आज कल की बिजी लाइफस्टाइल का असर हमारी सेहत पर भी पड़ रहा है। हम पहले से जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। हमारी इम्युनिटी कमजोर हो गई है। इसमें सबसे बड़ा हाथ हमारे खान  पान का है। वैज्ञानिको ने इम्यून सिस्टम में ऐसे प्रोटीन ढूंढ लिया है जो मल्टी-आर्गन फेलियर और गंभीर लिवर की बीमारियों को रोकने में मदद कर सकता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि डैमेज्ड कोशिकाएं (सेल्स) शरीर के हिस्से में बढ़ना शुरू करती है और बाकी अंगों में फैलती है। कोशिकाओं की उम्र बढ़ने से वह जल्द थकते हैं और उनका काम भी धीरे हो जाता है। उम्र बढ़ना एक सामान्य प्रभाव है। लेकिन ये लाइफ के किसी भी फेज में हमारी बीमारी का कारण बन सकती है।

 

एक्यूट डिजीज की वजह से लिवर के डैमेज्ड सेल्स को ठीक नहीं किया जा सकता है। इस कारण से ऑर्गन फेलियर या मल्टी ऑर्गन फेलियर का चांस बढ़ जाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ इडिनबर्ग के शोधकर्ताओं ने एक्यूट लिवर डिजीज से पीड़ित व्यक्ति और चूहों पर ये प्रयोग किया। उन्होंने अपनी स्टडी में पाया कि डैमेज्ड लिवर सेल्स ने शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करना शुरू कर दिया था। इस वजह से मल्टी ऑर्गन फेलियर का खतरा बढ़ जाता है और बाद में लिवर ट्रांसप्लाट करने की जरूरत पड़ती है।

 

ये प्रोटीन लिवर संबंधित बीमारियों को रोकने में करता है मदद

 

टीम ने अपने रिसर्च में पाया, 'TGFβ' प्रोटीन जो हमारे इम्युन सिस्टम में होता है उसने लिवर के डैमेज्ड सेल्स को दूसरे अंगों में फैलने से रोकता है। यूनिवर्सिटी में हेपटोलॉजी के प्रोफेसर और स्टडी के लेखक राजीव जालान ने कहा, ये निष्कर्ष नेचर सेल बायोलॉजी जनर्ल में पब्लिश हुआ है। स्टडी में बताया गया कि आखिर क्यों लिवर की गंभीर बीमारी के बाद मल्टी ऑर्गन फेलियर होता है। कई बार इस कारण से मौत भी हो जाती है। 

 

जालान ने कहा, हम मरीजों में इन ऑबजर्वेशन को मार्क करने में सक्षम थे जिससे बायोमार्कर विकसित करने का मार्ग उपलब्ध हुआ। इस वजह से जो लोग गंभीर लिवर की बीमारियों से जूझ रहे हैं उन्हें नई थेरेपी मिल सकेगी। शोधकर्ता ने आगे लिखा, अभी ऐसा कोई टेस्ट नहीं आया है जो ये बता दें कि लिवर फेलियर कब होगा। लेकिन हम लिवर सेल्स को मॉनिटर करके बता सकते हैं कि किस मरीज को लिवर ट्रांसप्लाट की जरूरत है। शोधकर्ता ने आगे लिखा, TGFβ के जरिए हम बूढ़े डैमेज्ड सेल्स को दूसरे ऑर्गन में फैलने से रोक सकते हैं।