कोविड-19 महामारी के बाद डायबिटीज के मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। डायबिटीज मेटाबॉलिक डिसॉर्डर के मरीजों की संख्या देश और दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। यहां तक की कम उम्र के बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं। खराब डाइट, मोटापा, बिगड़ता लाइफस्टाइल और हद से ज्यादा तनाव से यह बीमारी होती है। वर्क प्लेस से लेकर पर्सनल लाइफ का तनाव डायबिटीज होने का सबसे अहम कारण बनता है। ऐसे में खुद को स्वस्थ रखने के लिए खानपान से लेकर अपने लाइफस्टाइल को बैंलेस करना बेहद जरूरी हो जाता है।

 

ब्लड में मौजूद ग्लूकोस या शुगर लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाने को डायबिटीज मेटाबॉलिक डिसॉर्डर कहते है। दरअसल, जब आपका शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पता या बनाए गए इंसुलिन को सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता तब शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। बता दें कि डायबिटीज तीन टाइप के होते हैं। प्रीडायबीटिज, टाइप-1 डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज।

 

प्रीडायबिटीज- एक स्वस्थ व्यक्ति में ब्लड शूगर का लेवल 70 से 99 के बीच होता है। प्रीडायबिटीज में व्यक्ति का ब्लड शूगर 100 स 125 के बीच हो जाता है। दरअसल, यह तब होती है जब ब्लड में ग्लूकोज का लेवल सामान्य से ज्यादा होता है, लेकिन डायबिटीज होने तक नहीं पहुंचता।

 

टाइप 1 डायबिटीज- यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता या बहुत कम इंसुलिन बनाता है। यह बीमारी ज्यादातर बच्चों और युवा में होती है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकती है।

 

टाइप 2 डायबिटीज- आपके शरीर में इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पाता या पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता। इससे ब्लड में ग्लूकोज का लेवल सामान्य से ज्यादा हो जाता है, जिसे हाइपरग्लाइसीमिया कहते हैं।

 

वैसे तो डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है, ऐसे में ये बीमारी और अधिक खतरनाक हो जाती है। हालांकि, एक राहत की बात यह है कि अच्छी लाइफस्टाइल, रोजाना एक्सरसाइज और खानपान पर खास ध्यान रखा जाए तो प्री, टाइप1 और टाइप 2 डायबिटीज की स्थिति को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। आसान भाषा में समझें तो आप अपना डायबिटीज रिवर्स कर सकते है। अनहेल्दी लाइफस्टाइल, तनाव, फास्ट फूड और एक्सरसाइज न करना ही डायबिटीज के शुरुआती कारणों में से माना जाता हैं। ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट्स लाइफस्टाइल को बदलने की सलाह देते हैं।

 

तो आइये इन आसान टिप्स से जान लेते है कि कैसे आप अपने डायबिटिज को रिवर्स कर सकते हैं।

 

योग से भगाए रोग

एक्सरसाइज या योगासन रोजाना करें। जी हां, अगर आप अपना डायबिटीज रिवर्स करना चाहते है तो रोजाना सुबह 1 घंटे या 2 घंटे मॉर्निंग वॉक करें। इसके अलावा आप योगासन कर नेचुरल तरीके से शरीर में इंसुलिन का उत्पादन बढ़ाने में मदद कर सकते है। इससे आपका ब्लड शूगर कंट्रोल में रहेगा। बता दें कि धनुरासन करने से पैंक्रियाज एक्टिव हो जाता है, जिससे इंसुलिन स्पाइक का खतरा कम हो जाता है। वहीं, स्पाइनल Twist करने से पेट के निचले हिस्से के अंगों को स्टिम्युलेट करता है, जो ब्लड शूगर लेवल को कम करने में मददगार साबित होता हैं। नियमित ब्लड शूगर से आप अपना डायबिटीज रिवर्स कर सकते है।

 

कम खाएंगे Carbs, रहेंगे स्वस्थ

हम जितना काब्रस् खाते है वो उतना ही शूगर में कंवर्ट होता है, जिससे ब्लड शूगर लेवल बढ़ने का खतरा होता है। ऐसे में अपनी डाइट में कारब्स का सेवन जितना हो सकें कम करें। डायबिटीज को रिवर्स करने के लिए जितना हो सकें फाइबर खाएं। फाइबर शरीर में कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा कर भी ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है।

 

खूब पानी पिए, मैंगनीज को अपने डाइट में ऐड करें

डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार पेशाब जाने की समस्या होती है। ऐसे में पीड़ित लोगों को शरीर में पानी की कमी होने लगती है जो काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। शरीर में पानी की सही मात्रा बनी रहने पर हमारी किडनी अतिरिक्त शुगर के लेवल को पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में मदद करती हैं। इसके अलावा मैंगनीज को अपनी डाइट में शामिल करें। यह डायबिटीज को कंट्रोल करने में बहुत मदद करता है। मैंगनीज इंसुलिन के प्रोडक्शन को बढ़ाने में सहायक है, जिससे ब्लड शुगर मैनेज रहता है।

 

वजन घटाए

वजन कम करने से, खासकर कमर के आसपास का मोटापा घटाने से डायबिटीज को रिवर्स करने में मदद मिलती है। साथ ही 8 घंटे की नींद लेना भी बेहद जरूरी होता है।

 

Disclaimer: यह सलाह और सुझाव डॉक्टर से बातचीत के बाद लिखा गया है। किसी भी समस्या के लिए एक बार अपने डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें।