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ताइवान से भारत तक, दुनियाभर के निशाने पर क्यों चीनी एप्स?

चीनी एप्स के खिलाफ सबसे बड़ा एक्शन भारत ने लिया था। इसके बाद दुनियाभर के देशों ने टिकटॉक के खिलाफ प्रतिबंध की एक नई लहर शुरू हुई। अब ताइवान ने चीन के एक अन्य एप पर बड़ी कार्रवाई की है।

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सांकेतिक फोटो। (AI generated image)

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ताइवान ने चीन के 'इंस्टाग्राम' पर बड़ा एक्शन लिया है। यह वही ताइवान है, जिसे चीन अपना हिस्सा मानता है। मगर ताइवान चीन को अपना हिस्सा बताता है। दोनों देशों के बीच दशकों से तनातनी का माहौल है। इस बीच ताइवान ने चीन के जियाओहोंगशु एप पर बैन लगाया है। अब यह एप एक साल तक ताइवान में ब्लॉक रहेगा। चीन के जियाओहोंगशु एप को रेडनोट के नाम से भी जाना जाता है। लोग इसे चीन का इंस्टाग्राम भी कहते हैं। चीन का यह एप ताइवान में तेजी के साथ लोकप्रिय हो रहा है। ताइवान की कुल आबादी 2.3 करोड़ है। इनमें से 30 लाख लोग 'चीनी इंस्टाग्राम' का इस्तेमाल करते हैं। 

 

ताइवान ने धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में सहयोग न करने के बाद जियाओहोंगशु एप पर बैन लगाया है। ताइवान के गृह मंत्रालय ने बताया कि जियाओहोंगशु ने अधिकारियों के साथ सहयोग करने से मना कर दिया। इसके बाद एप को बैन किया गया है। यह फ्लेटफॉर्म 1,700 से अधिक धोखाधड़ी के मामलों से जुड़ा है। इससे 7.9 मिलियन डॉलर का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा अधिकारियों का यह भी मानना है कि इस एप का इस्तेमाल चीन के समर्थन में दुष्प्रचार करने में किया जा रहा है।

 

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ताइवान को नहीं मिल रहा रेडनोट का डेटा 

ताइवान की सरकार 1700 से अधिक फ्रॉड केस की जांच कर रही है। इन धोखाधड़ी को रेडनोट एप से अंजाम दिया गया है। मगर जांच में ताइवान के सामने सबसे बड़ी बाधा रेडनोट के महत्वपूर्ण डेटा तक पहुंच है। दरअसल, कंपनी का डेटा सेंटर मेन लैंड चाइना या दूसरे शब्दों में कहे तो पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में है। इस वजह से कंपनी का डेटा ताइवान की जांच एजेंसियों को नहीं मिल पा रहा है। कंपनी ने भी सहयोग करने से मना कर दिया है। 

पहले भी ताइवान ले चुका एक्शन

यह कोई पहली बार नहीं जब ताइवान की सरकार ने चीनी एप्स पर एक्शन लिया है। साल 2019 में ताइवान ने अपने सभी सरकारी मोबाइल फोन, कंप्यूटर, लैपटॉप समेत अन्य डिजिटल उपकरणों में चीनी एप डॉयिन, टिकटॉक और ज़ियाओहोंगशु के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था। इसके अलावा दिसंबर में ही ताइवान के डिजिटल मामलों के मंत्रालय ने भी बड़ी चेतावनी जारी की। उनसे चीन के पांच एप्स के बारे में जनता को सतर्क किया और कहा कि यह एप अहम डेटा एकत्र कर सकते हैं।

चीन के रेडनोट के बारे में जानें

जियाओहोंगशु शब्द का हिंदी में अर्थ छोटी लाल किताब होता है। अंग्रेजी में इसे रेडनोट कहा जाता है। इसी नाम से चीन में साल 2013 में मिरांडा क्यू और चार्लविन माओ ने एक एप बनाया। शुरुआत में यह एप टूर गाइड की तरह काम किया। मगर जल्द ही यह प्लेटफॉर्म सोशल नेटवर्किंग के साथ-साथ ई-कॉमर्स में बदल गया। एप के करीब 70 फीसद यूजर्स महिलाएं हैं। चीन के बाहर यह तेजी से बढ़ रहा है। इसी के साथ दुनियाभर की सरकारों की चिंताएं भी बढ़ने लगी हैं। जनवरी 2025 तक यह एप गूगल प्लेस्टोर पर रेडनोट नाम से ही उपलब्ध था। मगर अब यह चीनी नाम Xiaohongshu के साथ लिस्ट है। कंपनी का मुख्यालय चीन के शंघाई में है।

 

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यह देश भी ले चुके एक्शन

ताइवान से पहले भारत और अमेरिका भी चीनी एप्स पर एक्शन ले चुके हैं। भारत ने टिकटॉक समेत 200 से ज्यादा चीनी एप को बैन किया था। पिछले साल अमेरिका ने एक कानून पास किया। इसमें टिकटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस को अमेरिका में कंपनी की 50 फीसद हिस्सेदारी अमेरिकी मालिक को बेचने, नहीं तो प्रतिबंध का सामना करने की बात कही गई थी। अमेरिका के टेक्सास राज्य में किसी सरकारी गैजेट पर चीन के ज़ियाओहोंगशु और टिकटॉक एप को नहीं खोला जा सकता है। यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ के कई देश अपने सरकारी उपकरणों में टिकटॉक के इस्तेमाल पर रोक लगा चुके हैं।

 

  • कनाडा में भी सरकारी उपकरणों पर टिकटॉक बैन।
  • डेनमार्क में रक्षा से जुड़े कर्मचारियों के फोन पर टिकटॉक होने पर रोक।
  • न्यूजीलैंड के सरकारी नेटवर्क पर टिकटॉक बैन।
  • नींदरलैंड में सरकारी गैजेट पर टिकटॉक इंस्टाल न करने की सलाह।
  • अफगानिस्तान और सोमालिया भी टिकटॉक पर बैन की ऐलान कर चुके।
  • नॉर्वे का न्याय मंत्रालय टिकटॉक को अपने उपकरणों से हटाने का आदेश दे चुका।
  • बेल्जियम और यूरोपीय संघ के सरकारी गैजेट्स पर चीनी एप बैन।

दुनियाभर की सरकारें चीनी एप्स से परेशान क्यों? 

दुनियाभर की सरकारों को इन एप के माध्यम से जासूसी का शक है। उनका मानना है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार अहम डेटा का इस्तेमाल कर सकती है। इन शंकाओं के पीछे चीन के नियम हैं। चीनी नियमों के मुताबिक सभी कंपनियों को अपना डेटा चीन के अंदर ही स्टोर करना होगा। चीन सरकार डेटा की निगरानी कर सकती है। अगर कंटेंट उसके हिसाब का नहीं है तो उसे सेंसर कर सकती है। डेटा तक सरकार को पहुंच देना होगा। इन्हीं सभी नियमों के कारण दुनियाभर की सरकारें चिंतित हैं। 

 


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