हिसुआ विधानसभा सीट बिहार के नवादा जिले में आती है। यह नवादा का एक उपमंडलीय कस्बा है, जिसमें शहरी और ग्रामीण मतदाता आते हैं। हिसुआ के पास से ही तिलैया नदी बहती है। इसी के किनाके गया-नवादा नेशलन हाइवे है। हिसुआ की अर्थव्यवस्था की बात करें तो यह मुख्य तौर पर कृषि आधारित है। इलाके से बड़ी संख्या में लोगों को आजीविका और रोजगार की तलाश में बड़े शहरों का रुख करते हैं। इलाके में देवी मंदिर हिसुआ और शाही मस्जिद जैसे धार्मिक स्थल हैं।
हिसुआ में कई मूलभूत सुविधाओं का आभाव है। इसमें खासतौर से रोजगार शामिल है। 2025 के विधानसभा चुनाव में हिसुआ में रोजगार एक बड़ा मुद्दा होगा।
सामाजिक समीकरण
हिसुआ विधानसभा सीट पर पिछले 40 सालों में कांग्रेस, बीजेपी और निर्दलीय प्रत्याशियों का कब्जा रहा है। 1980 के बाद कांग्रेस ने यहां से चार चुनाव जीते हैं, जबकि बीजेपी ने तीन जीते। इसके अलावा हिसुआ से तीन बार निर्दलीय उम्मीदार विधायक बनकर बिहार विधानसभा की सीढ़ियां चढ़े हैं। हिसुआ के सामाजिक समीकरण की बात करें तो यह एक जनरल सीट है। विधानसभा में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 28.07 फीसदी है। वहीं, यहां मुस्लिम मतदाता 10.7 फीसदी और 13 फीसदी राजपूत हैं। क्षेत्र की 93.36 प्रतिशत आबादी ग्रामीण, जबकि केवल 6.64 प्रतिशत शहरी मतदाता हैं।
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2020 में क्या हुआ था?
हिसुआ विधानसभा सीट पर 2020 में कांग्रेस ने बीजेपी को जोरदार झटका दिया था, क्योंकि यह सीट 2005 से लेकर 2015 तक बीजेपी के कब्जे में थी। 2020 के चुनाव में भी बीजेपी हिसुआ से अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थी, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी नीतू कुमारी ने यहां से बीजेपी के तीन बार के विधायक अनिल सिंह को हरा दया था। कांग्रेस की नीतू कुमारी ने बीजेपी के अनिल सिंह को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 17,091 वोटों का था। नीतू कुमारी ने 49.81 फीसदी वोट पाते हुए 94,930 वोट हासिल किया था, जबकि बीजेपी के अनिल सिंह को 77,839 वोट मिले थे। वहीं, इस सीट पर बीएसपी के प्रत्याशी उत्तम कुमार चौधरी को 3,696 वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
वर्तमान विधायक नीतू कुमारी हिसुआ विधानसभा से पहली बार की विधायक हैं। उन्होंने यहां से दिग्गज नेता अनिल सिंह को हराकर सभी को चौंका दिया था। हिसुआ में एकाएक उनको लेकर चर्चा होने लगी थी। 40 साल की विधायक नीतू कुमारी की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने 2015 में इलाहाबाद डीम्ड विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया था।
2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन, बिजनेस और सामाजिक कार्य हैं। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास लगभग 5 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
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विधानसभा सीट का इतिहास
हिसुआ विधानसभा सीट पर पहली बार साल 1957 में विधानसभा चुनाव हुए थे। 1957 से लेकर 1972 तक लगातार पांच बार हिसुआ से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद कांग्रेस ने 1990, 1995, 2005 और 2020 के विधानसभा चुनावों में भी जीत दर्ज की। इस तरह से कांग्रेस हिसुआ से 9 बार चुनाव जीत चुकी है। वहीं, एक बार जनता पार्टी तीन बार निर्दलीय और तीन बार बीजेपी को जीत मिली है। हिसुआ में आजतक आरजेडी, जेडीयू और वाम दलों का खाता नहीं खुल पाया है। हिसुआ नवादा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।
1957- राज कुमारी देवी (कांग्रेस)
1962- राज कुमारी देवी (कांग्रेस)
1967- शत्रुघ्न शरण सिंह (कांग्रेस)
1969- शत्रुघ्न शरण सिंह (कांग्रेस)
1972- शत्रुघ्न शरण सिंह (कांग्रेस)
1977- बाबू लाल सिंह (जनता पार्टी)
1980- आदित्य सिंह (निर्दलीय)
1985- आदित्य सिंह (निर्दलीय)
1990- आदित्य सिंह (कांग्रेस)
1995- आदित्य सिंह (कांग्रेस)
2000- आदित्य सिंह (निर्दलीय)
2005- आदित्य सिंह (कांग्रेस)
2005- अनिल सिंह (बीजेपी)
2010- अनिल सिंह (बीजेपी)
2015- अनिल सिंह (बीजेपी)
2020- नीतू कुमारी (कांग्रेस)
