वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को पेश केंद्रीय बजट 2025-26 के लिए ऐलान किया है कि जिन लोगों की सालाना आय 12 लाख रुपये से कम है, उन्हें टैक्स नहीं देना पड़ेगा। उन्होंने 12 लाख सालाना की आय को 'कर मुक्त' घोषित किया है।
देश में नौकरी पेशा लोग इस उम्मीद में थे कि हो सकता है कि केंद्र सरकार 10 लाख तक की आय को करमुक्त घोषित करे। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के इस फैसले से नौकरी पेशा लोग बेहद खुश नजर आ रहे हैं।
दिल्ली के पूर्व मु्ख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बजट पेश होने से कुछ दिनों पहले मांग की थी कि केंद्र सरकार 10 लाख तक की आय को करमुक्त घोषित करे। दिलचस्प बात यह है कि उनकी मांग से 2 लाख ज्यादा की सालाना आय को केंद्र सरकार ने अब टैक्स फ्री कर दिया है।
मिडिल क्लास को कैसे साध रही BJP?
साल 2011 की जनगणना की मानें तो दिल्ली की आबादी करीब 3 करोड़ 38 लाख है। दिल्ली में टैक्स भरने वाले लोगों की संख्या 40 लाख है। दिल्ली में कुल वोटरों की संख्या चुनाव आयोग के मुताबिक 1.55 करोड़ है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली के 1.78 करोड़ लोग इनकम टैक्स देते हैं। इनकम टैक्स देने वाली एक बड़ी आबादी केंद्र के इस फैसल के बाद राहत महसूस कर रही है। सोशल मीडिया पर भी लोग खुश नजर आ रहे हैं। दिल्ली में मध्यम वर्ग सियासी तौर पर बेहद मजबूत है। मध्यम वर्ग की शिकायत है यह है कि अरविंद केजरीवाल की कई नीतियां ऐसी हैं, जिनका लाभ मध्यम वर्ग नहीं ले पाता है। जैसे उनके मुफ्त स्कूलों का लाभ एक बड़ा तबका नहीं लेना चाहता है।
यह भी पढ़ें: परमाणु ऊर्जा से कितनी बिजली पैदा होती है, बढ़ाने का प्लान क्या है?
किन वजहों से केजरीवाल से नाराज हो सकता है मिडिल क्लास?
दिल्ली के मध्यम वर्गीय परिवारों के एक बड़े तबके का कहना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नाम-मात्र की होती है। वे अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ना चाहते हैं। मिडिल क्लास के ही वोटरों का एक बड़ा धड़ा उनके मुफ्त पानी योजना का लाभ नहीं ले पाता है। उन मध्यमवर्गीय घरों में जिनके पास कूलर, फ्रिज, वॉशिंगमशीन और एसी है, उन्हें 200 यूनिट फ्री बिजली की योजना का लाभ नहीं मिल पाता है।
यह भी पढ़ें: आयकर में छूट से 1 लाख करोड़ रुपये का घाटा, पूरा कैसे करेगी सरकार?
एक तबके को बिजली का बिल देना पड़ता है। मोहल्ला क्लीनिक की तुलना में मध्य वर्गीय परिवारों का एक बड़ा तबका प्राइवेट अस्पतालों में जाता है। अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि इस बार मिडिल क्लास ही अरविंद केजरीवाल से नाराज है। अलग बात है कि अरविंद केजरीवाल खुद दावा करते हैं कि वह मध्यम वर्गीय परिवारों को मुफ्त योजनाएं देकर हर महीने उनके 25 हजार रुपये प्रति माह बचाते हैं।
कैसे एक फैसले से सध गया मध्यम वर्ग?
देश में जिन लोगों की वार्षिक आय 5 लाख से लेकर 30 लाख रुपये तक के बीच में है, उन्हें मध्यम वर्ग के दायरे में रखा जाता है। पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज़ कंज़्यूमर इकोनॉमी की रिपोर्ट बताती है कि देश की 40 फीसदी आबादी मध्यम वर्ग में आती है। देश की 60 करोड़ आबादी 'मिडिल क्लास' है।
दिल्ली की आबादी 3 करोड़ 38 लाख है। इनमें से 40 लाख लोग टैक्स भरते हैं। दिल्ली में 1.55 करोड़ कुल वोटर हैं। पिछले साल अक्टूबर में केजरीवाल ने कहा था कि दिल्लीवाले 1.78 लाख करोड़ इनकम टैक्स देते हैं। नए स्लैब से यहां की 67% मिडिल क्लास आबादी प्रभावित हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक दिल्ली की रैलियों में अब बजट की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की एक चुनावी रैली में रविवार को कहा, 'अगर नेहरू जी के जमाने में आप 12 लाख रुपये कमाते तो 12 लाख रुपये की आय पर आपकी एक चौथाई सैलरी सरकार वापस ले लेती। अगर आज इंदिरा जी का जमाना होता तो 12 लाख रुपये तक की आय पर आपके 10 लाख रुपये टैक्स में चले जाते।
यह भी पढ़ें: इस्तेमाल सबसे ज्यादा, खर्च सबसे कम, AI पर भारत दुनिया से पीछे क्यों?
10-12 साल पहले तक, कांग्रेस की सरकार में अगर आप 12 लाख रुपये कमाते तो आपको 2 लाख 60 हजार रुपया टैक्स देना होता। भाजपा सरकार के कल के बजट के बाद, साल में 12 लाख कमाने वाले को एक रुपया भी टैक्स नहीं देना पड़ेगा।'
दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल बजट पेश होने के बाद यह कहते नजर आ रहे हैं कि दिल्ली के मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए केंद्र से उन्होंने 7 सूत्रीय मांगे की थीं, जिनमें से सिर्फ आयकर वाली बात मानी गई, शेष 6 मांगे अधूरी रह गईं। अन्य मांगों में उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य बजट बढ़ाने की अपील की थी। अब देखने वाली बात यह होगी कि अगले कुछ दिनों में AAP क्या सियासी दांव चलती है?