बिहार के विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है। चुनाव प्रचार अंतिम दौर में है और बयानबाजी जोरों पर है। इसी बयानबाजी के क्रम में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद अशोक यादव ने कुछ ऐसा कहा है जिस पर विवाद होने लगा है। केवटी विधानसभा सीट के लिए प्रचार करते समय मधुबनी के सांसद अशोक यादव ने कहा कि मुस्लिम लाभ तो लेते हैं लेकिन बीजेपी को वोट नहीं देते। इसके आगे उन्होंने यह भी कहा कि जो वोट नहीं देते, उन्हें लाभ से भी तौबा-तौबा कर लेनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केवटी में चुनाव होते हैं तो ऐसा लगता है जैसे पाकिस्तान के बॉर्डर पर लड़ाई हो रही हो।
अशोक यादव मधुबनी से दो बार के सांसद हैं। हाल ही में वह दरभंगा जिले की केवटी विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे। उनके साथ केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय भी थे। बता दें इस सीट पर फिलहाल बीजेपी का ही कब्जा है। 2020 में जीते मुरारी मोहन झा को बीजेपी ने फिर से मौका दिया है और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने पूर्व विधायक फराज फातमी को फिर से उतारा है।
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क्या बोले थे अशोक यादव?
यहां प्रचार करते हुए अशोक यादव ने कहा था, 'केवटी का विधानसभा चुनाव जब होता है तो लगता है कि हम पाकिस्तान के बॉर्डर पर जाकर लड़ाई कर रहे हैं। 500 से 1100 लेते हो लेकिन वोट नहीं देते हो तो मैं कहता हूं कि कह दो तौबा-तौबा यह लाभ नहीं लेंगे। हम तो कहते हैं कि मुसलमान भाइयो, मुख्यधारा में आइए और बीजेपी के साथ आइए।'
इस मामले पर विवाद बढ़ने के बाद अशोक यादव ने कहा है, 'मेरा बयान था कि नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार सबके लिए काम करते हैं। हिंदू हो, मुसलमान हो, दलित हो, पिछड़ा हो, अति पिछड़ा हो। अगर हम सबके लिए काम करते हैं तो चुनाव में हमारी अपेक्षा रहती है कि सभी वर्गों का वोट मिले। हमको सभी वर्गों का वोट मिलता है लेकिन जहां-जहां मुसलमानों का बूथ है, प्योर मुसलमान का बूथ है, वहां पर हमें जीरो मिलता है। यही मैंने आग्रह किया कि आप भी आइए, विकास का लाभ आपको भी मिल रहा है। अगर आपको नरेंद्र मोदी से इतनी नफरत है तो जो सारे विकास के काम का आप लाभ ले रहे हैं, तो उससे भी आप तौबा-तौबा कह दो।'
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विपक्ष पर लगाए आरोप
उन्होंने आगे कहा, 'नरेंद्र मोदी तो सबका साथ सबका विकास पर चलते हैं, किसी के साथ भेदभाव तो करते नहीं हैं। आखिर सांप्रदायिक कौन? हम पर आरोप लगाया जाता है कि हम सांप्रदायिक हैं लेकिन सांप्रदायिक आधार पर वोट डालता कौन है? केवटी में चुनाव होने जा रहा है, आरजेडी का जो प्रत्याशी है, उसके पक्ष में एक कौम के लोग गोलबंद क्यों हैं? हम विकास के आधार पर जनता के बीच जाते हैं, बाकी विरोधी धर्म और जाति के आधार पर वोट मांग रहा है।'
वोट न मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'दूसरे पक्ष के लोग सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रहे हैं। जो बहुसंख्यक समाज के लोग हैं, उन बूथों पर भी महागठबंधन को कुछ न कुछ वोट मिलता है। बिहार में MY समीकरण है तो यादवों के बूथ पर बीजेपी को वोट मिलता है। सिर्फ एक संप्रदाय के लोग हैं, जहां हमें वोट नहीं मिलता है। इसीलिए उन लोगों से हम आग्रह करते हैं कि आप भी आइए विकास की धारा में, आपके लिए भी हम काम करेंगे। यहां बीजेपी के कार्यकर्ताओं में जोश-खरोश रहता है। हम चाहते हैं कि विकास के मुद्दे पर चुनाव हो लेकिन विपक्ष के लोग जाति और संप्रदाय के मुद्दे पर चुनाव ले जाना चाहते हैं। स्वाभाविक है कि यहां ऐसा लगता है कि सीमा पर लड़ाई लड़ रहे हों।'
बता दें कि पिछली बार केवटी का चुनाव काफी रोमांचक रहा था और मुरारी मोहन झा सिर्फ 5126 वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे। इससे पहले, 2015 में फराज फातमी ही यहां से चुनाव जीते थे। तब उन्होंने बीजेपी के तीन बार के विधायक अशोक कुमार यादव को चुनाव हरा दिया था।
