बिहार के औरंगाबाद जिले में आने वाली रफीगंज विधानसभा में कभी जेडीयू तो कभी आरजेडी जीतती आ रही है। यह सीट कभी कांग्रेस की हुआ करती थी। हालांकि, कांग्रेस 1990 के बाद से कोई चुनाव नहीं जीत सकी है। पिछले चुनाव में यह सीट आरजेडी ने जेडीयू से छीन ली थी।


बताया जाता है कि रफीगंज का नाम 19वीं सदी के जमींदार रफीउद्दीन अहमद के नाम पर रखा गया। उन्होंने रेलवे लाइन के लिए जमीन दान दे दी थी। यहां अनाज के बड़े-बड़े गोदाम भी रफीउद्दीन ने बनवाए थे। 

मौजूदा समीकरण

रफीगंज विधानसभा पर 2005 से 2020 तक 6 चुनाव हो चुके हैं। इन 6 चुनावों की राजनीति सिर्फ दो ही चेहरों पर सिमट गई है। एक आरजेडी के मोहम्मद नेहालुद्दीन। और दूसरे- जेडीयू के अशोक कुमार सिंह। यहां लगभग 27 फीसदी दलित और 14 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं। मुस्लिम वोटर्स यहां निर्णायक भूमिका में हैं। इस सीट पर 2010 और 2015 में जेडीयू के अशोक कुमार सिंह की जीत हुई थी। हालांकि, 2020 में एनडीए में टूट का फायदा आरजेडी को मिला था। इस बार एनडीए एकजुट है। और अगर पिछली बार जैसे समीकरण नहीं बदलते हैं तो जेडीयू वापसी कर सकती है।

 

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2020 में क्या हुआ था?

पिछले विधानसभा चुनाव में रफीगंज से आरजेडी के मोहम्मद नेहालुद्दीन की जीत हुई थी। उन्होंने 9,429 वोट से जीत हासिल की थी। उन्होंने एलजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रमोद कुमार सिंह को हराया था। नेहालुद्दीन को 63,325 और प्रमोद कुमार को 53,896 वोट मिले थे। दो बार यहां से विधायक रह चुके जेडीयू के अशोक कुमार सिंह तीसरे नंबर पर खिसक गए थे। उन्हें 26,833 वोट ही मिले थे।

विधायक का परिचय

रफीगंज सीट से इस समय मोहम्मद नेहालुद्दीन विधायक हैं। वह इस सीट पर अब तक तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। पहली बार फरवरी 2005, दूसरी बार अक्टूबर 2005 और तीसरी बार 2020 का चुनाव उन्होंने जीता था।


नेहालुद्दीन आरजेडी का बड़ा मुस्लिम चेहरा हैं। वह इस साल तब चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने चुनाव आयोग की SIR की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए दावा कर दिया था कि बिहार में मिनी एनआरसी लागू किया जा रहा है।


2020 के चुनाव में दाखिल हलफनामे में नेहालुद्दीन ने अपने पास 1.28 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। उनके खिलाफ एक क्रिमिनल केस है।

 

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विधानसभा का इतिहास

रफीगंज सीट पर अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा 6 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। आरजेडी 3 बार जीत चुकी है। जेडीयू 2 बार यहां से जीती है।

  • 1952: एसएम लतीफुर रहमान (कांग्रेस)
  • 1957: सरजू प्रसाद सिन्हा (कांग्रेस)
  • 1962: राम पुकार सिंह (स्वतंत्र पार्टी)
  • 1967: दिलकेश्वर राम (कांग्रेस)
  • 1969: सहदेव चौधरी (भारतीय जन संघ)
  • 1972: फागुनी राम (कांग्रेस)
  • 1977: मोहम्मद हुसैन अंसारी (जनता पार्टी)
  • 1980: विजय कुमार सिंह (जनता पार्टी)
  • 1985: विजय कुमार सिंह (कांग्रेस)
  • 1990: विजय कुमार सिंह (कांग्रेस)
  • 1995: राम चंद्र सिंह (सीपीआई)
  • 2000: सुशील कुमार सिंह (समता पार्टी)
  • 2005: मोहम्मद नेहालुद्दीन (आरजेडी)
  • 2005: मोहम्मद नेहालुद्दीन (आरजेडी)
  • 2010: अशोक कुमार सिंह (जेडीयू)
  • 2015: अशोक कुमार सिंह (जेडीयू)
  • 2020: मोहम्मद नेहालुद्दीन (आरजेडी)