कांग्रेस के टिकट पर लड़े और फिर तीसरे नंबर पर रहे। बीजेपी अनिल कुमार बाजपेई के सहारे जीत तो गई लेकिन जीत-हार का अंतर बहुत ज्यादा नहीं रहा। ऐसे में बीजेपी ने इस बार अरविंदर लवली को मैदान में उतार दिया है ताकि वह इस सीट को अपने कब्जे से जाने न दे।

 

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मंगोलपुरी- राजकुमार चौहान

 

राजकुमार चौहान दशकों से कांग्रेस के कद्दावर नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री रहे हैं। हालांकि, 2013 में AAP की लहर में नई-नवेली राखी बिड़लान ने उन्हें चुनाव हरा दिया। 2015 में कांग्रेस ने उन्हें फिर टिकट दिया लेकिन वह फिर से हार गए। अच्छी बात यह रही कि वह दूसरे नंबर पर रहे। अगली बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया और कांग्रेस इस सीट पर तीसरे नंबर पर चली गई। बाद में राजकुमार चौहान बीजेपी में शामिल हो गए। अभी तक इस सीट पर कुल चार बार कांग्रेस और तीन बार AAP ने जीत हासिल की है। ऐसे में बीजेपी को राजकुमार चौहान से बड़ी उम्मीदे हैं कि वह उसके लिए इस सीट पर खाता खोलेंगे।