इजरायल-हमास के बीच जंग रुकने का सबसे ज्यादा इंतजार फिलिस्तीनियों को है। युद्ध थम जाने के बाद भी गाजा के निवासियों को बहुत बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। दरअसल, इजरायली सेना ने हजारों की संख्या में हवाई हमले किए जिसके कारण गाजा पट्टी के कई शहर मलबे में तब्दील हो गए। पानी, बिजली सप्लाई और इमारतों की धज्जियां उड़ चुकी है। 

 

संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि अगर इजरायल और मिस्त्र की नाकाबंदी जारी रहेगी तो गाजा के पुननिर्माण में लगभग 350 साल तक लग जाएंगे। वहीं, विश्व बैंक का अनुमान है कि युद्ध के पहले चार महीनों में गाजा में 1.60 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका था। वहीं, दो तिहाई निर्माण नष्ट हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र ने सैटेलाइट डेटा से अनुमान लगया है कि गाजा में 69 प्रतिशत इमारतें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं जिसमें 2 लाख 45 हजार घर भी शामिल हैं। अब यह स्पष्ट नहीं है कि गाजा को नए सिरे से कौन खड़ा करेगा?

गाजा की सबसे बड़ी चुनौती- मलबा कैसे हटाया जाएगा?

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हाल के संघर्षों के बाद गाजा में लगभग 22 लाख टन मलबा जमा हो गया है। इस मलबे को हटाने और पुनर्निर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता होगी। मलबा हटाने की प्रक्रिया में विस्फोटक अवशेषों की पहचान करना जरूरी होगा क्योंकि इसमें बगैर फूटे बम और अन्य सामाग्री भी हो सकती है जो 23 लाख फिलिस्तीनी आबादी के संकरे इलाको से हटाना आसान नही होगा।

 

गाजा से मलबा हटाना बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण होगा। इसके पीछे कई तकनीकी, सुरक्षा, सामाजिक और राजनीतिक कारण हैं। संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में मलबा हटाने का काम केवल एक इंजीनियरिंग समस्या नहीं है, बल्कि यह एक मानवीय और प्रशासनिक चुनौती भी है।

 

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क्या-क्या सामने होगी चुनौती:

तकनीकी चुनौतियां

  • विस्फोटक अवशेष: मलबे में छुपे हुए बम, माइन और अन्य विस्फोटक उपकरणों का खतरा है, जो बचाव कार्य में बाधा डाल सकते हैं और जानमाल के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
  • मलबे की मात्रा: गाजा में लगभग 22 लाख टन मलबा जमा हो गया है, जिससे विशाल मात्रा में भारी संसाधनों की मांग बढ़ेगी।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: सड़कें और पुल जैसे बुनियादी ढांचे के क्षतिग्रस्त होने के कारण भारी उपकरणों और ट्रकों की आवाजाही मुश्किल हो सकती है।

सुरक्षा और राजनीतिक बाधाएं

  • निरंतर तनाव: गाजा एक संघर्ष-प्रभावित क्षेत्र है, जहां पुनः संघर्ष होने का खतरा रहता है। यह मलबा हटाने के काम को जोखिमपूर्ण बना सकता है। 
  • सीमा प्रतिबंध: गाजा पर लगे सीमा प्रतिबंधों के कारण आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति मुश्किल हो सकती है।

आर्थिक चुनौतियां

  • वित्तीय संसाधन की कमी: मलबा हटाने के लिए भारी धनराशि की आवश्यकता होती है। गाजा जैसे संघर्ष-प्रभावित क्षेत्र में पहले से ही आर्थिक संकट चल रहा है।
  • पुनर्निर्माण की लागत: मलबा हटाने के बाद पुनर्निर्माण का काम शुरू होगा, जो और अधिक पैसे की मांग करता है।

पर्यावरणीय और स्वास्थ्य चुनौतियां

  • स्वास्थ्य खतरे: मलबे में धूल, एस्बेस्टस, और अन्य खतरनाक रसायन हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
  • पर्यावरणीय क्षति: मलबा हटाने के दौरान जल स्रोतों और मिट्टी के प्रदूषित होने का खतरा है।

संभावित समय और लागत

  • गाजा जैसे क्षेत्र में इतनी बड़ी मात्रा में मलबा हटाने में कई साल लग सकते हैं।
  • अनुमानित लागत अरबों डॉलर में हो सकती है, जिसमें पुनर्निर्माण का खर्च भी शामिल है।

सीरिया और इराक में मलबा कैसे हटाया गया?

सीरिया और इराक: इन देशों में संघर्ष के बाद मलबा हटाने की प्रक्रिया बेहद लंबी और कठिन रही। गाजा में भी इसी प्रकार के प्रयासों की आवश्यकता होगी। 

गाजा में मलबा हटाने के लिए संभावित समाधान

स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी

स्थानीय सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच समन्वय स्थापित करना।

 

स्थायी बुनियादी ढांचे का निर्माण:

 

  • हटाए गए मलबे का उपयोग सस्ते और मजबूत निर्माण सामग्री के रूप में किया जा सकता है।
  • ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग मलबे के सर्वेक्षण और प्रबंधन में किया जा सकता है।
  • स्थानीय लोगों को इस कार्य में शामिल कर उन्हें रोजगार के अवसर दिए जा सकते है।