अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, कुछ देशों पर टैरिफ बढ़ाने के प्लान में हैं। उनकी जनसभाओं में एक चीज कॉमन है, 'टैरिफ, टैरिफ, टैरिफ...।' ऐसा लगता है कि 'टैरिफ' अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का ताकिया कलाम है। उन्होंने अपनी चुनावी रैलियों में बार-बार कनाडा, चीन, भारत और ब्राजील जैसे देशों पर 'टैरिफ' लगाने का जिक्र किया था। डोनाल्ड ट्रम्प, राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद भी इसी बयान पर अड़े हैं।
कुछ लोगों को लगता है कि उनकी धमकियों में दम है, कुछ लोग महज गीदड़-भभकी मानते हैं। अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति टैरिफ पर चाहे जो भी कह लें लेकिन उन्हें अमल करने के लिए अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वहां के लोग अभी तैयार नहीं हैं।
किन देशों पर टैरिफ बढ़ाने की तैयारी में हैं ट्रम्प?
डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन से खरीदे गए उत्पादों पर 10 फीसदी कर, मेक्सिको, यूरोपिन यूनियन और कनाडा पर 25 प्रतिशत कर लगाने की धमकी दी है। उन्होंने अलग करेंसी की ओर बढ़ रहे 'ब्रिक्स देशों' पर 100 फीसदी टैक्स लगाने की बात कही है। ब्रिक्स (BRICS) में ब्राजील, रूस, भारत और चीन जैसे देश शामिल हैं। दक्षिण अफ्रीका को भी साल 2010 में शामिल किया तो यह ब्रिक्स हो गया।
जैसे ही डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली उन्होंने धमकी दी कि वह टैरिफ नीतियों को लागू करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि अभी तक डोनाल्ड ट्रम्प यह फैसला लागू नहीं कर पाए हैं। अतीत में उनके कई ऐसे बयान हैं जो बार-बार साबित करते हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प 'बड़बोले' हैं और उनकी कथनी और करनी में अंतर है।

डर किस बात की है?
डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में कहा था कि 1 फरवरी से उनका प्रशासन टैरिफ लागू कर देगा। अब घोषणा में हो रही देरी इशारा कर रही है कि कहीं डोनाल्ड ट्रम्प चूक तो नहीं गए हैं। दावे यह भी किए जा रहे हैं कि ट्रम्प के इस फैसले से दुनियाभर में अमेरिका में नाराजगी बढ़ सकती है, अमेरिकी उत्पादों में पर लोग ज्यादा कर लगा सकते हैं और अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी डगमगा सकती है। ऐसा हो सकता है कि डोनाल्ड ट्रम्प के सलाहकार अब उन्हें समझा रहे हों कि ऐसी नीतियों के दूरगामी नतीजे निकलते हैं, ऐसे में जो भी फैसला करें, सोच-समझकर करें।
क्या बड़बोलेपन में ट्रम्प कर बैठे ऐलान?
अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रम्प कब क्या कर बैठेंगे, इसके बारे में कोई भी अनुमान नहीं जताया जा सकता है। अगर ट्रम्प इस फैसले पर हस्ताक्षर करते हैं तो इसका असर वैश्विक होगा। हो सकता है कि ट्रम्प अपनी बातों को मनवाने के लिए ऐसे आर्थिक दबाव बना रहे हों।
अमेरिका के सामने अवैध प्रवासी घुसपैठ बड़ी समस्या है। कनाडा से लेकर मैक्सिको तक अमेरिका में घुसपैठ के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। ऐसे में अपनी मांगों को मनवाने के लिए ट्रम्प इन धमकियों का रणनीतिक तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प होशियार उद्योगपति हैं। उन्हें पता है कि अगर ऐसा कुछ किया तो खामियाजा अमेरिका को भी भुगतना पड़ सकता है।

