इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने कहा युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे तो L&T के चेयरमैन एस एन सुब्रमण्यम ने हाल ही में 90 घंटे के वर्कवीक का सुझाव दिया था। अब एक ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि हफ्ते में 60 घंटे से ज्यादा काम करने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

 

शुक्रवार को बजट-पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण में रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि हफ्ते में 60 घंटे से ज्यादा काम करने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

 

सर्वे में आमने आया है कि अपने डेस्क पर लंबे समय तक बैठना मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। साथ ही जो व्यक्ति अपने डेस्क पर राजाना 12 या इससे ज्यादा घंटे बिताते हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य खराब हो जाता है या इससे संघर्ष कर रहा होता है।

 

55-60 घंटों से ज्यादा काम से खराब होगा स्वास्थ्य 

 

सर्वे में कहा गया है, 'जबकि काम के ज्यादा घंटों को ज्यादा प्रोडक्टिविटी का मापदंड माना जाता है लेकिन पिछले अध्ययन में दिखाया गया है कि हफ्ते में 55-60 घंटों से ज्यादा काम करने पर स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। सर्वेक्षण में पेगा एफ, नफ्राडी बी (2021) और काम संबंधी बीमारी और चोट के बोझ का डब्ल्यूएचओ/आईएलओ का संयुक्त अनुमान से एक व्यवस्थित विश्लेषण के निष्कर्षों का हवाला दिया गया है।'

 

अध्ययन के आंकड़ों का हवाला

 

आर्थिक सर्वेक्षण में सैपियन लैब्स सेंटर फॉर ह्यूमन ब्रेन एंड माइंड द्वारा किए गए एक अध्ययन के आंकड़ों का हवाला दिया गया है। इसमें कहा गया है, 'अपने डेस्क पर लंबे समय तक बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए समान रूप से हानिकारक है। जो व्यक्ति डेस्क पर 12 या उससे अधिक घंटे बिताते हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य का स्तर व्यथित/संघर्षशील होता है, उनका मानसिक स्वास्थ्य स्कोर डेस्क पर दो घंटे से कम या बराबर समय बिताने वालों की तुलना में लगभग 100 अंक कम होता है।'

 

काम करने की क्षमता को घटाते हैं

 

सर्वेक्षण में कहा गया है कि बेहतर लाइफस्टाइल विकल्प, वर्कप्लेस कल्चर और पारिवारिक संबंध काम को हर महीने 2-3 दिन प्रभावित करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मैनेजर के साथ खराब संबंध और अपने काम पर गर्व ना करना और काम का क्या उद्देश्य है, ये सभी कारक काम करने की क्षमता को घटाते हैं।

 

हालांकि, सर्वेक्षण में बताया गया है कि काम की उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं। इसमें सबसे अच्छे मैनेजिरियल रिलेशन वाली नौकरियों में भी, हर महीने लगभग 5 दिन का नुकसान होता है। डब्ल्यूएचओ के एक अध्ययन का हवाला देते हुए, सर्वेक्षण में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर, अवसाद और चिंता की वजह से हर साल लगभग 12 बिलियन दिन बर्बाद होते हैं। यह 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्तीय नुकसान है।