अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नए सिरे से अमेरिका की विदेश नीति लिख रहे हैं। उन्होंने अमेरिका की विदेश निधि को निलंबित कर दिया है। अमेरिका के इस फैसले का मतलब है कि अमेरिका ने ओवरसीज फंडिंग पर रोक लगा दी है। अब अमेरिका के किसी तरह की राहत सामग्री या धन विदेश नहीं भेजी जाएगी।
अमेरिका की इस रोक की वजह से एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसिएंसी सिंड्रोम (AIDS) से लाखों और मौतें हो सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र के 'प्रोग्राम फॉर इलनेस' विभाग ने यह यह चेतावनी दी है। अमेरिका उन देशों में शुमार है, जो सबसे ज्यादा विदेशी सहायता के लिए दान देते हैं।
ट्रम्प क्यों रोक रहे हैं मदद?
अमेरिका, अमेरिकी फर्स्ट की नीति पर काम कर रहा है। यही नारा लगातार लगाकर वह सत्ता में आए। अमेरिका अपने यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) प्रोग्राम के जरिए यह दान देता है। डोनाल्ड ट्रम्प ने सत्ता में आते ही 3 महीने के लिए अमेरिकी विदेश सहायता पर खर्च होने वाली फंडिंग रोक दी है। अब दुनियाभर में मानवाधिकार संगठनों की वकालत करने वाले लोग उनके इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। हालांकि उनके प्रशासन ने कहा है कि जीवन रक्षक दवाइयों के लिए फंड नहीं रोका जाएगा।
यह भी पढ़ें: मस्क का नया कदम, भारत में वोटिंग बढ़ाने के लिए अमेरिकी फंडिंग पर रोक
क्यों संयुक्त राष्ट्र की एड्स एजेंसी ने जताया डर?
संयुक्त राष्ट्र एड्स एजेंसी (UNAIDS) की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानिमा ने AFP के साथ बातचीत में कहा, 'मुझे अलार्म बजाने की जरूरत है। यह एड्स रिलीफ फंड का बड़ा हिस्सा है। अगर यह खत्म हो जाएगा तो लोग मर जाएंगे।'
अमेरिकी विदेश विभाग ने एड्स प्रोग्राम प्रेसीडेंट इमरजेंसी प्लान फॉर एड्स रिलीफ (PEPFAR) में राहत भले दी है लेकिन इसमें अनिश्चिततता बनी हुई है। फाउंडेशन फॉर एड्स रिसर्च लगातार इसके खतरों से आगाह कर रहा है। अमेरिका के फंड के जरिए करीब 2 करोड़ लोगों को लाभ मिलता है। यह फंड 2 लाख से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों की मदद करता है।
'AIDS से 10 गुना ज्यादा मौतें हो सकती हैं'
UNAIDS की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानिमा ने अनुमान जताया है कि ट्रम्प के फैसले की वजह से 5 साल में 10 गुना अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं। 60 लाख संक्रमितों की मौत हो सकती है, वहीं 80 लाख से ज्यादा नए संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं।
क्या सच में फंडिंग रोक रहा अमेरिका?
अमेरिका ने कहा है कि जीवन रक्षक दवाइयों पर रोक नहीं रहेगी। अफ्रीका में रहने वाले संगठनों का दावा अलग है। वहां स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि अमेरिका की मदद पहले ही बंद हो चुकी है। इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में अफ्रीकी संघ शिखर सम्मेलन के दौरान यह मुद्दा उठा था।
यह भी पढ़ें: रूस नाटो के खिलाफ शुरू कर सकता है युद्ध! ऐसा क्यों बोले जेलिंस्की?
क्यों अमेरिकी फंडिंग के भरोसे हैं अफ्रीकी देश?
UNAIDS की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर विनी ब्यानिमा ने राजनेताओं पर दबाव बनाया था। उन्होंने स्थानीय नेताओं से विदेशी फंडिंग की जगह अपने देश की फंडिंग को तरजीह देने की नसीहत दी थी। अफ्रीकी देश बुरी तरह से कर्ज में डूबे हैं। उनकी कुल आय से 50 प्रतिशत अधिक कर्ज है, जिसकी वजह से अर्थव्यस्था भी बेहद लचर है। विनी ब्यानिमा मानती हैं कि ये देश चाहकर भी अपनी मदद नहीं कर पाएंगे।
साल 1961 में स्थापित UNAIDS का सालाना बजट करीब 40 बिलियन डॉलर है। भारतीय अंकों में यह रकम 4 हजार करोड़ के आसपास है। इस फंड का इस्तेमाल दुनियाभर में होता है। आर्थिक तौर पर पिछड़े, गरीब देशों के विकास और स्वास्थ्य पर इस फंड की एक बड़ी राशि खर्च होती है।