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DMK सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया क्यों लगाई 'दीपम' जलाने पर रोक?

मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को तमिलनाडु सरकार ने नहीं मानते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपील दायर की है।

Thiruparankundram Murugan Temple

थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी। Photo Credit- Social Media

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मद्रास हाई कोर्ट ने पिछले दिनों थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ियों पर ‘कार्तिगई दीपम’ जलाने की इजाजत दी थी। मगर, हाई कोर्ट के आदेश को तमिलनाडु सरकार ने नहीं मानते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपील दायर की है। राज्य सरकार ने शीर्ष कोर्ट से अपनी अपील पर जल्द सुनवाई का आग्रह किया है। हालांकि, चीफ जस्टिस सूर्यकांत से राज्य सरकार को सुनवाई को लेकर फिलहाल कोई भरोसा नहीं दिया।

 

दरअसल, तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश हुए एक वकील ने सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने जल्द सुनवाई की अपील की तो CJI ने कहा कि वह इसे जल्द से जल्द लिस्ट करने पर विचार करेंगे। हाई कोर्ट ने ‘दीपम’ की इजाजत देते हुए कहा था कि इससे पास की दरगाह के अधिकारों में दखल नहीं होगा। एकल जज की बेंच के आदेश को डिवीजन बेंच ने भी सही ठहराया था।

 

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क्या है मामला?

बता दें कि मदुरै के पास थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर में पारंपरिक दीपक जलाने के मुद्दे पर विवाद पैदा हो गया है। यह विवाद तब पैदा हुआ जब स्थानीय प्रशासन ने कई श्रद्धालुओं को पारंपरिक अनुष्ठान करने से रोक दिया। जिसके बाद गुरुवार को तमिलनाडु बीजेपी के प्रमुख नैनार नागेंद्रन और अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

सरकार ने किया अपना बचाव

अपने कदम का बचाव करते हुए डीएमके की एमके स्टालिन सरकार ने कहा कि कानूनी तौर पर उची पिल्लयार मंदिर के रीति-रिवाजों पर उसका खास अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपील में एमके स्टालिन सरकार ने कहा कि हाई कोर्ट मंदिर के रीति-रिवाजों पर सवाल उठाने के लिए अपने कंटेम्प्ट जूरिस्डिक्शन का इस्तेमाल नहीं कर सकता, जो तमिलनाडु हिंदू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट एक्ट, 1959 के तहत अधिकारियों के खास अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

बीजेपी अध्यक्ष हुए गिरफ्तार

मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ द्वारा थिरुप्पारनकुंड्रम पहाड़ी पर मौजूद प्राचीन पत्थर के खंभे पर दीपक जलाने की अनुमति देने वाले एकल जज के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद नागेंद्रन और अन्य लोग पारंपरिक अनुष्ठान करने के लिए मौके पर इकट्ठा हुए थे पहाड़ी पर भगवान सुब्रमण्यम स्वामी का मंदिर है।

 

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ड्रामा कर रही है राज्य सरकार- वकील

हाई कोर्ट में पेश हुए वकील पी वी योगेश्वरन ने कहा कि एक तरफ, सरकार बार-बार हाई कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रही है, जबकि दूसरी तरफ, राज्य सरकार हाई कोर्ट के आदेशों की खुलेआम, बेशर्मी से और जानबूझकर अवहेलना करने वाले अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई अवमानना ​​की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ा रही। साथ ही सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करके ड्रामा कर रही है।

क्या है कार्तिगई दीपम?

कार्तिगई दीपम तमिलनाडु का बहुत पुराना और पवित्र त्योहार है जो कि कार्तिगई मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैइस दिन भगवान शिव की अग्नि रूप में पूजा की जाती हैतिरुवन्नामलई में लाखों लोग महादीपम देखने आते हैंइसी तरह हर मुरुगन मंदिर में भी यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता हैघर-घर दीये जलाए जाते हैं, इसलिए इसे 'दीयों का त्योहार' भी कहते हैंइस साल कार्तिगई दीपम 4 दिसंबर को था

 

तिरुपरनकुंद्रम की पहाड़ी पर भगवान सुब्रह्मण्य स्वामी (मुरुगन) का प्राचीन मंदिर है और उसी पहाड़ी पर सिकंदर बादशाह दरगाह भी हैसैकड़ों साल से दोनों समुदाय शांति से रहते आए हैंलेकिन पिछले कुछ सालों में कुछ संगठनों ने पहाड़ी का नाम बदलने, कुर्बानी करने जैसे कदम उठाए, जिससे हिंदू संगठनों में गुस्सा भड़का

 


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