दिल्ली में मादीपुर विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है। 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई। यहां स्थित पांडवकालीन शिव मंदिर काफी प्रसिद्ध है। पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में आने वाली यह विधानसभा सीट काफी महत्त्वपूर्ण है।
भगवान शिव के प्राचीन मंदिर के कारण यहां आसपास के एरिया से भी काफी लोग दर्शनों के लिए आते हैं जिससे इलाके में काफी चहल-पहल होती है।
क्या हैं समस्याएं
मादीपुर में सीवर लाइन से लेकर अतिक्रमण तक की समस्याएं हैं। कई इलाकों में पुरानी सीवर लाइन की भी समस्या है। साथ ही पार्किंग की भी समस्या बड़े स्तर पर देखने को मिलती है।
सड़कों की बात करें तो कई इलाकों में इनकी हालत भी जर्जर मिल जाएगी। अतिक्रमण की समस्या की वजह से सड़कों पर काफी भीड़भाड़ दिखता है।
कुछ लोगों के मुताबिक इलाके में कई अवैध फैक्ट्रियां हैं जिसकी वजह से प्रदूषण की भी समस्या देखने को मिलती है। सीवर की पाइपें पुरानी होने की वजह से कई बार पाइप ब्लॉक हो जाती है जिससे गंदा पानी सड़कों पर बहता है।
क्या है राजनीतिक इतिहास
साल 1993 में पहली बार विधानसभा के गठन के बाद बीजेपी को जीत मिली थी। लेकिन उसके बाद 1998 में हुए अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मालाराम गंगवाल को जीत मिली।
इसके बाद साल 2013 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। पर 2013 में आम आदमी पार्टी के उदय के साथ ही इस सीट पर तब से अब तक आप का कब्जा है।
साल 2013 से लेकर 2020 अब तक इस सीट पर आम आदमी पार्टी के गिरीश सोनी विधायक हैं।
2020 में रही क्या स्थिति
पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के गिरीश सोनी ने बीजेपी के कैलाश सांकला को हराकर यह सीट जीती थी। गिरीश सोनी को 64,440 वोट मिले थे जबकि कैलाश सांकला को 41,721 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस को सिर्फ 6,778 वोटों से ही समझौता करना पड़ा।
यानी कि आम आदमी पार्टी को कुल 56 फीसदी वोट मिले थे जबकि कैलाश सांकला को 36 प्रतिशत वोट मिले थे।
जातिगत समीकरण
यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है इसलिए इस सीट पर अनुसूचित जातियों का अच्छा खासा प्रभाव है। बाकी इस सीट पर 5.7 प्रतिशत मुस्लिम हैं और 12.5 प्रतिशत क्षत्रिय हैं।
इस बार कौन लड़ रहा?
मादीपुर विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी ने इस बार राखी बिरला को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी से उर्मिला गंगवाल व कांग्रेस से धर्मपाल चंदेला चुनाव लड़ रहे हैं।
यह भी पढ़ेंः दिल्ली चुनावः क्या तुगलकाबाद में वापसी कर पाएगी BJP? समझें समीकरण