पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुल 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसे 74 सीटों पर जीत मिली थी। 31 सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर थे। वहीं पांच प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। आरजेडी के बाद सबसे अधिक सीट जीतने वाली दूसरी पार्टी बनी। खास बात यह है कि आठ सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों की जीत का अंतर 5 हजार से भी कम मतों का रहा है। इनमें से चार सीटों पर आरजेडी, दो पर कांग्रेस, सीपीआई और सीपीआई (माले) ने एक-एक सीट पर कांटे की टक्कर दी थी। अबकी विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी की इन सीटों पर कड़ी परीक्षा है। बीजेपी ने आठ में सिर्फ एक विधानसभा सीट पर अपना प्रत्याशी बदला है। बाकी सभी पर मौजूदा विधायकों पर ही भरोसा जताया है। आरा सीट से पांच बार बीजेपी विधायक रह चुके अमरेंद्र सिंह की जगह बीजेपी ने संजय सिंह टाइगर को उतारा है। 

 

आरा विधानसभा: पिछले चुनाव में बीजेपी के अमरेंद्र प्रताप सिंह ने महज 3,002 मतों के अंतर से चुनाव जीता था। दूसरे स्थान पर सीपीआई (माले) के कयामुद्दीन अंसारी रहे। अंसारी को कुल 68,779 वोट मिले थे। अबकी बार बीजेपी ने संजय सिंह टाइगर को उतारा है। उनका सामना भी सीपीआई (माले) के कयामुद्दीन अंसारी से होगा। पिछले चुनाव में ही बीजेपी को बड़ी मशक्कत के बाद मामूली अंतर से जीत मिली थी। अबकी बार भी बीजेपी के सामने अपनी जीत को बरकरार रखने की चुनौती है।  

 

यह भी पढ़ें: मोकामा में जन सुराज पार्टी नेता की हत्या, बिहार में खूनी खेल क्यों शुरू हो गया?

 

बछवारा विधानसभा: 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेता सुरेंद्र मेहता ने यहां से सिर्फ 484 मतों के अंतर से चुनाव जीता था। सांसे थमा देने वाले इस मुकाबले में सीपीआई के अवधेश कुमार राय ने कड़ी टक्कर दी थी। सुरेंद्र को कुल 54,738 और अवधेश को 54,254 वोट मिले थे। निर्दलीय प्रत्याशी शिव प्रकाश ने 39,878 वोट झटके थे। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस ने शिव प्रकाश को अपना प्रत्याशी बनाया है। सीपीआई से अबधेश कुमार राय मैदान में हैं। बीजेपी ने मौजूदा विधायक सुरेंद्र मेहता पर भरोसा जताया है। मगर आंकड़ों के लिहाज से राह इतनी आसान नहीं दिख रही है। 
 
बरहारा विधानसभा: यहां पिछला चुनाव दिलचस्प हुआ था। हार-जीत का अंतर 5 हजार से कम था। बीजेपी के राघवेंद्र प्रताप सिंह को 76,182 वोट मिले। आरजेडी की सरोज यादव के हिस्से में 71,209 मत आए। उन्हें महज 4,973 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।  बीजेपी ने एक बार फिर राघवेंद्र प्रताप सिंह पर भरोसा जताया है। उनके सामने आरजेडी ने अशोक कुमार सिंह को टिकट दिया है। बरहारा विधानसभा सीट पर कुल 13 प्रत्याशी हैं। 

 

बेगूसराय विधानसभा: बेगूसराय का सियासी रण जीतने की चुनौती बीजेपी के सामने है। इसकी वजह यह है कि पिछले चुनाव में पार्टी को सिर्फ 4,554 मतों से जीत मिली थी। पार्टी ने मौजूदा विधायक कुंदन कुमार पर दोबारा भरोसा जताया है। पिछले चुनाव में कुंदन कुमार को कुल 74,217 वोट मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी अमिता भूषण 69,663 मत मिले थे। कुंदन कुमार के सामने कांग्रेस ने इस बार भी अमिता को उतारा है। 

 

हाजीपुर विधानसभा: हाजीपुर विधानसभा सीट पर पिछले 25 साल से बीजेपी का कब्जा है। चार बार नित्यानंद राय और अब 2014 से अवधेश सिंह का कब्जा है। पिछले चुनाव में अवधेश सिंह को सिर्फ 2,990 मतों की मामूली जीत मिली थी। अवधेश को 85,552 और आरजेडी के देव कुमार चौरसिया को 82,562 वोट मिले थे। बीजेपी ने अवधेश कुमार पर चौथी बार भरोसा जताया है। उनका इस बार भी सामना देव कुमार चौरसिया से ही होगा। जनसुराज से प्रतिभा सिन्हा मैदान में हैं।

 

मुंगेर विधानसभा: यहां बीजेपी को पहली जीत पिछले चुनाव में प्रणव कुमार यादव ने दिलाई। पार्टी ने उन पर दोबारा भरोसा जताया है। मगर पिछले चुनाव में ही प्रणव ने सिर्फ 1,244 मतों से जीत हासिल की थी। उनके प्रतिद्वंद्वी अविनाश कुमार विद्यार्थी को कुल 74,329 वोट मिले। आरजेडी ने इस बार भी अविनाश को अपना प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में बीजेपी की राह मुंगेर में आसान नहीं है।  

 

यह भी पढ़ें: बांका: बीजेपी और जेडीयू के गढ़ में RJD की कठिन परीक्षा

 

परिहार विधानसभा: पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की गायत्री देवी ने महज 1,569 मतों से चुनाव जीता था। आरजेडी प्रत्याशी ऋतु कुमार से कड़ी टक्कर मिली थी। ऋतु को कुल 71,851 वोट मिले थे। बीजेपी ने तीसरी बार गायत्री देवी पर विश्वास जताया है। इस बार उनका मुकाबला आरजेडी प्रत्याशी स्मिता गुप्ता से होगा। जनसुराज से अवधेश प्रसाद मैदान में हैं। आरजेडी की बागी ऋतु जायसवाल निर्दलीय चुनाव में उतरी हैं। बता दें कि 2010 में परिहार विधानसभा बनी। तब से यहां बीजेपी का कब्जा है। एक बार रामनरेश यादव और दो बार से गायत्री देवी विधायक हैं। मगर अबकी चुनाव में उनकी राह कठिन दिखाई पड़ रही है।

 

प्राणपुर विधानसभा: यहां कड़े मुकाबले में बीजेपी की निशा सिंह को 2,972 वोट से जीत मिली थी। पहली बार विधायक बनने वालीं निशा सिंह पर बीजेपी ने दोबारा भरोसा जताया है। 2020 में निशा सिंह ने कांग्रेस के तौकीर आलम को हराया था। इस बार भी तौकीर ने नामांकन किया लेकिन बाद में अपना पर्चा वापस ले लिया। अब निशा सिंह के सामने आरजेडी प्रत्याशी इशरत परवीन हैं। पिछला चुनाव इशरत ने निर्दलीय लड़ा था। तब उन्हें 19,746 वोट मिले थे।