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अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ से भारत को कितना नुकसान कितना फायदा? समझें

अमेरिका ने रेसिप्रोकल टैरिफ यानी कि जैसे को तैसा टैरिफ लगाने की बात कही है। जानते हैं कि भारत पर इसका कितना असर पड़ेगा।

PM Modi and Donald trump। Photo Credit: PTI

भारत के प्रधानमंत्री पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप । Photo Credit: PTI

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के ऐलान ने पूरी दुनिया के देशों को चिंता में डाल दिया है। यह घोषणा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मीटिंग के कुछ पहले की गई। ट्रंप का मानना है कि इससे व्यापारिक संबंधों में असंतुलन को कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन इन सबके बाद यह बात अपने आप में बड़ा सवाल बन गया है कि भारत पर इससे क्या असर पड़ेगा?

 

ट्रंप ने भारत का जिक्र करते हुए कहा था कि भारत अन्य देशों की उस लिस्ट में काफी ऊपर है जो कि अमेरिका से काफी टैरिफ चार्ज करते हैं। इसके लिए उन्होंने हार्ले डेविडसन मोटर साइकिल का उदाहरण दिया था कि भारत द्वारा अमेरिकी सामान के आयात पर लगने वाले हाई टैरिफ की वजह से हार्ले डेविडसन को भारत में बेच पाना काफी मुश्किल हो रहा था जिसकी वजह  से उसे भारत में अपना प्लांट लगाना पड़ा।

 

भारत अमेरिका के ऊपर आयात पर लगभग 9.5 प्रतिशत का टैरिफ रेट लगाता है जबकि अमेरिका भारत से आयात किए जाने वाले सामानों पर 3 प्रतिशत का टैरिफ लगाता है। इसलिए अगर अमेरिका टैरिफ को बढ़ाकर भारत के बराबर कर देगा तो भारत से अमेरिका के लिए निर्यात होने वाले सामान महंगे हो जाएंगे।

किन चीजों पर होगा असर

सब्जियां, कपड़े, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, जेम्स एंड ज्वैलरी, फार्म प्रोडक्ट, ऑटो, आयरन एंड स्टील उन सामानों में से हैं जिनका अमेरिका को भारत काफी मात्रा में निर्यात करता है। टैरिफ बढ़ने की वजह से इनके निर्यात पर फर्क पड़ेगा।

 

भारत फिलहाल करीब 30 सामानों पर टैरिफ को घटाने के बारे में विचार कर रहा है और अमेरिका से डिफेंस व ऊर्जा संबंधी सामान ज्यादा खरीदेगा ताकि व्यापार असंतुलन को कम किया जा सके।

 

अमेरिका चीन से भी काफी व्यापार असंतुलन का सामना कर रहा है।  भारत के साथ अमेरिका का 2023-24 में व्यापार घाटा 35.31 बिलियन डॉलर था। इस घाटे को भरने के लिए डोनाल्ड ट्रंप इस तरह के टैरिफ लाने की कोशिश कर रहे हैं।

 

ब्लूमबर्ग के अनुसार, एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेसिप्रोकल टैरिफ भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए नकारात्मक असर डाल सकता है। बता दें कि एशिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में तुलनात्मक रूप से अमेरिकी सामानों पर ज्यादा टैरिफ है इसलिए एशियाई देशों को नुकसान हो सकता है।

 

इसके अलावा अगर भारत अमेरिका से साथ होने वाले निर्यात पर टैरिफ को घटाने की कोशिश करेगा तो भी उसे व्यापार असंतुलन का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अमेरिका के साथ होने वाले व्यापार में भारत की तरफ से होने वाला आयात बढ़ जाएगा और निर्यात घट जाएगा और अगर दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर की स्थिति बनती है तो दोनों ही देशों को नुकसान होगा।

 

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क्या है अभी की स्थिति

भारत और अमेरिका के बीच सालाना 190 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है जिसमें से भारत 50 बिलियन डॉलर के साथ ट्रेड  सरप्लस में है। भारत का औसत टैरिफ लगभग 9.5 प्रतिशत है जबकि अमेरिका का औसत टैरिफ रेट 3.3 प्रतिशत है।

 

हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का कहना यह भी है सभवतः इस कदम का भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत असर न पड़े क्योंकि रेसिप्रोकल टैरिफ के अंतर्गत अमेरिका हर सामान पर अलग अलग टैरिफ लगाने के बारे में विचार कर रहा है। उदाहरण के लिए मान लीजिए अमेरिका भारत से निर्यात किए जाने वाले पिस्ता पर 50 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाता है तो भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि अमेरिका को भारत बहुत ज्यादा पिस्ता नहीं निर्यात करता है।

 

इसी तरह से भारत बहुत से लेबर इंटेसिव सामानों जैसे कपड़े, गारमेंट्स, फुटवियर इत्यादि पर 15 से 35 प्रतिशत का टैक्स लगाता है। इसलिए चूंकि दोनों देशों के बीच निर्यात की प्रोफाइल अलग अलग है इसलिए जरूरी नहीं है कि अमेरिका के रेसिप्रोकल टैक्स का भारत पर ज्यादा असर पड़ेगा।

किस व्यापार पर कितना असर

 - भारत जेनेरिक मेडिसिन को काफी मात्रा में अमेरिका को सप्लाई करता है और फार्मास्युटिकल पर हायर टैरिफ से इस सेक्टर को नुकसान हो सकता है।

 

- टेक्सटाइल सेक्टर की बात करें तो अमेरिका भारतीय कपड़ों का काफी बड़ा खरीददार है। इस पर टैरिफ बढ़ने से सप्लाई चेन पर बुरा असर पड़ सकता है और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर असर पड़ सकता है।

 

- इसी तरह से आईटी सेक्टर भी अमेरिका पर काफी निर्भर है। हालांकि, ट्रेड टैरिफ से सीधा असर नहीं पड़ेगा लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने पर इसका असर पड़ सकता है।

 

- स्टील इंडस्ट्री की बात करें तो भारत के छोटी स्टील निर्माता कंपनियां टैरिफ बढ़ने की वजह से मार्केट से बाहर हो सकती हैं। 

 

- इसके अलावा टैरिफ बढ़ने से चीन के निर्यातक अमेरिका के बजाय भारत का रुख कर सकते हैं जिससे भारत की कंपनियों को भारी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ सकता है।

क्या होता है रेसिप्रोकल टैरिफ

रेसिप्रोकल टैरिफ का सीधा सा अर्थ होता है कि कोई भी देश किसी दूसरे देश से आयात किए जाने वाले सामानों पर वही टैरिफ लगाता है जो कि वह देश इस देश से निर्यात किए जाने वाले सामानों पर लगाता है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि एक देश किसी दूसरे देश को कुर्सियों का निर्यात करता है और वह देश उस कुर्सी पर 10 प्रतिशत का टैक्स लगाता है तो पहला देश भी दूसरे देश से आयात की जाने वाली कुर्सियों पर 10 प्रतिशत का टैरिफ लगाएगा।

 

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