हॉन्गकॉन्ग के ताई पो के रिहायशी इलाके में बुधवार दोपहर को जो आग लगी थी, उस पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है। यह आग ताई पो जिले में वांग फुक कोर्ट हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में लगी थी। इस कॉम्प्लेक्स में कुल 8 इमारतें हैं, जिनमें से 7 आग की चपेट में आ गई थीं। इस दुर्घटना में अब तक 128 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो गई है। कई घायल हैं और लगभग 280 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
इस कॉम्प्लेक्स में बुधवार दोपहर को आग लगी थी। इसके बाद धीरे-धीरे करके आसपास की इमारतें भी चपेट में आने लगीं। यहां सारी इमारतें 30 से ज्यादा मंजिला की हैं। इसे हॉन्गकॉन्ग के इतिहास की भयानक आग बताया जा रहा है।
जिस कॉम्प्लेक्स में आग लगी, वह 1983 में बनी थी। जुलाई 2024 से इसका रेनोवेशन किया जा रहा था। इसलिए यहां बांस से मचान बनाए गए थे। कॉम्प्लेक्स में आग कैसे लगी? इसके कारणों का पता लगाया जा रहा है लेकिन माना जा रहा है कि आग भड़काने में बांस की इन मचानों की बड़ी भूमिका है।
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हॉन्गकॉन्ग में आखिर हुआ क्या था?
- कब लगी थी आग: 26 नवंबर की दोपहर 2:51 बजे आग लगी थी। धीरे-धीरे बाकी इमारतें भी चपेट में आ गईं। 8 में से 7 टॉवर इसकी चपेट में आ गए। इमारतों के बीच में कम दूरी होने के कारण आग तेजी से बढ़ती चली गई।
- कहां लगी थी आग: वांग फुक कोर्ट कॉम्प्लेक्स में। यहां 1,984 अपार्टमेंट हैं। 2021 की जनगणना के मुताबिक, इन अपार्टमेंट में करीब 4,600 लोग रहते हैं। कॉम्प्लेक्स की लगभग 40 फीसदी आबादी की उम्र 60 साल से ज्यादा है।
- कितना नुकसान हुआ: 8 में से 7 इमारतें जलकर खाक हो गईं हैं। अब तक 128 लोगों की मौत की पुष्टि हो गई है। 70 लोग घायल हैं, जिनमें 11 फायर फाइटर्स भी हैं। 280 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। 900 लोगों को शेल्टर में रखा गया है।
- कार्रवाई क्या हुई: इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। तीनों कंस्ट्रक्शन कंपनी से जुड़े हैं, जो यहां रेनोवेशन का काम कर रही थी। इनमें से दो डायरेक्टर और एक कंसल्टेंट हैं। पुलिस ने इन पर 'बड़ी लापरवाही' का आरोप लगाया है।
- कितनी खतरनाक थी आग: इसे 'लेवल-5' में रखा गया है, जो सबसे खतरनाक है। इससे पहले नवंबर 1996 में काउलून की एक कमर्शियल बिल्डिंग में 'लेवल-5' की आग लगी थी। यह आग 20 घंटे तक चली थी। इस दुर्घटना में 41 लोग मारे गए थे।
- अभी कैसे हैं हालात: आग पूरी तरह से अब तक काबू में नहीं आई है। इस बात की भी जानकारी नहीं है कि अंदर कितने लोग फंसे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी चल रहा है। इमारतों से काला धुआं अब भी निकल रहा है। शुक्रवार तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलेगा।
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आखिर इतनी भयानक आग लगी कैसे?
आग लगने की सही वजह अब तक सामने नहीं आई है। हालांकि, माना जा रहा है कि रेनोवेशन के लिए इमारतों के बाहर जो बांस से मचान बनाए गए थे, उनकी वजह से आग भड़क गई। कंस्ट्रक्शन के दौरान बांस की इन मचानों का इस्तेमाल आम है। लगभग एक हजार साल से इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि बुधवार दोपहर को सबसे पहले आग 32 मंजिला इमारत के बाहर बांस की मचान में लगी थी। फिर धीरे-धीरे करके दूसरी इमारतों तक फैलती चली गई। अब इस बात की जांच चल रही है कि रेनोवेशन के लिए बनाई गईं बांस की इन मचानों और दूसरी चीजों ने आग कैसे पकड़ ली?