व्हाइट हाउस के कॉमर्शियल एडवाइजर पीटर नवारो ने CNBC को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा था कि कनाडा और मैक्सिको के लिए ट्रम्प की धमकियां केवल दोनों देशों पर अवैध प्रवासियों और ड्रग की तस्करी रोकने के लिए है। अगर दोनों देशों को धमकी नहीं दी जाएगी तो इनकी सीमाओं से ड्रग और अवैध प्रवासियों की एंट्री नहीं बंद होने वाली है।
यूरोपियन यूनियन के साथ ट्रम्प बेहद बिजनेस डील चाहते हैं, न कि उन पर प्रतिबंध लागू करना चाहते हैं। हर देश की आत्मनिर्भरता बढ़ी है। चीन मेड कारों को अमेरिका में बड़ी संख्या में आयात किया जाता है। चीन मेड कारें, अमेरिका में सस्ती मिलती हैं। अगर ट्रम्प इन पर टैरिफ लगाते हैं तो आम लोगों की पहुंच से कार दूर हो जाएगी। अमेरिकी कारें पहले ही बेहद महंगी होती हैं, जिन्हें लोग कम अफोर्ड कर पाते हैं। ट्रम्प यूरोपियन यूनियन पर टैरिफ की धमकी देकर उनके बेहतर रिश्ते और व्यापार की उम्मीद में हैं।
टैरिफ ट्रम्प की मजबूरी है क्या?
टैरिफ सामान्य बातचीत की भाषा में 'टैक्स' है, जिसे सरकारें, दूसरे देश के इंपोर्ट किए गए उत्पादों पर लगाती हैं। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि अगर कोई कार भारत में 6 लाख रुपये की बिक रही है। इसे इतने ही दाम में अमेरिका में बेचा जा रहा है। अगर अमेरिका ने इस पर तगड़ा टैरिफ लगा दिया तो यही कार अमेरिका में बेहद महंगी हो जाएगी। मध्यम वर्गीय लोग इस कार को खरीदने से परहेज करेंगे। उस देश में भारत के व्यापारिक हित हैवी टैरिफ की वजह से प्रभावित होंगे।
चीन बड़ी संख्या में अमेरिका में कारें बेचता है। चीन मेड कारें, अमेरिका में सस्ती दरों पर मिलती है। अमेरिकन कार कंपनियां इतनी महंगी गाड़िया बनाती हैं, जिसे आम लोग अफोर्ड नहीं कर पाते। नतीजा ये होता है कि वहां की घरेलू कार कंपनियां घाटे में हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प, अब कुछ देशों को धमकी दे रहे हैं कि वे टैरिफ बढ़ा देंगे। हो सकता हो कि अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए वह ऐसा कदम उठा लें। अमेरिकी अर्थव्यवस्था के जानकार बताते हैं कि देश का व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। ट्रम्प को लगता है कि अमेरिका से पैसे बाहर तो जा रहे हैं लेकिन अमेरिका में आ नहीं रहे हैं। ट्रम्प, अब अमेरिकी अर्थव्यवस्था को और बेहतर करना चाहते हैं।
'कॉमर्शियल जंग लड़ना चाहते हैं ट्रम्प'
वैश्विक अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रम्फ 'अमेरिकी टैरिफ' को हथियार की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं। अगर ट्रम्प अपनी नीतियों पर अड़े रहते हैं तो इसका असर दुनिया के दिग्गज देशों पर होगा। इसके नकारात्मक प्रभाव होंगे, कई देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, वैश्विक मंदी भी आ सकती है।
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे 'ट्रेड वॉर' की जद में कई देश ऐसे भी आ जाएंगे, जिन्हें अभी वैश्विक समर्थन की जरूरत है। अगर वैश्विक मंदी बढ़ती है तो ट्रम्प भी इसके लिए जिम्मेदार माने जाएंगे। ट्रम्प प्रशासन वैश्विक मंदी का कलंक लेना चाहेगा नहीं। ऐसा हो सकता है कि डोनाल्ड ट्रम्प, अपने वादों पर फिर से विचार करें।

भारत को क्या नुकसान हो सकता है?
डोनाल्ड ट्रम्प अगर टैरिफ एक्शन प्लान पर आगे बढ़ते हैं तो भारत को ज्यादा खतरा नहीं है। व्यापारिक समझौते भारत अपनी शर्तों पर करता है। जहां भारत को बेहतर डील मिलेगी, भारत उसी देश के साथ आगे बढ़ेगा। बाइडेन से लेकर ट्रम्प तक भारत पर कई बार कड़े व्यापारिक प्रतिबंधों का डर दिखा चुके हैं लेकिन भारत अपनी संप्रभुता का ख्याल रखता है।
भारत का साफ कहना है कि एक संप्रभु देश के तौर पर वह केवल अपने व्यापारिक हितों का ख्याल रखेगा। वैश्विक राजनीति में हर देश, अपना बेहतर सोचता है। भारत और अमेरिका के व्यापार बहुत विस्तृत नहीं है। अगर ट्रम्प भारत पर टैरिफ लगाते भी हैं तो भारत खराब स्थिति में आ जाए, इसकी आशंका कम है। भारत का हर देश के साथ व्यापार संतुलित स्तर पर है, किसी एक देश पर भारत की निर्भरता नहीं है।