दिल्ली की नई दिल्ली विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं। अरविंद केजरीवाल के अलावा इसी सीट से आम आदमी पार्टी के गोपाल मोहन ने भी नामांकन दाखिल किया है। केजरीवाल के सामने बीजेपी ने प्रवेश वर्मा को उतारा है लेकिन उनकी पत्नी स्वाति सिंह ने भी नामांकन भर दिया है। और तो और इस सीट से कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को टिकट दिया है। इसी सीट से संदीप दीक्षित की पत्नी मोना दीक्षित ने भी नामांकन भरा है।
एक सीट से एक पार्टी के 2-2 उम्मीदवार
ये तो रही नई दिल्ली सीट की बात। अब जरा कालकाजी सीट का हाल भी देख लेते हैं, जहां से मुख्यमंत्री आतिशी चुनाव लड़ रहीं हैं। सीएम आतिशी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी की तरफ से रेखा ने भी नामांकन दाखिल किया है।
वहीं, बीजेपी ने रमेश बिधूड़ी को टिकट दिया है। उनके साथ ही बीजेपी की नीतू पुरी ने भी नामांकन दाखिल कर दिया है। कांग्रेस ने यहां से अल्का लांबा को उम्मीदवार बनाया है। उनके अलावा यहां से कांग्रेस के टिकट पर ही कांता शर्मा ने भी नामांकन दाखिल किया है।
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मगर ऐसा क्यों?
सिर्फ नई दिल्ली और कालकाजी सीट ही ऐसी नहीं हैं, जहां से एक ही पार्टी के दो-दो उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है। ऐसी कई और सीटें हैं जहां एक ही पार्टी के दो उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है।
मगर ऐसा क्यों? दरअसल इसे पार्टियों का प्लान-B कहा जा सकता है। हर चुनाव में राजनीतिक पार्टियां अपने मुख्य उम्मीदवार के साथ-साथ बैकअप कैंडिडेट से भी पर्चा भरवाती हैं। ऐसा इसलिए ताकि अगर मुख्य उम्मीदवार का नामांकन किसी वजह से रद्द हो जाए तो बैकअप कैंडिडेट से चुनाव लड़वाया जाए।
क्या ऐसा करना सही है?
हां। चुनाव में मुख्य उम्मीदवार के साथ-साथ बैकअप कैंडिडेट को उतारने पर कोई मनाही नहीं है। अगर मेन कैंडिडेट का नामांकन खारिज हो जाता है तो बैकअप कैंडिडेट चुनाव लड़ता है। अगर मेन कैंडिडेट का नामांकन एक्सेप्ट हो जाता है तो ऐसे में बैकअप कैंडिडेट का नामांकन अपने आप ही खारिज हो जाता है।
अब सवाल उठता है कि अगर बैकअप कैंडिडेट अपना नाम वापस न ले तो क्या होगा? ऐसी स्थिति में मेन कैंडिडेट ही पार्टी के चुनाव चिह्न पर लड़ेगा। बैकअप कैंडिडेट को निर्दलीय माना जाएगा और उसे दूसरा चुनाव चिह्न दिया जाएगा। हालांकि, ऐसा होने की गुंजाइश काफी कम होती है। ज्यादातर मामलों में बैकअप कैंडिडेट के तौर पर उम्मीदवार अपने पति या पत्नी को ही उतार देते हैं।
जमानत राशि का क्या होता है?
कोई भी व्यक्ति अगर चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे एक तय रकम जमानत राशि के तौर पर जमा करनी होती है। दिल्ली चुनाव के लिए जमानत राशि की रकम 10 हजार रुपये है। वैसे तो मेन कैंडिडेट का नामांकन मंजूर होने पर बैकअप कैंडिडेट का नामांकन खुद ब खुद खारिज हो जाता है और उसे उसकी जमानत राशि की रकम लौटा दी जाती है। अगर बैकअप कैंडिडेट चुनाव लड़ना चाहता है तो जमानत राशि जमा ही रहती है।
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981 उम्मीदवारों ने दाखिल किया नामांकन
चुनाव आयोग के मुताबिक, दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए 981 उम्मीदवारों ने 1,523 नामांकन दाखिल किए हैं। चुनाव आयोग ने बताया कि नामांकन दाखिल करने की आखिरी दिन यानी 17 जनवरी को सबसे ज्यादा नामांकन दाखिल गए हैं। 17 जनवरी को 680 नामांकन दाखिल हुए हैं।
चुनाव आयोग ने बताया कि सबसे ज्यादा नामांकन नई दिल्ली सीट पर दाखिल हुए हैं। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने बीजेपी ने प्रवेश वर्मा और कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को उतारा है। चुनाव आयोग के मुताबिक, नई दिल्ली सीट पर 29 उम्मीदवारों ने 40 नामांकन दाखिल किए हैं। यानी, केजरीवाल के सामने 28 उम्मीदवार हैं।
दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। 8 फरवरी को चुनाव नतीजे घोषित किए जाएंगे। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बीजेपी ने 68 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि एक सीट जेडीयू और एक एलजेपी (रामविलास) के लिए छोड़ दी है।