भारत में कई राज्यों में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर मामलों में हल्के लक्षण देखे जा रहे हैं, घबराने वाली बात नहीं है। नए संक्रमण को जल्द ठीक किया जा सकता है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें, कोविड के नए मामलों पर सख्ती बरत रही हैं, इनकी निगरानी की जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 19 मई तक देश में 257 सक्रिय कोविड मामले हैं। इनमें से ज्यादातर मरीजों का घर पर ही इलाज चल रहा है। नए वायरस से संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी है।
केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हाल के दिनों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। कई राज्यों ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। कर्नाटक और दिल्ली जैसे राज्यों ने लोगों के लिए सलाह जारी की है और कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है, बस सावधानी बरतें। देश में बढ़े मामलों के पीछे कहा जा रहा है कि कोविड-19 का JN.1 वेरिएंट भी एक वजह हो सकता है।
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आइए जानते हैं कैसे कोविड वेरिएंट में म्यूटेशन होता है, अब तक कितने म्यूटेशन हुए हैं, कौन से म्युटेशन ज्यादा खतरनाक साबित हुए हैं-
कैसे दुनिया में फैला कोविड?
दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से ही दुनियाभर में कोरोना वायरस फैला था। देखते ही देखते पूरी दुनिया में कोविड संक्रमण के मामले अचानक से बढ़ने लगे। 2019 से लेकर अब तक कोविड-19 के अलग-अलग वेरिएंट्स सामने आए हैं, जिन्हें लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया को आगाह किया है। WHO ने समय-समय पर वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट और वेरिएंट ऑफ कंसर्न का जिक्र करते हुए वायरस के बारे में बात की है।
SARS-CoV-2 से JN.1 तक, वेरिएंट्स की पूरी कहानी
SARS-CoV-2 वायरस मूल संस्करण है, जिसके बाद दुनियाभर में इसके वेरिएंट्स में म्यूटेशन हुआ। इस वायरस का जीनोम सीक्वेंस SARS-CoV से 75-80% मिलता जुलता था। यह मूल स्ट्रेन था, दुनियाभर में तेजी से फला। लाखों लोग इस वायरस की चपेट में आने से मारे गए।
अल्फा वेरिएंट (B.1.1.7)
यह वेरिएंट दक्षिणी इंग्लैंड में पहली बार सामने आया था। सितंबर 2020 में सामने आए इस वेरिएंट्स में कई म्यूटेशन हुए। इस वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में कई म्यूटेशन देखे गए। सबसे संक्रामक म्यूटेशन N501Y था, जिसकी वजह से करोड़ों लोग इसके शिकार हुए। यह मेन स्ट्रेन की तुलना में 50-70% अधिक संक्रामक था। दिसंबर 2020 में इसे WHO ने इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया गया।
बीटा वेरिएंट (B.1.351)
बीटा वेरिएंट या B.1.351 का केस, पहली बार दक्षिण अफ्रीका में सामने आया है। इस वेरिएंट में दो म्यूटेशन E484K और N501Y देखे गए। दोनों म्यूटेशन वैक्सीन और हर्ड इम्युनिटी के बाद भी लोगों को संक्रमित करते थे।
गामा वेरिएंट (P.1)
गामा वेरिएंट का पहला केस मई 2021 में सामने आया था। ब्राजील में पहला मरीज मिला।
डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2)
डेल्टा वेरिएंट का पहला केस अप्रैल 2021 में सामने आया था। इसमें 2 म्यूटेशन देखे गए थे। L452R और T478K। यह बेहद संक्रामक था। साल 2021 में आई दूसरी लहर, इसी वेरिएंट्स की वजह से आई थी। WHO ने इसे भी वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न कहा। डेल्टा का सब-वेरिएंट K417N था, इसे भी खतरनाक माना गया।
कप्पा वेरिएंट (B.1.617.1)
कप्पा वेरिएंट का पहला केस अगस्त 2021 में सामने आया था। भारत में कप्पा और डेल्टा वेरिएंट के मामले एक साथ देखे गए थे। इस वेरिएंट के भी दो म्यूटेशन सामने आए। L452R और E484Q। यह डेल्टा की तुलना में कम खतरनाक रहा।
ओमिक्रॉन वेरिएंट (B.1.1.529)
नवंबर 2021 में ओमिक्रॉन वेरिएंट का पहला केस दक्षिण अफ्रीका में मिला। यह वेरिएंट बेहद घातक था। इसमें 30 से ज्यादा इस्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन देखे गए थे। इसके H655Y, N679K, और P681H म्यूटेशन चर्चा में रहे। यह बेहद संक्रामक था, वैक्सीन और हर्ड इम्युनिटी, दोनों को बेअसर करने में सक्षम था। WHO ने इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न माना था। ओमिक्रॉन के कई सब-वेरिएंट्स दुनियाभर में फैले। BA.1, BA.2, BA.4 और BA.5 सबसे ज्यादा चर्चा में रहे। BA.4 और BA.5 बेहद संक्रामक रहे।
ओमिक्रॉन सब वेरिएंट्स
साल 2022 से 2023 तक बीच में ओमिक्रॉन के कई सब वेरिएंट सामने आए। XBB, XBB.1.5, और BQ.1 जैसे वेरिएंट्स सामने आए। ये वेरिएंट्स वैक्सीन के बाद भी लोगों को संक्रमित करने में सक्षम थे। इन सब वेरिएंट्स की वजह से 2022 से 2023 के बीच में कई केस सामने आए।
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वेरिएंट ऑफ कंसर्न और इंटरेस्ट का अंतर क्या है
वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC): अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, ओमिक्रॉन।
वेरिएंट ऑफ कंसर्न और वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट का अंतर, उनके प्रभाव के हिसाब से WHO तय करता है। कंसर्न वाले वेरिएंट्स ज्यादा संक्रामक होते हैं, गंभीर बीमारी पैदा करते हैं, वैक्सीन और इलाज को बेअसर करने में सक्षम होते हैं।
वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (VOI): कप्पा, लैम्ब्डा, म्यू, आदि।
वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के म्यूटेशन तो होते हैं, लेकिन उनके असर पर कम अध्ययन हुआ होता है। इन्हें संभावित खतरे के तौर पर देखा जाता है।
कैसे होता है वायरस में म्यूटेशन?
SARS-CoV-2 एक RNA वायरस है जो जब इंसान के शरीर में प्रवेश करता है तो अपनी एक कॉपी तैयार करता है। इस प्रक्रिया में सब कॉपी नहीं हो पाता, इसी प्रक्रिया में म्यूटेशन होता है। ये बदलाव वायरस के जीन में छोटे-छोटे बदलाव होते हैं। इसके स्पाइक प्रोटीन वायरस की सेल में एंट्री करते हैं। कुछ म्यूटेशन वायरस को ज्यादा संक्रामक और गंभीर बना देते हैं। इन्हीं बदलावों की वजह से डेल्टा और ओमिक्रॉन जैसे वेरिएंट सामने आते हैं। WHO की इन म्यूटेशन पर नजर होती है।
कोविड ने कितने लोगों की जान ली है?
WHO का अनुमान है कि कोविड की वजह से दुनियाभर में 1.91 से 3.60 करोड़ मौतें हुईं हैं। भारत में भी 5 लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं।