दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के बाद खुद इंडिया ब्लॉक की पार्टियां सवाल उठाने लगी हैं। नेशनल कॉफ्रेंस के बाद अब शिवसेना (यूबीटी) ने भी 'आप' और कांग्रेस पर सवाल उठा दिए हैं। शिवसेना के मुखपत्र सामना ने इसके लेकर संपादकीय लिखा है।

 

संपादकीय में कहा गया है, 'दिल्ली और महाराष्ट्र में विपक्षी दलों के बीच फूट और मतभेद ने सीधे तौर पर बीजेपी को जीताने में मदद की।' ऐसे में आम आदमी पार्टी की हार में कांग्रेस की भूमिका विपक्षी गुट 'इंडिया' के सामने उभर कर सामने आ रही है।

 

'और लड़ो आपस में'

 

इससे पहले इंडिया गठबंधन के सहयोगी और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तंज सकते हुए नतीजों के बाद कहा था, 'और लड़ो आपस में'। इसके बाद अब उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी दिल्ली की हार के लिए कांग्रेस और 'आप' पर उंगली उठाई है। 

 

अपने दिल की तसल्ली के लिए लड़ो- सामना

 

सामना ने संपादकीय में लिखा, 'दिल्ली में आप और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे को खत्म करने के लिए लड़ाई लड़ी, जिससे बीजेपी के लिए जीत आसान हो गई। अगर यह जारी रहा, तो गठबंधन क्यों करें? बस अपने दिल की तसल्ली के लिए लड़ो... बस आपस में लड़ते रहो।' 

 

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चुनाव हारी आम आदमी पार्टी

 

बता दें कि चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि कांग्रेस की वजह से आम आदमी पार्टी दिल्ली की 13 विधानसभा सीटें हार गई। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी महज 22 सीटों पर सिमट गई और बीजेपी को 48 सीटें मिलने के साथ ही सरकार बनाने की स्थिती में आ गई।

 

कांग्रेस ने मनाया हार का जश्न

 

इतना ही नहीं दिल्ली में लगातार तीसरे चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं आई, इसके बावजूद कांग्रेस नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर 'आप' की हार के बाद जश्न मनाया। इस खबर से विपक्ष में खटास और खुलकर सामने आ गई।

 

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने भी कांग्रेस पर 'आप' के लिए खराब रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। इसके जवाब में कांग्रेस ने आरोपों को खारिज करते हुए तर्क दिया कि आम आदमी पार्टी गठबंधन नहीं चाहती थी। साथ ही कहा कि अरविंद केजरीवाल ने चुनाव से पहले दिल्ली की 70 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी।