बिहार विधानसभा चुनाव में मोकामा से जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह को जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के आरोप में शनिवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई पटना के एसएसपी ने निर्देशन में हुई। इस समय चुनाव के बीच दुलारचंद यादव हत्याकांड बिहार में बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिसको लेकर विपक्षी दल एनडीए सरकार और चुनाव आयोग को आड़े हाथों ले रहे थे।
डॉन से नेता बने अनंत सिंह पिछले दो दशकों से मोकामा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने 2005 में पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा था।
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कौन हैं अनंत सिंह?
वहीं, अनंत सिंह का परिवार 1990 से मोकामा विधानसभा सीट पर जीतता आ रहा है। हालांकि, मोकामा से एक बार उनके प्रतिद्वंद्वी बाहुबली नेता सूरजभान सिंह ने जीत ली थी। अनंत सिंह 2010 में फिर से मोकामा से विधायकी का चुनाव जीत गए और विधायक बनकर बिहार विधानसभा पहुंचे। 2015 में उन्होंने जेडीयू छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़कर मोकामा से जीत हासिल की। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अनंत सिंह आरजेडी में शामिल हो गए और फिर से एक बार जीत हासिल की।
हालांकि, 2022 में उन्हें अवैध हथियार रखने के मामले में दोषी ठहराया गया, जिसके बाद उन्हें विधायकी से अयोग्य करार दे दिया गया। इसके बाद मोकामा सीट पर उपचुनाव हुए। उपचुनाव में अनंत सिंह ने अपनी पत्नी नीलम देवी को उतार दिया। नीलम देवी ने उपचुनाव जीतकर अनंत सिंह की गद्दी बरकरार रखी। नीलम देवी वर्तमान में मोकामा से विधायक हैं।
इस बार अनंत सिंह एक बार फिर जेडीयू के टिकट पर मोकामा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। आगामी चुनावों के लिए दाखिल नामांकन पत्र के मुताबिक, अनंत सिंह के खिलाफ 28 मामले चल रहे हैं। इन मामलों में हत्या, आपराधिक साजिश, यातना, अपहरण और हमले के आरोप शामिल हैं। उन्होंने घोषणा की है कि उनके पास 37.88 करोड़ की चल और अचल संपत्ति है।
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अनंत सिंह का विवादास्पद अतीत
यह पहली बार नहीं है जब मोकामा में दो प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच झड़प हुई हो। इस साल जनवरी में अनंत सिंह के गुट और उनके प्रतिद्वंद्वी सोनू-मोनू गिरोह के बीच भारी गोलीबारी हुई थी। दो FIR में नाम आने और जेल भेजे जाने के बाद अनंत सिंह ने कोर्ट में जाकर आत्मसमर्पण कर दिया था। आर्म्स एक्ट के एक केस में बरी होने के बाद अगस्त 2024 में पटना की बेउर जेल से अनंत सिंह रिहा हुए थे।
दुलारचंद यादव हत्याकांड में अनंत मुख्य आरोपी
मोकामा में चुनाव प्रचार के दौरान 30 अक्टूबर को दो गुटों के बीच हुई गोलीबारी में दुलारचंद यादव की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। विरोधी गुटों के समर्थकों के बीच झड़प में पथराव भी हुआ, जिससे कई लोग घायल हो गए।
घटना के बाद, अनंत सिंह को दो अन्य लोगों- मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है। पटना के एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने कहा, 'यह पाया गया कि यह सब उम्मीदवार अनंत सिंह की मौजूदगी में हुआ, जो इस मामले के मुख्य आरोपी भी हैं।'