कभी बहुत हिंसक हो जाना कि झगड़े और मारपीट तक बात पहुंच जाए तो कभी बिल्कुल शांत हो जाना। किसी की बात का कोई जवाब न देना। किसी भी कारण से रोने लग जाना और खुद को कमरे में बंद कर लेना। अगर आपके दोस्तों या फैमिली में ऐसा किसी के साथ हो रहा है तो हो सकता है कि वो बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित हो। डॉक्टर के अनुसार, बाइपोलर डिसऑर्डर एक तरह की मानसिक डिसॉर्डर है जो डोपामाइन हार्मोन में असंतुलन होने के कारण होता है। इस अंसतुलन की वजह से व्यक्ति के मूड या बर्ताव में बदलाव आने लगते हैं।

 

कैसे पता चलेगा कि व्यक्ति बाइपोलर डिसॉर्डर से पीड़ित है

अगर कोई व्यक्ति बाइपोलर डिसॉर्डर से पीड़ित होता है तो उसे मेनिया या डिप्रेशन के दौरे पड़ते हैं। आसान भाषा में समझें तो व्यक्ति का मूड या तो बहुत हाई या लो रहता है।

 

क्या होते है लक्षण?

बाइपोलर से पीड़ित व्यक्ति बड़ी-बड़ी बातें करता है। लगातार काम करेगा। नींद की जरूरत महसूस नहीं होगी। पूरी रात न सोने के बावजूद सुबह बिल्कुल एक्टिव या चुस्त दिखना भी एक लक्षण में से है। इस डिसऑर्डर से पीड़ित शख्स जरूरत से ज्यादा पैसे खर्च करता है। कोई भी फैसला बिना सोचे समझे ले लेता है। मन एक जगह पर स्थिर नहीं रहता है। वास्तविकता से नाता बिल्कुल टूट जाना। यौन संबंध में उत्तेजित रहना। अगर ऐसे लक्षण दो हफ्ते से ज्यादा रहते हैं तो उसे मेनिया कहा जाता है।

 

बाइपोलर का टाइप 2 भी है,जिसे हाइपोमेनिया कहा जाता है। इसमें व्यक्ति हद से ज्यादा उदास रहता है। बिना कोई कारण रोते रहने का मन करना। किसी काम में मन नहीं लगना और नींद न आने के बावजूद बिस्तर पर पड़े रहना। इस टाइप के बाइपोलर से पीड़ित व्यक्ति में एनर्जी की कमी होने लगती है। इस डिसॉर्डर से प्रभावित लोग मिलना-जुलना बंद कर देते हैं।

 

कब करें डॉक्टर से कंसल्ट?

अगर आपके अपने या किसी दोस्त में दो हफ्ते तक ऐसे लक्षण नजर आते है तो समझ जाइये कि वो व्यक्ति बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, बाइपोलर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। 20 से कम उम्र के व्यक्ति को अर्ली बाइपोलर डिसॉर्डर के मामले में गिना जाता है।

 

क्या इसमें आते है सुसाइड के ख्याल?

क्लासिकल मेनिया या डिप्रेशन के समय आत्महत्या के ख्याल सबसे ज्यादा आते है। इसमें लंबे समय तक उदासी, बहुत गुस्सा होना, आक्रमकता, नींद की जरूरत महसूस न होना, जरूरत से ज्यादा बातें या खर्च करना और सेक्शुअल कॉन्टेक्ट से सामान्य से ज्यादा आकर्शित होना शामिल है।