अमेरिका में काम करने वाले सैकड़ों भारतीय भारत में ही फंस गए हैं। दरअसल, सैकड़ों भारतीय, जिनके पास H-1B वीजा है, वे दिसंबर में इसे रिन्यू कराने के लिए भारत लौटे थे लेकिन अब यहीं फंस गए हैं, क्योंकि अमेरिकी दूतावास ने अचानक उनकी अपॉइंटमेंट कैंसिल कर दी है। इन भारतीयों को अपॉइंटमेंट के लिए कई महीनों बाद की नई तारीखें दी गईं है। 


वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 15 से 26 दिसंबर के बीच अपॉइंटमेंट के लिए अचानक लिए गए इस फैसले हजारों भारतीयों के प्रभावित होने की आशंका है।


इस अफरा-तफरी के बीच गूगल ने अपने सभी कर्मचारियों को लंबे समय तक विदेश यात्रा न करने की सलाह दी है। गूगल हर साल लगभग 1 हजार H-1B वीजा होल्डर्स को नौकरी पर रखता है।

 

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क्यों हो रही है इतनी देरी?

बताया जा रहा है कि रीशेड्यूल की गई अपॉइंटमेंट अमेरिका की नई वीजा पॉलिसी से जुड़ी थीं, जिसके तहत एजेंसियां एक आवेदन की सोशल मीडिया हिस्ट्री की जांच करती है।


अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि नई पॉलिसी के तहत 'ऑनलाइन प्रेजेंस रिव्यू' उन आवेदकों की जांच के लिए शुरू किए गए हैं, जो अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं।

 

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H-1B को लेकर सख्त है ट्रंप सरकार

अमेरिका में जब से डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं, तब से ही वह H-1B वीजा को लेकर सख्त रहे हैं। यह वीजा उन विदेशी नागरिकों को मिलता है, जो अमेरिका आकर काम करते हैं। H-1B वीजा में 70% से ज्यादा भारतीय होते हैं। ट्रंप सरकार इस वीजा प्रोग्राम का विरोध करती है। सितंबर में ट्रंप ने नए H-1B वीजा ऐप्लीकेशन पर 1 लाख डॉलर की फीस लगा दी थी।


इस बीच कंपनियों ने अपने विदेशी कर्मचारियों से कहा है कि वे देश छोड़कर न जाएं, क्योंकि वीजा प्रोसेसिंग में ज्यादा समय लग रहा है। 


न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने बताया है कि सितंबर में भी गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट ने अपने कर्मचारियों को विदेश यात्रा से बचने की सलाह दी थी और H-1B वीजा धारकों से अमेरिका में ही रहने को कहा था।