ईरान और अमेरिका के बीच शनिवार (19 अप्रैल) को इटली की राजधानी रोम में न्यूक्लियर डील पर हाई लेवल की बात होगी। दोनों के बीच न्यूक्लियर डील पर बातचीत का यह दूसरा दौर है। इससे पहले दोनों देशों के बीच फर्स्ट फेज की बातचीत 12 अप्रैल को ओमान की राजधानी मस्कट में हुई थी। इसकी मध्यस्थता ओमान के विदेश मंत्री बदर अल-बुसैदी ने की थी।
ईरान-अमेरिका के बीच हुई ओमान में पहले दौर की बात एक दशक के बाद न्यूक्लियर डील पर होने वाली पहली आधिकारिक बातचीत थी। उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा थे। हालांकि, रोम में हो रही न्यूक्लियर डील पर बात में अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची शामिल हो रहे हैं। दरअसल, न्यूक्लियर डील पर हो रही यह ताजा बातचीत अमेरिका और ईरान के परमाणु डील पर दशकों से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए है।
डोनाल्ड ट्रंप की ईरान को धमकी
दोनों देशों के बीच यह बातचीत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के बाद हो रही है, जिसमें ट्रंप ने कूटनीति बातचीत बेनतीजा रहने के बाद सैन्य कार्रवाई करने की धमकी दी है। धमकी मिलने के बाद ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने कहा, 'इस तरह के समझौते से ईरान के वैध अधिकारों का सम्मान होना चाहिए और ईरान पर लगाए गए अनुचित प्रतिबंधों को हटाना चाहिए। साथ ही ईरान के परमाणु कार्य के बारे में किसी भी संदेह को दूर करना चाहिए।'
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वहीं, रोम में बात करने से पहले अराकची ने गुरुवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से बात की थी। इस दौरान अराकची ने कहा कि अमेरिका के इरादों पर उन्हें भरोसा नहीं है, लेकिन फिर भी बातचीत करेंगे।
प्रतिबंध जल्द ही हटाए जा सकते हैं
हालांकि, ईरान कुछ हद तक यह भी मानकर बैठा है कि उसपर लगाए गए प्रतिबंध जल्द ही हटाए जा सकते हैं। ईरान ने त्वरित समझौते की उम्मीदों को कम करने की कोशिश की है। ईरान के सर्वोच्च नेता, अयातुल्ला अली खामेनेई ने इस हफ्ते कहा था कि वह इस बातचीत में 'न तो अत्यधिक आशावादी हैं और न ही निराशावादी।'
चाहता हूं ईरान महान बने- ट्रंप
ट्रंप ने शुक्रवार को मीडिया से कहा, 'मैं ईरान को परमाणु हथियार रखने से रोकने के पक्ष में हूं। उनके पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते। मैं चाहता हूं कि ईरान महान, समृद्ध और शानदार बने।' बता दें कि 2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान और छह अन्य देशों के बीच 2015 के परमाणु समझौते को रद्द कर दिया था। उन्होंने उस समय ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका चाहता है कि ईरान अत्यधिक यूरेनियम का उत्पादन बंद कर दे। अमेरिका का मानना है कि यूरेनियम का उत्पादन करके ईरान का उद्देश्य परमाणु बम बनाना है।
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यूरेनियम को और बेहतर कर रहा ईरान
साल 2019 से ईरान ने अपने यूरेनियम को और बेहतर बनाने पर साल 2015 के समझौते का उल्लंघन किया है, साथ ही वादे से कहीं ज्यादा उत्पादन किया है। इस बीच समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ईरान के एक सीनीयर अधिकारी के हवाले से बताया है, 'ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन सेंट्रीफ्यूज को नष्ट करने, यूरेनियम को बेहतर करने से पूरी तरह से रोकने या यूरेनियम भंडार को कम करने पर कभी सहमत नहीं होगा।'
ईरान को न्यूक्लियर प्रोग्राम छोड़ने की चेतावनी दे चुके ट्रंप
राष्ट्रपति ट्रंप ईरान को न्यूक्लियर प्रोग्राम नहीं छोड़ने पर खामियाजा भुगतने की धमकी दे चुके हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने पिछले दिनों कहा था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्राथमिकता है कि ईरान कभी परमाणु हथियार हासिल ना कर सके। कैरोलिन लेविट ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप पहले भी साफ कर चुके हैं कि इस मामले में सभी विकल्प खुले हैं। ईरान के पास दो विकल्प हैं- या तो ट्रंप की मांगों को मान ले या फिर इसके गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार रहे।
ईरान के पास 6 परमाणु बम बनाने का यूरेनियम
बताते चलें कि 2018 में ट्रंप के ईरान से परमाणु करार रद्द कर दिया था। इसके बाद से ईरान ने बम बनाने की क्षमता में लगातार इजाफा किया है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक ईरान ने 60 फीसदी शुद्धता का 275 किलो यूरेनियम बना लिया है। यह छह परमाणु बम बनाने के लिए काफी है। अगर अमेरिका-ईरान के बीच कोई समझौता नहीं होता है तो इस साल के अंत तक अमेरिका या इजराइल या दोनों ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी का फैसला ले सकते हैं। मगर, ये फैसले लेने से पहले बातचीत के जरिए मामला सुलझाने की कोशिश जारी है।