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दिल्ली में दलित वोटों को अंदर-अंदर साध रही BJP, जानें क्या है रणनीति?

दिल्ली में दलित वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी कई स्तरों पर काम कर रही है। जानें क्या है वह रणनीति?

Amit Shah and PM Modi । Photo Credit: PTI

गृह मंत्री अमित शाह और पीएम मोदी । Photo Credit: PTI

दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों इस चुनाव को जीतने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। शुक्रवार को बीजेपी ने भी अपना मैनिफेस्टो जारी कर दिया है।

 

बीजेपी-कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों हर वर्ग के वोटर्स को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी अनुसूचित जाति के वोटर्स को अपनी तरफ करने के लिए एक खास रणनीति पर काम कर रही है।

30 सीटों पर फोकस

इसके लिए बीजेपी ने न सिर्फ दिल्ली की अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व 12 सीटों पर बल्कि लगभग ऐसी 30 सीटों के लिए रणनीति बनाई है जिस पर अनुसूचित जाति के लोग की संख्या ज्यादा है।

 

बीजेपी 2015 और 2020 के चुनाव में एससी के लिए आरक्षित इन 12 सीटों में से एक भी सीट नहीं जीत सकी है। इसके पहले के चुनावों में भी बीजेपी दो-तीन सीटें जीतने में कामयाब हो सकी है।

 

दिल्ली में करीब 30 सीटें ऐसी हैं जिन पर अनुसूचित जातियों की संख्या 17 से 45 फीसदी तक है, बीजेपी इन सीटों पर फोकस कर रही है।

 

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क्या है रणनीति?

इन 30 सीटों में से 18 सीटें ऐसी हैं जिन पर अनुसूचित जातियों की संख्या 25 फीसदी है। इन 18 सीटों में राजिंदर नगर, चांदनी चौक, आदर्श नगर इत्यादि शामिल हैं।

 

अनुसूचित जाति बाहुल्य वाले इन सीटों के लिए बीजेपी ने बड़े स्तर पर आउटरीच प्रोग्राम चलाया है। बीजेपी के कई बड़े नेता इन सीटों के लिए काम कर रहे हैं। दिल्ली में बीजेपी के एसी मोर्चा के अध्यक्ष मोहन लाल गिहारा का कहना था कि अनुसूचित जाति के बड़े नेताओं को इन इलाकों में 'विस्तारक' के रूप में नियुक्त किया गया है जो कि एससी समुदाय के साथ बेहतर संबंध विकसित करने में मददगार साबित होंगे।

 

विस्तारकों ने हर पोलिंग बूथ के लिए 10-10 दलित युवाओं को तैनात किया है जो कि लोगों से व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क में हैं। पार्टी ने ऐसे 5600 बूथों की पहचान की है। इन 5600 बूथों में से भी 1900 बूथों पर स्पेशल फोकस किया जा रहा है।

कई स्तरों पर हो रहा है काम

पहले स्तर पर ये युवा कार्यकर्ता लोगों से व्यक्तिगत स्तर पर मिलकर पीएम मोदी द्वारा समुदाय के लिए किए जा रहे कामों को बताते हैं और साथ ही केजरीवाल सरकार की कमियों को भी गिनवाते हैं। 

 

दूसरे स्तर पर पार्टी ने ऐसे 55 बड़े दलित नेताओं को तैयार किया है जो कि इन विधानसभा सीटों पर मीटिंग करते हैं। इनमें यूपी, राजस्थान, एमपी और हरियाणा जैसे राज्यों के सांसद और मंत्री शामिल हैं।

 

तीसरे स्तर पर बीजेपी ने करीब 3500 राजनीतिक रूप से प्रभावशाली ऐसे लोगों की पहचान की है जो कि अपने आस-पड़ोस में वोट पर असर डाल सकते हैं। इन्हें बीजेपी ने अपने पक्ष में मनाने की कोशिश की है।

एससी स्वाभिमान सम्मेलन

साथ ही बीजेपी ने इन विधानसभाओं में 'एससी स्वाभिमान सम्मेलन' भी शुरू किया है जिसके तहत राजनीतिक इन्फ्लुएंसर्स, प्रोफेशनल, एचीवर्स और जाने-माने स्थानीय लोगों को सम्मानित किया जाता है।

 

अब तक इस तरह के 15 कन्वेंशन किए जा चुके हैं और हर कन्वेंशन में बीजेपी का कोई न कोई वरिष्ठ नेता मौजूद रहा है। इन मीटिंग्स में दलित समुदाय का काफी सपोर्ट देखने को मिला। इन मीटिंग्स में काफी संख्या में दलित समुदाय के लोग जुटते हुए दिखे।

व्यक्तिगत स्तर पर दिया जाता है इन्विटेशन

खास बात है इनमें आने वाले लोगों को मीटिंग ज्वाइन करने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर इन्विटेशन दिया जाता है। इससे पार्टी उनके साथ व्यक्तिगत स्तर पर एक जुड़ाव कर पाती है और उनके अंदर 'सेल्फ रेस्पेक्ट' की भावना भी भर पाती है।

5 फरवरी को है चुनाव

बता दें कि दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों के लिए 5 फरवरी को चुनाव होने वाले हैं और नतीजों की घोषणा 8 फरवरी को की जाएगी। बीजेपी के लिए इन सीटों पर आम आदमी पार्टी से बड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा जिसने पिछले दो विधानसभा चुनावों में सारी सीटें जीत लीं।

 

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