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दिल्ली विधानसभाः पटपड़गंज सीट पर क्या है समीकरण? जानें सबकुछ

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को वोटिंग होगी। दिल्ली में इस बार जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल सकता है। पटपड़गंज सीट पर भी मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

patparganj vidhansabha seat profile

पटपड़गंज विधानसभा, Photo Credit: Khabargaon

पूर्वी दिल्ली में पटपड़गंज विधानसभा सीट पूर्वी दिल्ली लोकसभा में आती है। ये सीट उत्तर प्रदेश बॉर्डर के पास है। 2008 में इस सीट का नए सिरे से परिसीमन किया गया था। मयूर विहार फेज-1, शशि गार्डन और पटपड़गंज गांव जैसे इलाके इस विधानसभा में आते हैं। यहां ज्यादातर मध्यम वर्गीय परिवार रहते हैं। 2011 की आबादी के अनुसार, पटपड़गंज में 55 फीसदी पुरुष और 45 फीसदी महिलाएं हैं।

 

पटपड़गंज में इस बार रोमांचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। पिछले दो चुनाव में यहां से आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया जीत रहे थे। इस बार आम आदमी पार्टी ने कोचिंग टीचर अवध ओझा को टिकट दिया है।

इस बार कौन-कौन मैदान में?

आम आदमी पार्टी की तरफ से इस बार अवध ओझा मैदान में हैं। वहीं बीजेपी ने रविंद्र नेगी को उम्मीदवार बनाया है। जबकि, कांग्रेस ने पूर्व विधायक अनिल चौधरी को टिकट दिया है।

पटपड़गंज की समस्याएं क्या?

पटपड़गंज की बड़ी समस्याओं में से एक सुरक्षा व्यवस्था है। इलाके में बढ़ते अपराध और बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर स्थानीय लोग परेशान रहते हैं। बेरोजगारी और महंगाई भी यहां की बड़ी समस्याएं हैं। इनके अलावा सड़कें, सीवर और पानी की समस्या भी यहां बनी रहती है।

2020 में क्या हुआ था?

2020 में आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया ने 70,163 वोट पाकर जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर बीजेपी उम्मीदवार रविंदर सिंह नेगी रहे थे, जिन्हें 66,956 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस के लक्ष्मण रावत को सिर्फ 2,802 वोट ही मिले थे।

क्या है इस सीट का इतिहास?

1993 से लेकर 2020 तक इस सीट पर कभी भी स्थानीय नेता को यहां से जीत नहीं मिली है। 1993 के चुनाव में बीजेपी के ज्ञान चंद यहां से जीते थे। 1998 से 2003 तक कांग्रेस के अमरीश सिंह गौतम यहां से जीते। 2008 के चुनाव में कांग्रेस के अनिल चौधरी ने यहां से मुकाबला जीता। 2013, 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया ने यहां जीत हासिल की। 2020 में मनीष सिसोदिया और बीजेपी के रविंदर सिंह नेगी के बीच काफी दिलचस्प मुकाबला हुआ था।

क्या है जातिगत समीकरण?

इस सीट पर मिली-जुली आबादी रहती है। इसलिए सबको साथ लेकर ही चुनाव जीता जा सकता है। हालांकि, यहां दलित निर्णायक भूमिका में हैं।

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