भारत ने अमेरिका के साथ एक बड़े व्यापार समझौते पर बातचीत की तैयारी के तहत बॉर्बन व्हिस्की पर इंपोर्ट ड्यूटी 50 प्रतिशत घटा दिया है। बॉर्बन व्हिस्की पर इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती की अधिसूचना 13 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ वार्ता से ठीक पहले जारी की गई थी।
भारत ने बॉर्बन व्हिस्की पर टैरिफ को 150% से घटाकर 100% कर दिया है। यह बदलाव अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिकी वस्तुओं, खासकर शराब क्षेत्र पर भारत के 'अनुचित' टैरिफ की आलोचना करने के एक दिन बाद आया है।
100 प्रतिशत लगेगा टैरिफ
13 फरवरी को जारी एक नोटिफिकेशन में केंद्र ने घोषणा की कि बॉर्बन व्हिस्की पर बेसिक कस्टम ड्यूटी अब 50% निर्धारित किया जाएगा, साथ ही 50% अतिरिक्त शुल्क (लेवी) भी लगाया जाएगा, जो कुल मिलाकर 100% होगा। पहले, इन आयातों पर 150% का भारी कर लगता था। हालांकि, यह कटौती केवल बॉर्बन पर लागू होती है, अन्य शराब उत्पादों पर टैरिफ में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिन पर 150% कर लगाया जाना जारी है।
भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक बढ़ाकर 500 अरब अमेरिकी डॉलर करने का संकल्प लिया है तथा शुल्कों में कमी लाने तथा बाजार पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से द्विपक्षीय व्यापार समझौते की योजना की घोषणा की है।
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किसे होगा फायदा
टैरिफ में यह कटौती मुख्य रूप से अमेरिकी बॉर्बन उत्पादकों को लाभ पहुंचाएगी। यह फैसला दिखाता है कि भारत अमेरिका से होने वाले आयात को लेकर अपनी नीतियों में बदलाव कर रहा है।
भारत का अमेरिका के साथ स्पिरिट के मामले में 35 बिलियन डॉलर का व्यापार है। टैरिफ को लेकर व्यापक चिंताओं के बाद यह फैसला आया है।
डियाजियो और पेरनोड रिकार्ड जैसी कंपनियां लंबे समय तक यह बात कहती रही हैं कि विदेशी शराब पर भारत के भारी टैरिफ के कारण व्यापार प्रभावित होता है।
भारत ने 2023-24 में 2.5 मिलियन डॉलर मूल्य की बॉर्बन व्हिस्की का आयात किया है। प्रमुख निर्यातक देशों में अमेरिका ($0.75 मिलियन), यूएई ($0.54 मिलियन), सिंगापुर ($0.28 मिलियन) और इटली ($0.23 मिलियन) शामिल हैं।
ट्रंप के किया था रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान
डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को पदभार ग्रहण करने के बाद से अमेरिका के कुछ सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों को टारगेट करते हुए कई तरह के शुल्क लगाने की घोषणा की, जिसमें तर्क दिया गया कि इससे अनुचित व्यवहारों से निपटने में मदद मिलेगी - और कुछ मामलों में नीति को प्रभावित करने के लिए धमकियों का उपयोग किया जाएगा।
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