ईरान और इजरायल युद्ध पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। पिछले 12 दिनों से चल रहे युद्ध में दोनों तरफ से काफी नुकसान हुआ। इस बीच इन दोनों के युद्ध के बीच में अमेरिका भी कूद पड़ा। अमेरिका ने 22 जून को ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया। ट्रंप का कहना था कि वह ईरान को किसी भी हालत में परमाणु हथियार बनाने नहीं देंगे। हमले के बाद ऐसा दावा किया गया कि ईरान के तीनों परमाणु ठिकानों को काफी नुकसान पहुंचा। हालांकि, बाद में ईरान ने कहा कि उसने सभी यूरेनियम मटीरियल को पहले ही वहां से शिफ्ट कर लिया था और साथ ही यह भी कहा कि वह परमाणु हथियार बनाने की दिशा में काम करता रहेगा।
इसके बाद ईरान ने चेतावनी देते हुए कहा कि वह इसका जवाब जरूर देगा और ऐसा हुआ भी। ईरान ने कतर में स्थित अमेरिकी एयरबेस पर हमला कर दिया। हालांकि, इसकी वजह से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ क्योंकि ईरान ने पहले सूचित कर दिया था। जाहिर है ईरान का यह हमला खाली सांकेतिक था, लेकिन इसका बड़ा असर हुआ और कतर सहित मध्य-पूर्व के अन्य चार देशों कुवैत, बहरीन, इराक और यूएई ने अपने एयर स्पेस को बंद कर दिया। यह कदम सुरक्षा के मद्देनज़र उठाया गया था।
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इन सबके बीच एक और नाम सुर्खियां बन गया, वह था रेजा पहलवी का। पहलवी ने कहा कि ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली ख़ामनेई देश छोड़कर भागने वाले हैं। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि ईरान के सभी अधिकारी भी परिवार सहित भागने वाले हैं। उन्होंने कहा कि खामनेई खुद तो बंकर में छिपे हैं और देश के बाकी लोगों को इजरायल की मिसाइलों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका के किसी अज्ञात स्थान से उन्होंने यह वीडियो जारी करके मैसेज दिया था, लेकिन कुछ एक्स्पर्ट्स का यह भी कहना है कि रेज़ा शाह का अचानक के बयान देना और चर्चा में आना यूंही नहीं है बल्कि इसमें अमेरिका का हाथ है ताकि ईरान के सुप्रीम लीडर ख़ामनेई को कमज़ोर किया जा सके।
खबरगांव में हम इसी बात की पड़ताल करेंगे कि कौन हैं रेज़ा पहलवी और क्या आखिर इसमें अमेरिका का हाथ है?
कौन हैं रेज़ा पहलवी?
रेज़ा पहलवी, ईरान के आखिरी शाह मोहम्मद रेज़ा पहलवी और रानी फराह पहलवी के सबसे बड़े बेटे है जिनका जन्म 1960 में तेहरान में हुआ था। जब वे महज 19 साल के थे तब ईरान में इस्लामी क्रांति हो गई और शाही परिवार को देश छोड़ना पड़ा। रेज़ा पहलवी तब से अमेरिका में रह रहे हैं और लगातार यह कहते रहे हैं कि वे ईरान में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष सत्ता की बहाली चाहते हैं।
40 साल से अधिक वक्त से वे विदेश में रहते हुए वह अपनी आवाज़ और नेटवर्क के ज़रिए ईरान में सत्ता परिवर्तन की मुहिम को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। रेज़ा पहलवी का नाम खासतौर से उन विरोध प्रदर्शनों में उभरकर सामने आता है, जो ईरान में व्यक्तिगत आज़ादी, महिलाओं के अधिकार और लोकतंत्र के लिए हो रहे हैं।
रेज़ा पहलवी, ईरान के आखिरी शाह मोहम्मद रेज़ा पहलवी और रानी फराह पहलवी के सबसे बड़े पुत्र, का जन्म 1960 में तेहरान में हुआ था। जब वे महज 19 साल के थे तब ईरान में इस्लामी क्रांति हो गई और शाही परिवार को देश छोड़ना पड़ा। रेज़ा पहलवी तब से अमेरिका में रह रहे हैं और लगातार यह कहते रहे हैं कि वे ईरान में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष सत्ता की बहाली चाहते हैं।
