खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़े भारतीय मूल के बिजनेसमैन गुरप्रीत सिंह रेहल पर ब्रिटिश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। ब्रिटेन ने आतंकवाद-निरोध कानून के तहत उनके सभी बैंक खाते फ्रीज कर दिए हैं और उन्हें किसी भी कंपनी में डायरेक्टर के रूप में काम करने से प्रतिबंधित कर दिया है। सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि गुरप्रीत सिंह रेहल बब्बर खालसा को आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। इसके साथ ही सरकार ने ‘बब्बर अकाली लहर’ नामक एक संगठन पर भी प्रतिबंध लगाया है।
इस कदम से ब्रिटेन की वित्तीय प्रणाली का दुरुपयोग करने वाले चरमपंथियों का झटका लगेगा। इस कार्रवाई से भारत और ब्रिटेन के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को नई मजबूती मिलेगी। ब्रिटेन की फाइनेंस सेक्रेटरी सचिव लूसी रिग्बी ने कहा है कि देश के फाइनेंस सिस्टम का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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कौन हैं गुरप्रीत सिंह रेहल?
4 दिसंबर को ब्रिटिश सरकार ने काउंटर टेररिज्म (सैंक्शंस) (ईयू एग्जिट) रेगुलेशंस 2019 के तहत प्रतिबंध लागू किए। गुरप्रीत सिंह बब्बर अकाली लहर और इनके जुड़े संगठनों की ब्रिटेन में सभी प्रॉपर्ट और बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए गए हैं। किसी भी ब्रिटिश संस्थाओं और नागरिकों को इनसे लेन-देन करने या किसी भी वित्तीय सहायता देने से रोका गया है। इन प्रतिबंधों का उल्लघंन करने वालों को सात साल की जेल या 10 लाख पाउंड यानी 1.2 करोड़ तक का जुर्माना लग सकता है।
गुरप्रीत सिंह रेहल ब्रिटेन में रहने वाला एक सिख बिजनेसमैन है। वह पंजाब वॉरियर्स नाम की एक स्पोर्ट्स कंपनी से जुड़े थे। यह वही कंपनी है जिसने कुछ समय पहले इंग्लैंड के मोरकैम्बे फुटबॉल क्लब को खरीदा था। गुरप्रीत को कंपनी में एक सलाहकार यानी कंसल्टेट के तौर पर शामिल किया गया था। सरकार के इस कदम के बाद पंजाब वॉरियर्स और मोरकैम्बे FC ने एक जॉइंट बयान जारी किया। दोनों कंपनी ने कहा कि गुरप्रीत अब उनकी किसी एक्टिविटी का हिस्सा नहीं हैं और आरोप सामने आते ही उनसे दूरी बना ली है।
दोनों संगठनों का कहना है कि वे कानून का पालन करते हैं और उन्होंने अपनी आंतरिक जांच प्रक्रिया को और मजबूत कर लिया है। गुरप्रीत सिंह कब से बब्बर खालसा से जुड़ा है इससे संबंधित कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। ब्रिटेन की ट्रेजरी विभाग ने केवल यह उल्लेख किया है कि वह इस संगठन में शामिल रहा है।
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47 साल पुराना संगठन है बब्बर खालसा
बब्बर खालसा की स्थापना 1978 में हुई थी। यह भारत, कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन समेत कई देशों में प्रतिबंधित हैं। यह संगठन पंजाब व आसपास के क्षेत्रों को मिलाकर खालिस्तान की मांग करते हैं। कनाडा, पाकिस्तान और ब्रिटेन में आज भी इनके समर्थक सक्रिय हैं। 1980-90 के दशक में कई आतंकी घटनाओं में शामिल होने के सबूत मिलते हैं। 1990 के दशक में पुलिस कार्रवाई से संगठन कमजोर हुआ है।
खालिस्तानी आतंकियों की 5 बड़ी घटनाएं
- 1983- DIG अटवाल की गोल्डन टेंपल में हत्या
- 1984- ऑपरेशन ब्लू स्टार में सेना के खिलाफ कार्रवाई
- 1985- एयर इंडिया के विमान को धमाके से उड़ाया
- 1986- पूर्व आर्मी चीफ जनरल एएस वैद्य की हत्या
- 1995- पंजाब के सीएम बेअंत सिंह की हत्या की
