बदरपुर विधानसभा साउथ दिल्ली लोकसभा के अंतर्गत आती है। दिल्ली के दक्षिणपूर्वी जिले में स्थित बदरपुर एक ऐतिहासिक शहर है जो NTPC पावर प्लांट और बदरपुर गांव के लिए जानी जाती है। बदरपुर विधानसभा को 2008 में परिसीमन के बाद नए सिरे से गठित किया गया था।

 

बदरपुर वह सीट है जहां 2020 में आम आदमी पार्टी हार गई थी। बीजेपी के रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आम आदमी पार्टी के राम सिंह नेताजी को हराया था। बीजेपी जहां इस सीट को बचाने के लिए लड़ेगी तो वहीं आम आदमी पार्टी का मकसद दोबारा यहां कब्जा करने का होगा।

इस बार कौन-कौन मैदान में?

आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर राम सिंह नेताजी पर ही भरोसा जताया है। बीजेपी ने इस बार नारायण दत्त शर्मा को यहां से टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने अर्जुन भड़ाना को उम्मीदवार बनाया है।

बदरपुर में क्या हैं मुद्दे?

बदरपुर की जनता काफी लंबे समय से ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रही है। यहां हर रोज जाम का सामना करना पड़ता है। लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य के अलावा ऑटो-रिक्शा चालकों की मनमानी की वजह से जाम लगा पड़ा रहता है। 

 

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2020 में क्या हुआ था?

2020 के चुनाव में यहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला था। बीजेपी के रामवीर सिंह बिधूड़ी ने 4 हजार से भी कम वोटों के अंतर से चुनाव जीता था। उन्हें 90,082 वोट मिले थे, जबकि आम आदमी पार्टी के राम सिंह नेताजी को 86,363 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर बीएसपी के नारायण दत्त शर्मा थे, जिन्हें 10,436 वोट मिले थे। जबकि, कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद यादव 1,615 वोट ही हासिल कर सके थे।

क्या है इसका इतिहास?

2008 के परिसीमन के बाद इस सीट का भी नए सिरे से गठन हुआ था। उसके बाद यहां हुए 4 चुनावों में से 2 में बीजेपी की जीत हुई है। 2008 में बीएसपी के राम सिंह नेताजी ने यहां से चुनाव जीता था। 2013 में रामवीर सिंह बिधूड़ी की जीत हुई थी। 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी के एनडी शर्मा ने जीत हासिल की थी। 2020 के चुनाव से पहले एनडी शर्मा AAP छोड़कर बीएसपी में चले गए थे। 

क्या है जातिगत समीकरण?

बदरपुर सीट पर गुर्जरों का दबदबा है। अब तक 7 विधायकों में से 6 गुर्जर ही रहे हैं। यहां के ताजपुर, बदरपुर, मोलडबंद, मीठापुर, हरिनगर और जैतपुर जैसे गांवों में 80 फीसदी आबादी गुर्जरों की है।