दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस बार लड़ाई काफी कांटे की है। बीजेपी और आम आदमी पार्टी इस चुनाव में काफी ऐक्टिव दिख रही है। बीजेपी की तरफ से जहां अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम मोदी तक प्रचार कर रहे हैं तो वहीं अरविंद केजरीवाल लगभग हर रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके या तो बीजेपी की कमियां गिनाते हैं और या तो नई नई योजनाओं की घोषणा करते हैं।
केजरीवाल ने दिल्ली की तमाम विधानसभा सीटों पर जाकर वहां के आम आदमी पार्टी के कैंडीडेट के लिए प्रचार किया और जनता से वोट भी मांगे, लेकिन इन सबके बीच एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा सीट से अपनी ही जीत को लेकर आशंकित तो नहीं हो गए हैं।
तो इसकी वजह क्या है? इस चर्चा को जिस बात ने गति दी वह है पिछले हफ्ते केजरीवाल द्वारा घोषित की गई उनकी सात गारंटियां। तो यह पूछा जा सकता है कि केजरीवाल ने तो तमाम घोषणाएं की हैं तो फिर इस घोषणा से यह कैसे कहा जा सकता है कि केजरीवाल इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वह कहीं अपनी सीट ही न हार जाएं। पर इसकी वजहों पर चर्चा के पहले जान लेते हैं कि केजरीवाल की 7 गारंटी क्या है?
क्या है सात गारंटी?
आम पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सात गारंटी की घोषणा करते हुए कहा, ' कई अफसरों, एमपी और मंत्रियों ने सर्वेंट क्वार्टर किराए पर चढ़ाए हुए हैं जोकि एक अपराध है और इसके लिए जेल हो सकती है. एक एमपी और ऑफिसर जब ट्रांसफर हो जाता है तो उसके यहां काम करने वाला स्टाफ बेघर हो जाता है. क्योंकि जब तब वह घर किसी और को अलॉट नहीं होता, तब तक उस स्टाफ को निकाल दिया जाता है. जब कोई नया अधिकारी, सांसद या मंत्री वहां आता है, तो जरूरी नहीं है कि वह उनको ही रखे. इससे वह स्टाफ सड़क पर आ जाता है. यह बहुत अस्थाई सी व्यवस्था है. 2-3 साल तक उनके दिमाग यह डर बना रहता है कि आगे उनको रखा जाएगा या नहीं. जब वो सड़क पर आ जाते हैं तो उनके बच्चों का क्या होगा?'
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इससे निपटने के लिए उन्होंने सात गारंटी दी-
- सर्विस रजिस्ट्रेशन पोर्टल बनाया जाएगा।
- सरकारी स्टाफ कार्ड बनाया जाएगा।
- स्टाफ हॉस्टल बनाया जाएगा।
- EWS के दिल्ली सरकार के मकान मुहैया करवाए जाएंगे।
- इनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए मोबाइल मोहल्ला क्लीनिक लगाए जाएंगे।
- इनके काम के घंटे, सैलरी पर कानून बनाया जाएगा।
- ऑटो चालकों की तरह ही इन्हें भी 10 लाख का जीवन बीमा, पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा, बेटी की
- शादी के लिए 1 लाख और इनके बच्चों को स्कॉलरशिप दी जाएगी।
किस वर्ग को कर रहे टारगेट?
दरअसल, इस स्कीम के जरिए जिस वर्ग को टारगेट करने की कोशिश की जा रही हैं, उनमें से अधिकतम नई दिल्ली एरिया में ही रहने वाले हैं। इसलिए एक्सपर्ट्स का कहना है कि केजरीवाल संभवत इस बात को लेकर आशंकित हो गए हैं कि वह इस बार जीतेंगे या नहीं।
इसके पीछे भी कारण हैं। दरअसल, 2015 से लेकर 2020 तक केजरीवाल की जीत का अंतर लगातार घटा है। 2015 में अरविंद केजरीवाल और बीजेपी की नूपुर शर्मा के बीच जीत का अंतर 32 हजार था जबकि 2020 में वही अंतर घटकर 21 हजार रह गया। खास बात यह है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस बहुत ज्यादा ऐक्टिव भी नजर नहीं आ रही थी और उनके सामने बीजेपी के बहुत ज्यादा कद्दावर नेता भी उम्मीदवार नहीं थे, उसके बावजूद जीत का अंतर कम हुआ था।
कांग्रेस भी दमखम से लड़ रही
इसके अलावा इस बार कांग्रेस भी पूरे दमखम के साथ चुनाव प्रचार कर रही है। इससे कहीं न कहीं इस बात का खतरा बढ़ गया है कि अगर केजरीवाल का कुछ वोट कांग्रेस की तरफ शिफ्ट कर गया तो उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।
कैंडीडेट के स्तर पर बात करें तो न सिर्फ इस बार बीजेपी से दिल्ली के ही पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा ले रहे हैं बल्कि कांग्रेस से भी दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित लड़ रहे हैं। ऐसे में मुकाबला काफी कड़ा है।
घटी है वोटर्स की संख्या
इसके अलावा एक तीसरा फैक्टर भी है। इस बार इलेक्टोरल रोल में लगभग 1,08000 नाम ही हैं जो कि पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले करीब 37 हजार कम हैं। केजरीवाल इस बात का आरोप लगाते रहे हैं कि बीजेपी उनके वोटर्स का इलेक्टोरल रोल से कटवाने का काम कर रही है। हालांकि, इस बात को वह सिद्ध नहीं कर पाए हैं।
ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह घोषणा केजरीवाल ने इसलिए की है ताकि वह अपनी सीट को लेकर सुरक्षित हो सकें।
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