बिहार की कुढ़नी विधानसभा सीट मुजफ्फरपुर जिले में पड़ती है। लोकसभा में यह मुजफ्फरपुर संसदीय सीट का हिस्सा है। इस सीट पर हर बार कड़ा मुकाबला देखने को मिलता है। यादव, कुर्मी, मुसलमान, भूमिहार और दलित समुदाय के मतदाता यहां की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कुढ़नी पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है और इसमें मीनापुर व कुढ़नी प्रखंड शामिल हैं।

 

यह सीट बाढ़ और गंडक नदी की तबाही से भी प्रभावित होती है। खेती-किसानी यहां की मुख्य जीविका है। धान, गेंहू, मक्का और सब्जियों की पैदावार अधिक होती है। रोजगार के सीमित साधनों और खेती पर निर्भरता के कारण यहां से पलायन भी बड़ी समस्या है।


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मौजूदा समीकरण

कुढ़नी विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 3,10,000 है। इनमें पुरुष और महिला मतदाता लगभग बराबरी की संख्या में हैं। जातीय समीकरण की बात करें तो यादव मतदाता करीब 22 फीसदी हैं, जबकि मुस्लिम आबादी लगभग 15 फीसदी है। कुर्मी और भूमिहार मिलाकर लगभग 18 फीसदी वोटर हैं। अनुसूचित जाति के मतदाताओं की हिस्सेदारी लगभग 16 फीसदी है।

2020 चुनाव रिजल्ट

पिछले विधानसभा चुनाव में कुढ़नी सीट से RJD के अनिल कुमार साहनी ने जीत हासिल की। उन्होंने पिछली बार विधायक और बीजेपी प्रत्याशी केदार प्रसाद गुप्ता को बहुत थोड़े से मार्जिन से हराया। मुकाबला बेहद कड़ा था और जीत का अंतर केवल कुछ सौ वोटों का रहा। इस चुनाव ने साबित कर दिया कि इस सीट पर एनडीए और आरजेडी के बीच मुकाबला काफी कड़ा है। हालांकि, 2022 के उपचुनाव में फिर से बीजेपी प्रत्याशी केदार प्रसाद गुप्ता ने जीत दर्ज की। दरअसल, एलटीसी घोटाले का दोषी पाए जाने की वजह से उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए थे।

विधायक का परिचय

कुढ़नी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक केदार प्रसाद गुप्ता लंबे समय से राजनीति और सामाजिक जीवन से जुड़े रहे हैं। उनकी शैक्षणिक योग्यता अच्छी मानी जाती है। उन्होंने 2002 में बी.ए. (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की और फिर 2012 में विनायक मिशन यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु से पोस्ट-ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी की।

 

केदार प्रसाद गुप्ता की कुल संपत्ति लगभग 1.42 करोड़ रुपये है, जबकि उनकी देनदारियां करीब 18 लाख रुपये दर्ज की गई हैं। 2015 के चुनाव में उनकी संपत्ति लगभग 78 लाख रुपये थी, यानी बीते वर्षों में इसमें काफी वृद्धि हुई है। आर्थिक रूप से वे संपन्न नेता माने जाते हैं और चुनावी अभियानों में संसाधनों की कमी उनके सामने बड़ी चुनौती नहीं रही।

 

2020 में उनके खिलाफ लगभग 5 आपराधिक मामले दर्ज थे। केदार प्रसाद गुप्ता किसी तरह के विवादित बयान देते हुए नहीं पाए गए हैं। वे अपने क्षेत्र में संगठनात्मक मजबूती और कार्यकर्ताओं से जुड़ाव के लिए पहचाने जाते हैं।

विधानसभा सीट का इतिहास

कुढ़नी विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास दिलचस्प रहा है। यह सीट कई बार बदल चुकी है। 2005 से 2015 के बीच यह सीट बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के पास रही। 2020 में यहां आरजेडी ने जीत दर्ज की। 2022 में एनडीए ने वापसी करते हुए सीट पर कब्जा किया। अब तक यहां कुल 15 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में जेडीयू/बीजेपी मिलकर सबसे अधिक बार जीते हैं। हालांकि, आरजेडी की भी यहां अच्छी पकड़ रही है। कांग्रेस का असर पहले रहा है, लेकिन पिछले दो दशकों से उसका प्रभाव कम हो गया है।

 

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कब कौन जीता

1952 – कपिल देव नारायण सिंह (कांग्रेस)

1962 – रामगुलाम चौधरी (कांग्रेस)

1967 – कृष्णा नंदन सहाय (कांग्रेस)

1969 – साधु शरण शाही (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)

1972 – साधु शरण शाही (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)

1977 – राम परिक्षण साह (जनता पार्टी)

1980 – राम परिक्षण साह (जनता पार्टी)

1985 – शिवनंदन राय (कांग्रेस)

1990 – साधु शरण शाही (निर्दलीय)

1991 – आर. पी. साहू (जनता दल)

1995 – बसावन प्रसाद भगत (आरजेडी)

2000 – बसावन प्रसाद भगत (आरजेडी)

2005 (फरवरी) – मनोज सिंह कुशवाहा (जेडीयू)

2005 (अक्टूबर) – मनोज सिंह कुशवाहा (जेडीयू)

2010 – मनोज सिंह कुशवाहा (जेडीयू)

2015 – केदार प्रसाद गुप्ता (बीजेपी)

2020 – अनिल साहनी (आरजेडी)

2022 (उपचुनाव) – केदार प्रसाद गुप्ता (बीजेपी)