बिहार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाली। इस यात्रा के चलते सत्ताधारी नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (NDA) दबाव में दिख ही रहा था कि विपक्ष के मंच से एक शख्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली दे डाली। दबाव में दिख रही भारतीय जनता पार्टी (BJP) को इसी में एक मौका मिल गया। कुछ समय पहले तक बैकफुट पर दिख रही बीजेपी अब फ्रंटफुट पर आ गई है। बीजेपी के साथ-साथ एनडीए ने इस मुद्दे को और हवा देने का मन बना लिया है। अब बिहार बंद का आयोजन किया जा रहा है और इसकी अगुवाई एनडीए में शामिल पार्टियों के महिला मोर्चे करेंगे। यह दिखाता है कि विपक्ष की यात्रा से बने माहौल को काउंटर करने के लिए एनडीए ने आधी आबादी यानी महिलाओं को साधने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए 'माताओं-बहनों और बेटियों के सम्मान' का हवाला दिया जा रहा है। 

 

मंगलवार को बिहार में एक कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। इसके बाद बीजेपी की महिला नेता मैदान में उतर आई हैं और विपक्षी नेताओं को आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया है। कार्यक्रम को संबोधित करते समय पीएम मोदी ने सवाल किया था, ‘मेरी दिवंगत मां का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था, उनका दोष क्या है? उनके लिए अपशब्द क्यों कहे गए? मैं उन्हें माफ कर भी दूं लेकिन बिहार की जनता मेरी मां का अपमान करने के लिए उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। राज्य की जनता को कहना होगा कि आने वाले दिनों में वे इन पार्टियों के नेताओं को सजा देंगे।'

 

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पीएम मोदी की ओर से यह बयान आते ही बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ-साथ बिहार यूनिट भी इस मुद्दे पर सक्रिय हो गई है। साथ ही साथ बीजेपी की महिला नेता भी इस मुद्दे पर विपक्ष को घेर रही हैं। दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण जैसी नेताओं ने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की आलोचना करते हुए कहा है कि इन नेताओं को बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।

आधी आबादी पर है बीजेपी का जोर?

 

इसी मुद्दे पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आरोप लगाया कि दो 'राजकुमारों' राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने राजनीति को शर्मसार किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे 'अत्यंत निंदनीय, शर्मनाक और अशोभनीय' बताया और इसे भारत की 'हर मां' का अपमान बताया। इस मामले पर निर्मला सीतारमण ने कहा है, 'बिहार के लोग भी वही दर्द महसूस कर रहे हैं जो आज प्रधानमंत्री महसूस कर रहे हैं। बिहार के लोग ऐसी चीजों को कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे और लोकतांत्रिक तरीके से जवाब देंगे।'

 

 

केंद्रीय मंत्री और अपना दल (सोनेलाल) प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे शर्मनाक बताया और कहा, ‘अगर किसी राजनीतिक दल की संस्कृति में मां का अपमान करना उचित माना जाता है तो राजनीति का इससे दुर्भाग्यपूर्ण और घटिया उदाहरण और कोई नहीं हो सकता।' वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि बिहार की महिलाएं प्रधानमंत्री की मां का अपमान करने के लिए विपक्ष को करारा जवाब देंगी।

 

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महिला नेताओं ने जमकर लताड़ा

 

बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रक्षा खडसे ने कहा कि लोकतांत्रिक परंपरा में ऐसी घटिया टिप्पणियों के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ऐसे कुकृत्यों का लोकतांत्रिक तरीके से जवाब देगी। बीजेपी की राधिका खेड़ा ने दावा किया कि कांग्रेस ने यह दिखा दिया है कि उसमें भारतीय मूल्यों का अभाव है और आरोप लगाया कि पार्टी को विदेशी लोग चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांधी परिवार के तीनों सदस्य- सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता। मोदी के प्रति उनकी नफरत इतनी बढ़ गई है कि वे उनकी दिवंगत मां को भी अपनी गंदी राजनीति में घसीट रहे हैं।’

यात्रा का काउंटर करेगा 'महिला समीकरण'?

 

पिछले कुछ चुनावों के नतीजों का विश्लेषण देखें तो समझ आता है कि बीजेपी का अचानक इस मुद्दे पर ऐक्टिव होना यूं ही नहीं है। 2020 के विधानसभा चुनाव में ही बिहार की 243 सीटों में से 167 विधानसभा सीट ऐसी थीं जहां महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट किया था। विश्लेषण के मुताबिक, 2020 में 41 पर्सेंट महिलाओं ने एनडीए को तो 31 पर्सेंट महिलाओं ने विपक्ष को वोट दिया था। नतीजे आए जीत एनडीए की हुई थी। 

2015 और 2010 में भी महिलाओं ने जमकर वोट किया था और निर्णायक साबित हुई थीं। 2014 में 40 में से 26 और 2019 में 32 लोकसभा सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा मतदान किया था। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी 61 फीसदी महिलाओं ने वोट डाले और पुरुषों का वोटिंग प्रतिशत 52 था। 

 

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ये आंकड़े बता रहे हैं कि बीजेपी इस गाली के मुद्दे को महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा से जोड़कर 'आधी आबादी' को अपने पाले में करने में जुट गई है। इतना ही नहीं, बीते दो-तीन महीनों में बिहार की नीतीश सरकार ने कई ऐसी योजनाएं भी शुरू की हैं जो महिला केंद्रित हैं। 
 
क्या है पूरा विवाद?

 

दरअसल, बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान दरभंगा में विपक्ष के मंच से एक व्यक्ति ने मोदी की मां के लिए अपशब्द कहे थे, जिससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। बाद में उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, कांग्रेस ने भी इस कृत्य की आलोचना की थी और कहा था कि वह इस तरह की गतिविधि का बिल्कुल भी समर्थन नहीं करती है।

 

इस मुद्दे पर दिल्ली बीजेपी की महिला प्रकोष्ठ की महासचिव प्रियल भारद्वाज, राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिव्या कुमारी, बिहार से बीजेपी की राज्यसभा सदस्य धर्मशीला गुप्ता ने भी घटना की निंदा की है। भुवनेश्वर लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि बिहार के मतदाता विपक्षी गठबंधन को करारा जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि केवल कांग्रेस ही इतनी निम्न स्तर की राजनीति कर सकती है। पश्चिम बंगाल की बीजेपी नेता लॉकेट चटर्जी ने कहा कि विपक्षी नेता मोदी को बार-बार अपशब्द कहने के बाद अब उनकी मां पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बेहद चौंकाने वाला है कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत किसी भी विपक्षी नेता ने इस अपमानजनक टिप्पणी की आलोचना नहीं की।