कनाडा नई सरकार चुनने वाला है, लेकिन उससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक नया पोस्ट डालकर फिर विवाद खड़ा कर दिया है। ट्रंप के इस पोस्ट ने फिर से पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। ट्रंप ने जब से अमेरिका राष्ट्रपति का पद संभाला है तब से लेकर आज तक उनके तमाम फैसलों और बयानों ने विवादों को जन्म दिया है।
अब कनाडा में नई सरकार बनने से पहले ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर कनाडा को फिर से अमेरिका का 51वां राज्य बनने का ऑफर दे दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुलकर कहा है कि वह चाहते हैं कि कनाडा अमेरिका का ‘51वां राज्य’ बन जाए।
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ट्रंप ने गिनाए फायदे
उन्होंने इसके फायदे भी गिनाए। ट्रंप ने कहा कि इससे कनाडा को ‘शून्य टैरिफ’ से लेकर ‘बिना बॉर्डर के अमेरिका में प्रवेश करने’ जैसे कई लाभ मिलेंगे। ट्रुथ सोशल पर पूरी एक सीरीज पोस्ट करते हुए ट्रंप ने लिखा, ‘अब उस आर्टिफिशियल लाइन की कोई ज़रूरत नहीं जो वर्षों पहले खींची गई थी। देखो, यह जमीन कितनी सुंदर होगी... केवल सकारात्मकत चीजें होंगी, कोई नकारात्मकता नहीं।’
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जब तक कनाडा अमेरिका का राज्य नहीं बनता, अमेरिका हर साल उसे सैकड़ों अरब डॉलर की सब्सिडी नहीं दे सकता। ट्रंप की इस बयानबाज़ी का चुनाव पर गहरा प्रभाव पड़ा है, और कई कनाडाई नागरिकों ने उनके विलय की धमकियों का तीखा विरोध किया है।
पोलीवरे ने की आलोचना
हालांकि, कंज़र्वेटिव नेता पियरे पॉलीएवर ने चुनाव में ट्रंप के हस्तक्षेप की कड़ी आलोचना की। उन्होंने 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप, हमारे चुनाव से दूर रहिए और कनाडा हमेशा गर्व से भरा हुआ, संप्रभु और स्वतंत्र रहेगा और हम कभी भी 51वां राज्य नहीं बनेंगे।"
मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी और पियरे पॉलीएवर के नेतृत्व में कंज़र्वेटिव पार्टी इस चुनाव के मुख्य दावेदार हैं। केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर कार्नी का तर्क है कि उनका वैश्विक वित्तीय अनुभव उन्हें ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से निपटने में मदद करेगा। उन्होंने आंतरिक व्यापार पर काम करने और कनाडा की विदेशी आर्थिक संभावनाओं का विस्तार करने का वादा किया है ताकि अमेरिका पर निर्भरता कम की जा सके।
कार्नी ने चेतावनी देते हुए कहा कि ट्रंप के नेतृत्व वाला अमेरिका "हमें तोड़ना चाहता है ताकि वह हम पर कब्जा कर सके," और उन्होंने ट्रंप की आक्रामकता के सामने शांत और स्थिर रहने की आवश्यकता पर बल दिया।
दूसरी ओर, पॉलीएवर ने अपराध, आवास संकट और जीवन-यापन की लागत जैसे घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है। उनका कहना है कि कार्नी "लिबरल पार्टी के खोए हुए दशक" को जारी रखेंगे और केवल एक कंज़र्वेटिव सरकार ही उन मुद्दों को सुलझा सकती है जो कनाडाई नागरिकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं।
पिछली सरकार को ठहराया जिम्मेदार
एक तरफ जहां पॉलीएवर ने ट्रंप की आलोचना की है, उन्होंने यह भी ज़ोर देकर कहा कि अमेरिका की आक्रामकता के सामने कनाडा की असुरक्षा लिबरल पार्टी के खराब शासन का परिणाम है।
इस चुनाव पर गहरी नज़र रखी जा रही है, जिसमें लगभग 2.9 करोड़ कनाडाई नागरिक वोट देने के पात्र हैं। रिकॉर्ड 73 लाख लोगों ने एडवॉन्स वोटिंग की है और चुनाव परिणाम देश का आगे का भाग्य तय करेगा।
लिबरल पार्टी ने 2015 में बहुमत प्राप्त किया था लेकिन 2019 से अल्पमत सरकार चला रही है। बहुमत पाने के लिए किसी पार्टी को 343 में से 172 सीटें जीतनी होंगी।
सिर्फ घरेलू मुद्दे नहीं होंगे महत्त्वपूर्ण
कनाडा के चुनाव में इस बार सिर्फ घरेलू मुद्दे ही नहीं प्रमुख होंगे, बल्कि अमेरिका के साथ कनाडा के संबंध भी इस मामले में महत्त्वपूर्ण होंगे।
ट्रंप की लगातार कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने के बयान ने इस चुनाव को और जटिल बना दिया है, और इसका परिणाम कनाडा के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।