शनिवार को ईरान के पोर्ट सिटी बंदर अब्बास में एक भीषण विस्फोट हुआ, जिसमें कम से कम 28 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। अधिकारियों के अनुसार, यह विस्फोट बंदरगाह के शाहिद रजई हिस्से में हुआ और इसके कारण को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही हैं। ईरान रेड क्रिसेंट के प्रमुख पिरहोसैन कुलीवंद ने रविवार को ईरानी सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी एक वीडियो में कहा, ‘दुर्भाग्य से अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है।’ 

 

उन्होंने यह भी बताया कि शनिवार को शाहिद रजई बंदरगाह पर हुए धमाके में घायल हुए 1,000 से अधिक लोगों में से कुछ को इलाज के लिए राजधानी तेहरान भेजा गया है। यह विस्फोट होर्मुज़ जलडमरूमध्य के पास हुआ, जहां से दुनिया का लगभग पांचवां हिस्सा यानी 20 प्रतिशत तेल का परिवहन होता है।

 

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खड़े किए कई सवाल

जिस वक्त यह विस्फोट हुआ उसने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि यह उस वक्त हुआ जब ईरान और अमेरिका के बीच ओमान में तीसरे दौर की परमाणु वार्ता शुरू हुई थी, लेकिन दोनों घटनाओं के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया।

 

ईरान की क्राइसिस मैनेजमेंट ऑर्गेनाइजेशन के प्रवक्ता हुसैन ज़ाफरी ने विस्फोट का कारण शाहिद रजई में कंटेनरों में रसायनों के गलत भंडारण को बताया।

उन्होंने ईरान की ILNA समाचार एजेंसी को बताया, ‘विस्फोट का कारण कंटेनरों के अंदर रखे केमिकल्स थे।’

ज़ाफरी ने कहा, ‘क्राइसिस मैनेजमेंट के महानिदेशक ने पहले अपनी विजिट के दौरान इस बंदरगाह को खतरे की चेतावनी दी थी।’

 

गोदाम में आग हो सकती है वजह

इस बीच, पोर्ट के कस्टम ऑफिस ने सरकारी टेलीविजन पर एक बयान में कहा कि विस्फोट संभवतः खतरनाक और रासायनिक सामग्री के गोदाम में लगी आग के कारण हुआ।

एक क्षेत्रीय इमरजेंसी अधिकारी ने कहा कि कई कंटेनरों में विस्फोट हुआ था।

 

ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स से जुड़े एक व्यक्ति के हवाले से न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट किया कि जो विस्फोट हुआ वह सोडियम परक्लोरेट था — जो मिसाइलों में इस्तेमाल होने वाले ठोस ईंधन का मुख्य घटक है। हालांकि, एक ईरानी सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि भले ही विस्फोट का कारण केमिकल्स रहे हों, लेकिन सटीक वजह अभी तय नहीं की जा सकती।

 

जांच के आदेश

ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेसेश्कियन ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं और अपने गृह मंत्री, इस्कंदर मोमेनी को विस्फोट स्थल पर भेजा है।

 

मोमेनी ने कहा कि आग बुझाने और उसे अन्य क्षेत्रों में फैलने से रोकने के प्रयास जारी हैं। रविवार को मौके पर बोलते हुए मोमेनी ने कहा कि ‘बंदरगाह के प्रमुख क्षेत्रों में स्थिति स्थिर हो गई है।’ उन्होंने सरकारी टेलीविजन को बताया कि मजदूरों ने कंटेनरों की लोडिंग और कस्टम क्लियरेंस का काम फिर से शुरू कर दिया है।

 

50 किलोमीटर तक सुनाई पड़ी आवाज

ईरान के आधिकारिक समाचार चैनलों ने विस्फोट के बाद बंदरगाह के ऊपर उठते काले और नारंगी धुएं के विशाल बादल और एक ऑफिस बिल्डिंग की तस्वीरें दिखाईं, जिसके दरवाजे उड़ गए थे और कागज तथा मलबा चारों ओर बिखरा पड़ा था।

 

फार्स समाचार एजेंसी ने बताया कि विस्फोट इतना तेज़ था कि इसे लगभग 50 किलोमीटर (30 मील) दूर तक महसूस और सुना गया। तस्नीम समाचार एजेंसी ने रिपोर्ट किया कि ‘शॉकवेव इतना तेज था कि बंदरगाह की अधिकांश इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं।’

 

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सबसे बड़ा कंटेनर

राज्य मीडिया के अनुसार रणनीतिक होर्मुज़ जलडमरूमध्य के पास स्थित शाहिद रजई बंदरगाह ईरान का सबसे बड़ा कंटेनर केंद्र है, जो देश के अधिकांश कंटेनर माल का संचालन करता है, राज्य मीडिया के अनुसार।

 

पिछले कुछ वर्षों में ईरान की एनर्जी और इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ कई घातक घटनाएं हुई हैं, जिनमें से शनिवार को घटित होने वाली विस्फोट जैसी घटनाएं लापरवाही के कारण हुए।

 

इन घटनाओं में रिफाइनरी में आग, कोयला खदान में गैस विस्फोट और 2023 में बंदर अब्बास में आपातकालीन मरम्मत के दौरान एक मजदूर की मौत शामिल है।

 

इजरायल पर लगाया आरोप

ईरान ने कुछ अन्य घटनाओं का आरोप अपने कट्टर दुश्मन इज़रायल पर लगाया है, जिसने हाल के वर्षों में ईरान की धरती पर उसके परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाते हुए हमले किए और पिछले साल देश की वायु रक्षा प्रणाली पर बमबारी भी की।

 

तेहरान ने कहा कि फरवरी 2024 में ईरानी गैस पाइपलाइनों पर हुए हमले के पीछे इज़रायल का हाथ था, जबकि 2020 में शाहिद रजई के कंप्यूटरों पर साइबर हमला हुआ था।

वॉशिंगटन पोस्ट ने रिपोर्ट किया कि ऐसा लगता है कि इज़रायल ने यह हमला ईरान के पहले किए गए साइबर हमले का बदला लेने के लिए किया था।

 

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इज़रायल ने संकेत दिया है कि वह अमेरिका-ईरान वार्ताओं के नतीजों को लेकर चिंतित है और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह से खत्म करने की मांग कर रहा है।

तेहरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक कहते हैं कि वह बम बनाने की क्षमता के बहुत करीब पहुंच रहा है।