चुनाव में जीत एक वोट से भी हो सकती है और एक लाख वोट से भी। हर चुनाव में कुछ सीटें ऐसी होती हैं जहां कम वोटों से जीतकर भी कोई पार्टी सरकार बना लेती है, वहीं उतनी ही सीटें कम अंतर से हारकर दूसरी पार्टी सत्ता से दूर रह जाती है। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ। लगभग एक दर्जन सीटें ऐसी थीं जिन पर हार-जीत का अंतर एक हजार वोट से लेकर 10 हजार के बीच ही था। इतना कम अंतर 70 विधानसभा सीटों वाली दिल्ली में काफी कुछ बदल सकता है। इस बार के चुनाव के बारे में तो कहा भी जा रहा है कि सत्ताधारी AAP की सीटें कम हो सकती हैं। अगर सच में ऐसा होता है और उन सीटों पर भी नतीजे बदलते हैं जहां करीबी मुकाबला था तो दिल्ली में विधानसभा की तस्वीर बदल सकती है। इतना ही नहीं, दिल्ली की राजनीति की दिशा भी पूरी तरह से बदल सकती है।

 

2020 के चुनाव नतीजों को देखें तो 70 में से 9 सीटें ऐसी थी जिन पर जीत और हार का अंतर 5 हजार वोट से भी कम का था। इसमें से 7 सीटों पर AAP जीती और 2 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली। 6 सीटें ऐसी थीं जिन पर हार-जीत का अंतर 5 से 10 हजार वोटों के बीच रहा। इनमें से 4 सीटों पर AAP जीती तो 2 सीटों पर BJP ने जीत हासिल की। इस तरह से कुल 15 सीटें होती हैं जिन पर हार-जीत का अंतर कम वोटों से हुआ था। इस बात का ध्यान पार्टियों ने भी रखा है और इस बार जीते हुए उम्मीदवारों को भी बदला गया है। कुल 11 सीटें AAP के पास थीं और 4 सीटें बीजेपी के पास थीं। 15 में से 11 विधायकों के टिकट इस बार काट दिए गए हैं। आइए इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं। 

2 हजार से कम अंतर- 3 सीटें

 

दिल्ली की 3 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं जिन पर जीत हार का अंतर 2 हजार से भी कम रहा। सबसे रोचक मुकाबला बिजवासन सीट पर था। AAP के भूपेंद्र सिंह जून और बीजेपी के सत प्रकाश राणा के बीच रोचक मुकाबला था लेकिन जीते भूपेंद्र सिंह जून। इस बार AAP छोड़कर बीजेपी में आए पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत इस सीट पर BJP के उम्मीदवार हैं। वहीं, AAP ने मौजूदा विधायक भूपेंद्र सिंह जून का टिकट काटकर अपने पार्षद सुरेंद्र भारद्वाज को टिकट दिया है। इसी सीट पर 2015 से 2020 तक विधायक रहे कर्नल देवेंद्र सहरावत इस बार कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। ऐसे में इस सीट पर काफी रोमांचक होने वाला है। 

 

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लक्ष्मी नगर में बीजेपी के अभय वर्मा ने 880 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी लेकिन बीजेपी ने फिर से उन पर ही भरोसा जताया है। वहीं, कुछ समय पहले तक बीजेपी में रहे बीबी त्यागी अब AAP के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। 2020 में 1589 वोटों के अंतर से आदर्श नगर सीट जीतने वाली AAP ने इस बार पुराने कांग्रेसी नेता और अब AAP के पार्षद मुकेश गोयल को इस सीट से चुनाव में उतारा है। इसके लिए दो बार के विधायक पवन कुमार शर्मा का टिकट काट दिया गया है। उनका मुकाबला राजकुमार भाटिया है। पिछली बार राजकुमार भाटिया ही वह थे जो मात्र 1589 वोटों से चुनाव हार गए थे।

2 हजार से 5 हजार का अंतर- 6 सीटें

 

इस तरह की कुल 6 सीटें थीं। इनमें से 5 AAP ने जीती थी और एक पर बीजेपी को जीत मिली थी। AAP ने पांच में से चार उम्मीदवार बदल दिए हैं। वहीं, बीजेपी ने भी बदरपुर विधानसभा से अपने उम्मीदवार को बदलकर AAP में रहे एन डी शर्मा को टिकट दिया है जो इसी सीट से विधायक भी रहे हैं।

 

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5 हजार से 10 हजार का अंतर- 6 सीटें

 

कुल 6 सीटों पर जीत और हार का अंतर 5 से 10 हजार वोटों के बीच था। इनमें से 4 पर AAP ने जीत हासिल की थी और 2 पर BJP को जीत मिली थी। AAP ने चार में से 3 सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए हैं। सिर्फ एक सीट शकूर बस्ती से उम्मीदवार नहीं बदला गया है, जहां से सत्येंद्र जैन फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, BJP ने अपने दोनों मौजूदा विधायकों करावल नगर से मोहन सिंह बिष्ट और गांधी नगर से अनिल बाजपेई का टिकट काट दिया है। अब करावल नगर से पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा और गांधी नगर अरविंदर सिंह लवली चुनाव लड़ रहे हैं।


इस तरह कुल 15 सीटें ऐसी हैं कि जिन पर पिछली बार का हार-जीत का अंतर 10 हजार वोटों से भी कम था। ऐसे में इस बार अगर एक भी पार्टी ढीली पड़ती है तो दूसरी पार्टी उसका फायदा उठा सकती है। कम अंतर से 11 सीटें AAP ने जीती थीं तो उसके लिए चुनौती ज्यादा बड़ी है कि वह इन सीटों को संभाल सके। अगर वह इन सीटों पर हारती है तो उसकी सीटों की संख्या एक झटके में कम हो जाएगी।