चीफ सेक्रेटरी एरिक चान ने बताया कि फायर सेफ्टी के लिहाज से पारंपरिक बांस का मचान मेटल से बने मचानों की तुलना में कमजोर है। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि जहां तक मुमकीन हो, वहां पूरी तरह से मेटल से बने मचान का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
हॉन्गकॉन्ग में इस्तेमाल होने वाला ज्यादातर बांस चीन के गुआंगडोंग प्रांत के झाओशिंग या पास के गुआंगशी और गुइलिन प्रांतों से आयात किया जाता है।
वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी में अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन रिसर्च सेंटर के एसोसिएट प्रोफेसर एहसान नूरूजिनेजाद ने कहा, 'जहां लोग रह रहे हों या इमारत ऊंची हो तो वहां खतरा ज्यादा होता है। ऐसी जगहों पर मेटल का मचान ही सुरक्षित है। अगर बांस का इस्तेमाल करना भी है तो बहुत सख्त सेफ्टी स्टैंडर्ड्स का पालन होना चाहिए।'
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क्या चीन से आई जाली ने भी भड़काई आग?
जुलाई 2024 से इस पूरे कॉम्प्लेक्स के रेनोवेशन का काम चल रहा था। इसलिए इमारतों को हरे रंग की जालियों से ढका गया था। ऐसा कहा जा रहा है कि इन जालियों को चीन से आयात किया गया था।
कई जानकारों का मानना है कि इतनी भयानक आग के लिए सिर्फ बांस ही जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि जालियां और प्लास्टिक शीटिंग भी हो सकती हैं। भारत में भी बड़े पैमाने पर इन हरी जालियों का इस्तेमाल होता है।
हॉन्गकॉन्ग के फोटोग्राफर गैलिलियो चेंग ने X पर लिखा, 'बांस की मचानों पर 14 घंटे तक आग लगी रही, जबकि कंस्ट्रक्शन नेटिंग कुछ ही सेकंड में तेजी से जलती हुई और फैलती दिख रही थी।'
सोशल मीडिया पर और भी कई यूजर इस आग के लिए चीन से आई इन जालियों को ही जिम्मेदार मान रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, 'यह घटिया कचरा लागत बचाने के लिए चीन से इंपोर्ट किया जाता है। मजदूर भी शायद चीन से इंपोर्ट किए गए हों, जो चेन स्मोकर के तौर पर जाने जाते हैं और उन्होंने चीन में बनी उन नेट को जलाया था।'
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आखिर कौन है इसका जिम्मेदार?
इस मामले में पुलिस ने अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। तीनों एक कंस्ट्रक्शन कंपनी से जुड़े हैं। पुलिस ने तीनों पर 'बड़ी लापरवाही' का आरोप लगाया है। पुलिस का कहना है कि कुछ चीजें ऐसी मिली हैं, जो सेफ्टी स्टैंडर्ड्स को पूरा नहीं करती हैं।
पुलिस ने कंपनी का नाम नहीं बताया है। हालांकि, न्यूज एजेंसी AP ने दावा किया है कि प्रेस्टीज कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग कंपनी रेनोवेशन का काम दे रही थी। जांच एजेंसियों को शक है कि इमारतों की बाहरी दीवारों पर कुछ मटैरियल ऐसे थे, जिनकी वजह से आग तेजी से फैली।
फायर सेफ्टी फर्म ग्रीनबर्ग इंजीनियरिंग के फाउंडर देवांश गुलाटी ने AP से कहा, 'यह घटना सबक सिखाने वाली है। हॉन्गकॉन्ग में बस इत्तेफाक से गलत हालात बन गए और बांस की मचान ईंधन बन गई।'
