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घोसी विधानसभा: 38 साल तक सत्ता में रहने वाला परिवार वापसी कर पाएगा?

बिहार की घोसी विधानसभा वह सीट है, जहां कभी 38 साल तक शर्मा परिवार का दबदबा था। 10 साल से यह परिवार यहां की सत्ता से दूर है।

ghosi assembly

घोसी विधानसभा सीट, Photo Credit- KhabarGaon

बिहार के जहानाबाद जिले में पड़ने वाली घोसी विधानसभा की ज्यादातर आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है। यहां साक्षरता दर भी काफी कम है। घोसी की जनता पार्टी से ज्यादा उम्मीदवार को महत्व देती है। घोसी में अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। यहां कांग्रेस से लेकर बीजेपी और वामपंथी पार्टियों ने भी जीत हासिल की है।


घोसी सीट की एक खास बात यह भी है कि यहां 38 सालों तक एक ही परिवार ने राज किया है, वह भी अलग-अलग पार्टी से। हालांकि, अब यह परिवार यहां से सत्ता से दूर होता जा रहा है।


घोसी सीट पर 1977 से 2005 तक जगदीश शर्मा ने लगातार 8 चुनाव जीते। उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर पहला चुनाव जीता। उसके बाद बीजेपी से एक बार, कांग्रेस से 3 बार, निर्दलीय 2 बार और जेडीयू से एक बार चुनाव जीता। 2009 में जगदीश शर्मा लोकसभा चले गए थे। उनके बाद उनकी पत्नी शांति शर्मा यहां से विधायक बनीं। 2010 के चुनाव में उनके बेटे राहुल शर्मा को जेडीयू ने टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की। 2015 के चुनाव में राहुल शर्मा को जेडीयू ने टिकट नहीं दिया, जिसके बाद उन्होंने जीतन राम मांझी की HAM पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2020 के चुनाव में जेडीयू ने उन्हें फिर टिकट दिया लेकिन वह फिर हार गए।

 

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मौजूदा समीकरण

घोसी वह सीट है जिस पर लगभग चार दशकों तक शर्मा परिवार का राज रहा है। यहां अनुसूचित जाति (SC) वोटरों की आबादी सबसे ज्यादा है। इनके अलावा मुस्लिम और यादव फैक्टर भी यहां काम करता है। यहां भूमिहार, रविदास और पासवान समुदाय का भी ठीक-ठाक प्रभाव है। यह वह सीट है जहां वामपंथ का भी प्रभाव रहा है। पिछले चुनाव में एनडीए को यहां कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था। फिलहाल घोसी में भाकपा (माले) का कब्जा है।

2020 में क्या हुआ था?

पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। जेडीयू ने राहुल शर्मा को टिकट दिया था। हालांकि, राहुल शर्मा भाकपा (माले) के रामबली यादव से 17,333 वोटों से हार गए थे। रामबली यादव को 74,712 और राहुल शर्मा को 57,379 वोट मिले थे। एलजेपी के राकेश कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे, जिन्हें 4,762 वोट मिले थे।

विधायक का परिचय

रामबली यादव को घोसी में तीसरी कोशिश में कामयाबी मिली थी। 2020 से पहले उन्होंने 2010 और 2015 का चुनाव भी लड़ा था लेकिन दोनों ही बार हार गए थे। 2010 के चुनाव में उन्हें 12,203 और 2015 में 10,894 वोट ही मिले थे। 


हालांकि, 2020 के चुनाव में उन्हें लगभग 75 हजार वोट मिले थे और उन्होंने 17 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।


रामबली यादव पिछले साल तब चर्चा में आए थे, जहानाबाद में सीएम नीतीश कुमार की रैली में कथित तौर पर उन्हें एंट्री नहीं दी गई थी। रामबली यादव ने आरोप लगाया था कि सीएम नीतीश कुमार के गार्ड ने उन्हें धक्का दिया था। 


2020 के विधानसभा चुनाव में दाखिल हलफनामे में रामबली यादव ने अपने पास 41.88 लाख रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। उनके खिलाफ एक क्रिमिनल केस दर्ज है।

 

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विधानसभा का इतिहास

इस विधानसभा में पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब से अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं। इनमें कांग्रेस ने 5, निर्दलीयों ने 4 और जेडीयू ने 3 बार जीत हासिल की है।

  • 1952: राम चंद्र यादव (निर्दलीय)
  • 1962: मिथिलेश्वर प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
  • 1967: रामाश्रय प्रसाद यादव (सीपीआई)
  • 1969: कौशलेंद्र प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
  • 1972: रामाश्रय प्रसाद यादव (सीपीआई)
  • 1977: जगदीश शर्मा (जनता पार्टी)
  • 1980: जगदीश शर्मा (बीजेपी)
  • 1985: जगदीश शर्मा (कांग्रेस)
  • 1990: जगदीश शर्मा (कांग्रेस)
  • 1995: जगदीश शर्मा (कांग्रेस)
  • 2000: जगदीश शर्मा (निर्दलीय)
  • 2005: जगदीश शर्मा (निर्दलीय)
  • 2005: जगदीश शर्मा (जेडीयू)
  • 2009: शांति शर्मा (निर्दलीय)
  • 2010: राहुल शर्मा (जेडीयू)
  • 2015: कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा (जेडीयू)
  • 2020: रामबली सिंह यादव (भाकपा (माले))

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