कभी मुरथल से पराठा खाकर दिल्ली लौटिए तो दिल्ली की सीमा में घुसते ही जो सबसे पहली विधानसभा मिलेगी उसी का नाम नरेला है। यह विधानसभा दिल्ली के बाहरी क्षेत्र में मानी जाती है और यहां गांव और शहर का संगम भी देखने को मिलता है। 10 साल से इस विधानसभा में काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) को चुनौती देने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को तरजीह दे रही हैं। मुख्य रूप से गांव वाले क्षेत्र वाली इस विधानसभा में गांवों की राजनीति हर बार भारी रही है।
2018 में विरेंद्र मान उर्फ काले की हत्या के बाद राजनीतिक समीकरण भी थोड़े बदले हैं। 10 साल की सत्ता और स्थानीय मुद्दों के समाधान अभी भी न होने के चलते AAP को भी दबाव महसूस हुआ है और उसने उम्मीदवार बदल दिया है। वहीं, बीजेपी और कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को उठाकर इस सीट को AAP से छीनने को बेताब हैं।
नरेला की समस्याएं क्या हैं?
पतली और टूटी सड़कें, रेहड़ी वालों की ज्यादा संख्या, इलाके की ज्यादा जनसंख्या के चलते यहां ट्रैफिक जाम की समस्या बहुत ज्यादा है। कूड़े का ढेर, टूटी नालियां और कानून व्यवस्था बाहरी दिल्ली की सभी विधानसभाओं की तरह नरेला के लिए भी हर दिन की समस्या है। जिन इलाकों में नई नालियां बनी भी हैं, वहां के लोगों का यही कहना है कि नाले और नालियां ऐसे बनाए गए हैं कि पानी बाहर ही बहता रहता है। जहां गलियां बनी हैं, वहां के लोगों का भी कमोबेश यही कहना है। यहां तक कि दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना भी इस इलाके की सुरक्षा के लिए पूर्व सैनिकों की तैनाती की बात कह चुके हैं।
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2020 में क्या हुआ था?
इस सीट पर 2020 में भी AAP ने ही जीत हासिल की थी। बीजेपी ने अपने पुराने नेता नील दमन खत्री पर ही भरोसा जताया था। नील दमन खत्री को 68,833 वोट मिले और AAP के शरद चौहान 86,262 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस के सिद्धार्थ कुंडू को सिर्फ 6270 वोट ही मिले। इस स सीट पर 2020 में कुल 1.65 लाख वोट डाले गए थे।
विधानसभा का इतिहास
साल 1993 से अब तक इस सीट पर तीनों ही बड़ी पार्टियों को जीत मिल चुकी है। सबसे पहले 1993 में बीजेपी के इंदराज सिंह को जीत मिली थी। उसके बाद 1998 और 2003 में कांग्रेस के चरण सिंह कंडेरा चुनाव जीते। 2008 में कांग्रेस ने जसवंत सिंह राणा को चुनाव लड़ाया और वह चुनाव जीत भी गए। इसके बाद 2013 में बीजेपी के नील दमन खत्री ने अपनी पार्टी को 20 साल के बाद इस सीट पर जीत दिलाई। 2013 में 49 दिन की सरकार चलाने वाले अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की राजनीति बदली तो नरेला का इतिहास भी बदलने लगा। 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी ने के शरद चौहान ने लगातार दो बार जीत हासिल की। हालांकि, इस बार AAP ने शरद चौहान का टिकट काट दिया है और उनकी जगह पर दिनेश भारद्वाज को चुनाव में उतारा है।
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समीकरण
इस विधानसभा सीट का जातीय समीकरण मिला-जुला है। यहां लगभग 20 पर्सेंट जाट, 10 पर्सेंट ब्राह्मण, 23 पर्सेंट अनुसूचित जनजाति, 7.4 पर्सेंट मुस्लिम, और 7 पर्सेंट बनिया हैं।