40 साल से अधिक वक्त से वे विदेश में रहते हुए अपनी आवाज़ और नेटवर्क के ज़रिए ईरान में सत्ता परिवर्तन की मुहिम को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। रेज़ा पहलवी का नाम खासतौर से उन विरोध प्रदर्शनों में उभरकर सामने आता है, जो ईरान में व्यक्तिगत आज़ादी, महिलाओं के अधिकार और लोकतंत्र के लिए हो रहे हैं।
ख़ामेनई से रिश्ता क्या
ईरान में सत्ता वर्तमान में धर्मगुरु आयतुल्लाह अली ख़ामनेई के हाथों में है। ख़ामेनई, रेज़ा पहलवी को एक सीधा खतरा मानते हैं। ईरान की मीडिया में उनके एक-एक कदम पर नज़र रखी जाती है और सरकारी मीडिया में रेज़ा पहलवी और पुराने शाही परिवार को ‘विदेशियों का एजेंट’ या ‘गद्दार’ करार दिया जाता है।
लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि ईरान में सत्ता परिवर्तन के लिए दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में रेजा पहलवी भी इस बात को देख रहे हैं कि जब ईरान पर दबाव ज्यादा हो तभी उनका सुर्खियों में आना उनके लिए उचित है। 2022 में महसा अमिनी की मौत के बाद पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन हुए। अनुमान है कि केवल 2022–2023 में लगभग 1,200 विरोध प्रदर्शन दर्ज हुए, जिनमें पुराने शाही परिवार और रेज़ा पहलवी से जुड़े नारों का उपयोग हुआ। इससे यह बात समझी जा सकती है कि ईरान में पुराने शाही परिवार को समर्थक मौजूद हैं।
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रेज़ा पहलवी का वैश्विक समर्थन
रेज़ा पहलवी ने यूरोप और अमेरिका में मीटिंग और मीडिया में बातचीत के ज़रिए अपनी छवि एक लोकतांत्रिक नेता और सत्ता परिवर्तन के संभावित चेहरे के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की है। अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा में रेज़ा पहलवी का नाम कई बार उठ चुका है।
यूरोपीय संघ और जर्मनी, फ्रांस जैसे देशों में ईरानी प्रवासियों का एक हिस्सा रेज़ा पहलवी के पक्ष में रैलियां और प्रदर्शन कर रहा है। जानकारों का अनुमान है कि रेज़ा पहलवी से जुड़े संगठन लगभग 30–50 मिलियन डॉलर सालाना फंडिंग जुटाने में सफल रहते हैं।
अमेरिका से कनेक्शन
मध्य-पूर्व में अमेरिकी सत्ता और ईरान के पुराने शाही परिवार का कनेक्शन काफी पुराना है। अमेरिका रेज़ा पहलवी को हमेशा से समर्थन देता आ रहा है, हालांकि, वह अभी तक मौजूदा खामेनई सरकार के खिलाफ भी खुलकर नहीं बोल रहा था लेकिन इजरायल के साथ युद्ध के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात को कहा कि सत्ता परिवर्तन से इनकार नहीं किया जा सकता।
क्या अमेरिका कर रहा सपोर्ट
हालांकि, इस बात के कोई सीधे प्रमाण तो नहीं हैं कि अमेरिका रेजा पहलवी को खामेनई के सामने सीधा सपोर्ट कर रहा है लेकिन हाल ही में रेजा पहलवी की कुछ गतिविधियां जरूर इस तरफ इशारा करती हैं। जैसे उन्होंने कुछ दिन पहले अमेरिकी सीनेट के सांसदों से मुलाकात की थी और अमेरिकी मीडिया में भी वे दिखे थे। दूसरी बात पिछले 50 सालों से वह अमेरिका में रह रहे हैं, ज़ाहिर है कि अमेरिकी सरकार की सहमति से ही वह वहां पर हैं और ईरान की इस्लामिक सरकार के खिलाफ बयान भी जारी करते रहते हैं।
इसके अलावा इजरायल ईरान युद्ध के बीच अचानक से उनका अमेरिका में रहकर ईरान की सरकार को उखाड़ फेंकने का बयान देना और लोगों से मौजूदा सरकार के खिलाफ विद्रोह करने की अपील करना दिखाता है कि कहीं न कहीं अमेरिका से इशारे पर ही यह हो रहा है।
हालांकि, अमेरिकी सरकार की तरफ से इस दिशा में कोई आधिकारिक बयान नहीं है इसलिए इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी कहा नहीं जा सकता।