कोचिंग संस्थानों के लिए मशहूर मुखर्जी नगर को अगर आप जानते हैं तो यह समझ लीजिए कि मुखर्जी नगर जिस विधानसभा में आता है उसी का नाम तिमारपुर है। मुखर्जी नगर इस विधानसभा का एक वार्ड है। इस विधानसभा में ऐसे तीन और यानी कुल 4 वार्ड हैं। लगातार 3 बार से आम आदमी पार्टी चुनाव जीतती आ रही है लेकिन एक भी बार अपने मौजूदा विधायक को दोबारा टिकट नहीं दिया है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। वहीं, कुछ महीने पहले तक मौजूदा विधायक दिलीप पांडेय का विरोध करने वाले पूर्व विधायक सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू इस बार AAP की ओर से उम्मीदवार हैं। दिलीप पांडेय का टिकट कटने को लेकर भी थोड़ा बहुत विरोध जरूर हुआ है।

 

कांग्रेस और BJP अभी तक अपना उम्मीदवार तो तय नहीं कर पाए हैं लेकिन चर्चाएं हैं कि बीजेपी की ओर से इस सीट पर किसी फायरब्रांड नेता को टिकट दिया जा सकता है। AAP के लिए चुनौती यह है कि वह लगातार चौथी बार इस सीट को बचा पाए। वहीं, BJP के सामने मुश्किल यह है कि वह एक ऐसा उम्मीदवार उतारे जो अपने ही पुराने नेता सुरेंद्र पाल बिट्टू को चुनौती दे सके। कांग्रेस इस सीट पर भी मुश्किल में दिख रही है क्योंकि उसके पास अभी भी ऐसा मजबूत चेहरा नहीं दिख रहा है जो इन दोनों पार्टियों का मुकाबला मजबूती से कर पाए।

 

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तिमारपुर की समस्याएं क्या हैं?

 

जाम की समस्या तिमारपुर के लिए भी लगभग वैसी ही है जैसे कि दिल्ली के अन्य इलाकों में है। जल निकासी, पीने के पानी की समस्या भी यहां मौजूद है। अधूरे कामों का पूरा न होना दिल्ली की लगभग हर विधानसभा की समस्या है। शायद इसी को काउंटर करने के लिए आखिरी वक्त में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने सड़कों को ठीक करवाने और सफाई जैसे कामों को तेज कर दिया है। जगह-जगह गंदगी की समस्या तो ऐसी है कि एक जगह सफाई होती है तो कुछ दिन बाद ही फिर गंदगी दिखने लगती है।

2020 में क्या हुआ था?

 

2020 में सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए थे। 5 साल विधायक रहे पंकज पुष्कर AAP से निकाले जा चुके योगेंद्र यादव गुट के थे तो उनका टिकट कटना तय था। ऐसी स्थिति में AAP ने अपने भरोसेमंद नेता दिलीप पांडेय पर दांव लगाया। पिछली बार चुनाव हार चुकी BJP इस उम्मीद में थी कि सुरेंद्र पाल सिंह के आने से उसे मदद मिलेगी। उसके वोटों में थोड़ा इजाफा तो हुआ लेकिन इतना नहीं कि वह AAP को हरा सके। नतीजा यह हुआ कि लगातार तीसरी बार AAP ने इस सीट को अपने कब्जे में कर लिया।

 

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विधानसभा का इतिहास

 

इस विधानसभा के इतिहास की बात करें तो यहां पर भी हर पार्टी की जीत मिल चुकी है। 1993 में जब बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही थी तब इस सीट से बीजेपी के राजेंद्र गुप्ता चुनाव जीते थे। 1998 में कांग्रेस के जगदीश आनंद ने जीत हासिल की। 2003 और 2008 में सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। यही सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू इस बार AAP के उम्मीदवार हैं। 2013 में इसी सीट से AAP के हरीश खन्ना जीते। 2015 में पंकज पुष्कर को टिकट मिला तो वह भी AAP के टिकट पर जीते। 2020 में AAP ने दिलीप पांडेय को चुनाव लड़ाया और वह भी चुनाव जीतकर 5 साल विधायक रहे। इस बार AAP ने दिलीप पांडेय का भी टिकट काट दिया।

जातिगत समीकरण

 

इस सीट पर 16 पर्सेंट ओबीसी, 9 पर्सेंट मुस्लिम, 20.2 पर्सेंट एससी और 8 पर्सेंट ब्राह्णण हैं। पूर्वांचलियों की संख्या भी अच्छी-खासी है। कुल 4 वार्ड हैं जिसमें से एक मुखर्जी नगर भी है। यह वही सीट है जहां देश के अलग-अलग कोने से आने वाले छात्र UPSC की परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और यहीं रहते भी हैं।